विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 (The Specific Relief Act, 1963) |
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1963 का अधिनियम संख्यांक 47 (Act No. 47 Of 1963) |
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भाग- 1 |
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प्रारम्भिक (Preliminary) |
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इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम क्या है? |
विनिर्दिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 किस तिथि से प्रवृत्त हुआ था? |
1 मार्च 1964 |
संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारम्भ (Short title, extent and commencement) विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 किस धारा में दिया गया है? |
धारा 1 |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 का प्रारंभिक रूप में विस्तार कहाँ तक था? |
संपूर्ण भारत में, जम्मू-कश्मीर को छोड़कर |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 का विस्तार अभी कहाँ तक है? |
संपूर्ण भारत में |
जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 के अधिनियम में 34 की धारा 95 और पांचवी अनुसूची द्वारा (31-10-2019 से) इस अधिनियम में किन शब्दों का लोप किया गया? |
जम्मू-कश्मीर राज्य के सिवाय |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 (Specific Relief Act, 1963) भारत में किस तिथि से लागू हुआ था? |
1 मार्च 1964 |
कौन-सा केस विशिष्ट अनुतोष अधिनियम की व्याख्या से संबंधित प्रमुख निर्णय है? |
के.एस. विद्यानदम बनाम वैरावन (1997) |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 का उद्देश्य क्या है? |
व्यक्तियों को विशिष्ट सिविल अनुतोष प्रदान करना |
क्या विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 दंडात्मक प्रकृति का कानून है? |
नहीं, यह केवल सिविल अनुतोष से संबंधित है |
कौन-सा सिविल अनुतोष विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 के अंतर्गत नहीं आता है? |
अपकृत्य में क्षति |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 में परिभाषा (Definitions) खंड किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 2 |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 के अंतर्गत बाध्यता (obligation) की परिभाषा किस धारा में दी गई है? |
धारा 2(क) |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 की धारा 2(क) के अनुसार बाध्यता (obligation) का क्या अर्थ है? |
विधि द्वारा प्रवर्तनीय हर एक कर्तव्य |
किस केस में बाध्यता (obligation) के सिद्धांत को लागू किया गया था जहां प्रतिवादी ने संपत्ति की बिक्री से मुकरने की कोशिश की थी? |
के.एस. विद्यानदम बनाम वैरावन (1997) |
यदि कोई बाध्यता (obligation) केवल नैतिक हो, लेकिन कानूनी न हो, तो क्या विशिष्ट अनुतोष अधिनियम के तहत वह लागू की जा सकती है? |
नहीं |
किस केस में कोर्ट ने कहा कि विशिष्ट अनुतोष केवल व्यक्तिगत नागरिक अधिकारों को लागू करने के लिए एक उपाय है? |
नारनदास करसोनदास बनाम एस.ए. कामतम (1977) |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 के अंतर्गत व्यवस्थापन (settlement) की परिभाषा किस धारा में दी गई है? |
धारा 2(ख) |
व्यवस्थापन (settlement) की परिभाषा में कौन-सा तत्व शामिल नहीं है? |
भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925 (1925 का 39) द्वारा यथापरिभाषित “बिल अथवा क्रोडपत्र” |
व्यवस्थापन (settlement) से क्या अभिप्रेत है? |
एक लिखत |
किस केस में अदालत ने स्पष्ट किया कि व्यवस्थापन (settlement) केवल भौतिक कब्जे से अधिक होता है? |
चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया बनाम लवजीभाई |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 के अंतर्गत न्यास (trust) की परिभाषा किस धारा में दी गई है? |
धारा 2 (ग) |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 के अंतर्गत न्यास (trust) से क्या अभिप्रेत है? |
वही जो भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 (1882 का 2) की धारा 3 में है |
धारा 2 (ग) न्यास (trust) के अंतर्गत क्या आता है? |
भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 (1882 का 2) के अध्याय 9 के अर्थ के भीतर आने वाली न्यास प्रकृति की वाध्यता इसके अन्तर्गत आती है |
न्यास (trust) की कानूनी प्रकृति किस पर आधारित होती है? |
विश्वास |
कौन-सी संपत्ति न्यास (trust) के अधीन रखी जा सकती है? |
कोई भी संपत्ति |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम में न्यास (trust) की परिभाषा किस धारा में दी गई है? |
धारा 2(घ) |
धारा 2(घ) के अंतर्गत न्यास (trust) कौन होता है? |
वह जो संपत्ति को किसी लाभार्थी के लिए धारण करता है |
न्यास (trust) की भूमिका किस प्रकार की होती है? |
संविदात्मक |
न्यास (trust) किसके प्रति जवाबदेह होता है? |
लाभार्थी |
किस मामले में न्यायालय ने न्यास (trust) की जवाबदेही को सर्वोपरि माना? |
गोविंद दोस बनाम देवस्थानम ट्रस्ट |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम की धारा 2(ङ) का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
संदर्भित अधिनियमों से परिभाषाएँ लेना |
ऐसे अन्य सब शब्दों और पदों के, जो एतस्मिन् प्रयुक्त हैं किन्तु परिभाषित नहीं हैं, और भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 (1872 का 9) में परिभाषित हैं, वे ही अर्थ होंगे जो उस अधिनियम में उन्हें क्रमशः समनुदिष्ट हैं, किस धारा में दिया गया है |
धारा 2(ङ) |
यदि कोई शब्द विशिष्ट अनुतोष अधिनियम में परिभाषित नहीं है, तो उसका अर्थ कहाँ से लिया जाएगा? |
भारतीय संविदा अधिनियम, 1872 |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम 1963 में व्यावृतियां (Savings) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 3 |
धारा 3 के अंतर्गत, न्यायालय किस बात पर विचार करता है? |
अन्य विधियों द्वारा प्रतिकार पर रोक |
किसी व्यक्ति को विनिर्दिष्ट पालन से भिन्न अनुतोष के किसी ऐसे अधिकार से, जो वह किसी संविदा के अधीन रखता हो, यह विधि उसको वंचित करती है? |
नहीं |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम की धारा 4 क्या निर्धारित करती है? |
व्यक्तिगत सिविल अधिकारों का प्रवर्तन (Specific relief to be granted only for enforcing individual civil rights and not for enforcing penal laws) |
धारा 4 के अंतर्गत विशेष प्रतिकार किस प्रकार के अधिकारों पर लागू होता है? |
केवल व्यक्तिगत सिविल अधिकार |
धारा 4 के अनुसार, किस प्रकार की अनुतोष नहीं दी जा सकती? |
दंड कानून का प्रवर्तन |
किस मामले में न्यायलय ने कहा कि, न्यायालय अनुचित उद्देश्यों के लिए विशिष्ट अनुतोष नहीं देता? |
के.के. मोदी बनाम के.एन. मोदी |
धारा 4 का उद्देश्य क्या है? |
सिविल और दंड विधियों को अलग रखना |
किस मामले में न्यायलय ने कहा कि अनुबंध का विशेष निष्पादन तभी होगा जब उद्देश्य न्यायसंगत हो? |
जयकंठम बनाम अभयकुमार |
क्या किसी आपराधिक शिकायत को आधार बनाकर विशिष्ट अनुतोष अधिनियम के तहत विशेष निष्पादन माँगा जा सकता है? |
नहीं |
विशिष्ट अनुतोष एक नागरिक उपचार है, दंडात्मक नहीं"— यह कथन किस धारा के संदर्भ में उपयुक्त है? |
धारा 4 |
धारा 4 न्यायालय को किस पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देती है? |
सिविल अधिकारों का प्रवर्तन |
यदि किसी व्यक्ति का दावा केवल मानहानि (defamation) पर आधारित हो, तो क्या वह विशिष्ट अनुतोष अधिनियम में दावा कर सकता है? |
नहीं |
किस मामले में न्यायलय ने कहा कि पर्यावरणीय हितों की रक्षा विशिष्ट अनुतोष अधिनियम के अंतर्गत नहीं आता है, क्योंकि यह सार्वजनिक हित से संबंधित है? |
एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ |
यदि कोई अनुतोष संविधान के मौलिक अधिकार से जुड़ी है, तो क्या विशिष्ट अनुतोष अधिनियम लागू होगा? |
नहीं |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम के तहत न्यायालय की भूमिका क्या है? |
नागरिक विवादों में न्यायसंगतअनुतोष प्रदान करना |
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भाग 2 |
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विनिर्दिष्ट अनुतोष |
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अध्याय 1 |
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सम्पत्ति के कब्जे का प्रत्युद्धरण (Recovering Possession of Property) |
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विनिर्दिष्ट स्वावर सम्पत्ति का प्रत्युद्धरण (Recovery of specific immovable property) से सम्बंधित धारा कौन सी है |
धारा 5 |
धारा 5 किस प्रकार की संपत्ति से संबंधित है? |
स्थावर संपत्ति |
धारा 5 के अंतर्गत संपत्ति वापस लेने का अधिकार किसे प्राप्त होता है? |
वैध स्वामी को |
कौन सा मामला कब्जा वैध तभी माना जाएगा जब वह कानूनन हो, सिद्धांत को पुष्ट करता है? |
कृष्णा राम महाले बनाम शोभा वेंकट राव |
धारा 5 में संपत्ति के प्रत्युद्धरण का क्या साधन है? |
दीवानी वाद |
धारा 5 की कार्यवाही किस कानून की प्रक्रिया के अंतर्गत होती है? |
सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) |
धारा 5 के अंतर्गत कौन-सी शर्त अनिवार्य है? |
वैध स्वत्वाधिकार हो |
विधिक अधिकार के बिना कब्जा अवैध है, से सम्बंधित मामला कौन सा है? |
के.के. वर्मा बनाम भारत संघ |
यदि किसी व्यक्ति को स्वामित्व प्राप्त है लेकिन कब्जा नहीं है, तो उसे धारा 5 के अंतर्गत कौन सा अधिकार प्राप्त है? |
वह सिविल प्रक्रिया द्वारा संपत्ति वापस पा सकता है |
कब्जा कानून के अनुसार होना चाहिए, किस केस का मुख्य निष्कर्ष था? |
कृष्ण कुमार बनाम भारत संघ |
कब्जे के बिना स्वामित्व क्या दर्शाता है? |
वैध अधिकार, जो विधि द्वारा प्रत्युद्धारित किया जा सकता है |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम की धारा 5 किन लोगों की रक्षा करती है? |
वैध स्वामियों की |
यदि कब्जा अवैध रूप से किया गया है, तो वैध स्वामी — |
धारा 5 के अंतर्गत न्यायालय में दावा कर सकता है |
क्या किरायेदार के विरुद्ध धारा 5 का प्रयोग किया जा सकता है? |
नहीं, जब तक उसका अधिकार समाप्त न हो |
स्थावर सम्पति से बेकमा किए गए व्यक्ति द्वारा वाद (Suit by person dispossessed of immovable property) से सम्बंधित धारा कौन सी है? |
धारा 6 |
धारा 6 के अनुसार कब कोई व्यक्ति वाद दायर कर सकता है? |
कब्जा खोने के छह महीने के भीतर |
क्या धारा 6 के अधीन संस्थित किसी भी वादमें पारित किसी भी आदेश या डिक्री से कोई अपील और कोई पुनर्विलोकन हो सकेगा |
नहीं |
कौन सा मामला बिना विधिक प्रक्रिया के कब्जा छीनना अनुचित है सिद्धांत को मजबूत करता है? |
कृष्णा राम महाले बनाम शोभा वेंकट राव |
कब्जे की पुनर्प्राप्ति हेतु वाद दायर करने की समयसीमा क्या है? |
6 महीने |
धारा 6 के अंतर्गत कौन वाद नहीं कर सकता? |
सरकारी अधिकारी |
धारा 6 किस मौलिक अधिकार की भावना को समर्थन देती है? |
संपत्ति के अधिकार की सुरक्षा |
विनिर्दिष्ट वंगम सम्पत्ति का प्रत्युद्धरण (Recovery of specific movable property) से सम्बंधित धारा कौन सी है? |
धारा 7 |
धारा 7 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अपनी कार किसी को रिपेयर के लिए देता है और वह व्यक्ति उसे लौटाने से इनकार कर देता है, तो मालिक क्या कर सकता है? |
धारा 7 के अंतर्गत प्रत्युद्धरण का दावा कर सकता है |
किस स्थिति में अदालत धारा 7 के तहत विशेष संपत्ति की पुनः प्राप्ति की अनुमति नहीं देगी? |
जब नुकसानीपर्याप्त हो |
धारा 7 का प्रयोग मुख्य रूप से किस तरह की संपत्ति पर लागू होता है? |
जंगम संपत्ति |
धारा 7 के तहत वादी कौन हो सकता है? |
कोई भी व्यक्ति जिसके पास वैध कब्जा हो |
यदि कोई व्यक्ति आपके पालतू जानवर को लेकर भाग जाता है और लौटाने से मना करता है, तो कौन-सी धारा मदद करेगी? |
धारा 7 |
कौन-सी स्थिति धारा 7 के अंतर्गत वाद योग्य नहीं मानी जाएगी? |
जब संपत्ति अस्तित्व में ही नहीं है |
यदि किसी ने आपकी किताब उधार ली और वापिस नहीं कर रहा, क्या आप धारा 7 का प्रयोग कर सकते हैं? |
हां, क्योंकि वह विशिष्ट संपत्ति है |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम की धारा 7 किनके अधिकार की सुरक्षा करती है? |
वैध कब्जाधारी के |
किस केस में कोर्ट ने वैधानिक कब्जे पर बल दिया? |
ठाकोरलाल डी. मिस्त्री बनाम लल्लूभाई वी. पटेल |
धारा 7 की कार्यवाही किस कानून की प्रक्रिया के अंतर्गत होती है? |
सिविल प्रक्रिया संहिता (CPC) |
क्या न्यासी ऐसी जंगम सम्पत्ति के कब्जे के लिए इस धारा के अधीन वाद ला सकेगा, जिसमें के फायदाप्रद हित का वह व्यक्ति हकदार हो जिसके लिए वह न्यासी है? |
हां |
क्या जंगम सम्पत्ति पर वर्तमान कब्जे का कोई विशेष या अस्थायी अधिकार इस धारा के अधीन वाद के समर्थन के लिए पर्याप्त है? |
हां |
जिस व्यक्ति का कब्जा है किन्तु स्वामी के नाते नहीं है. उसका उन व्यक्तियों को, जो जयवहित कब्जे के हकदार हैं परिवत करने का दायित्व (Liability of person in possession, not as owner, to deliver to persons entitled to immediate possession) से सम्बंधित धारा कौन सी है? |
धारा 8 |
किस केस में न्यायालय ने कलाकृति की अद्वितीयता पर ज़ोर दिया? |
आर. सुब्रमण्यम बनाम ओ. कौशल्या |
धारा 8 के तहत कब अदालत मुआवज़े के स्थान पर वस्तु को लौटाने का आदेश देती है? |
जबकि दावाकृत वस्तु की हानि के लिए धन के रूप में प्रतिकर वादी को यथायोग्य अनुतोष न पहुंचाता हो; |
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अध्याय 2 |
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संविदाओं का विनिर्दिष्ट पालन (Specific Performance of Contracts) |
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संविदा पर आधारित अनुतोष के वादों में प्रतिरक्षाएं (Defences in suits for relief based on contract) से सम्बंधित धारा कौन सी है? |
धारा 9 |
धारा 9 का प्रमुख उद्देश्य क्या है? |
प्रतिवादी को वैध संविदात्मक बचाव प्रस्तुत करने का अवसर देना |
यदि कोई संविदा धोखाधड़ी से बनाई गई है, तो धारा 9 के अंतर्गत प्रतिवादी क्या कह सकता है? |
संविदा शून्य (void) है |
बचाव में न्यायसंगत सिद्धांत लागू होते हैं किस केस में बल दिया गया? |
जोसेफ बनाम जोसेफ |
यदि कोई अनुबंध कानूनी क्षमता (capacity) के अभाव में किया गया है, तो कौन-सी प्रतिरक्षा लागू होगी? |
अनुबंध बाध्यकारी नहीं है |
यदि वादी खुद अनुबंध की शर्तें पूरी नहीं करता, तो वहअनुतोष का पात्र नहीं, किस मामले से सम्बंधित है? |
सुरजीत सिंह बनाम हरबंस सिंह |
यदि अनुबंध की शर्तें अत्यधिक अस्पष्ट (vague) हैं, तो क्या यह प्रतिवादी के लिए रक्षा हो सकती है? |
नहीं अस्पष्टता के कारण अनुबंध लागू नहीं हो सकता |
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संविदाएं जिनका विनिर्विष्टः प्रवर्तन कराया जा सकता है (Contracts Which Can Be Specifically Enforced) |
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संविदाओं की बाबत विनिर्दिष्ट पालन (Specific performance in respect of contracts) से सम्बंधित धारा कौन सी है? |
धारा 10 |
न्यायालय द्वारा किसी संविदा का विनिर्दिष्ट पालन धारा 10 के अधीन इस अधिनियम में अंतर्विष्ट किन उपबंधों के अधीन रहते हुए कराया जाएगा? |
धारा 11 की उपधारा (2), धारा 14 और धारा 16 |
धारा 10 किस अधिनियम द्वारा प्रतिस्थापित की गयी? |
2018 के अधिनियम सं० 18 की धारा 3 द्वारा प्रतिस्थापित। |
दशाएं जिनमें न्यासों के संसक्त संविदाओं का विनिर्दिष्ट पालन प्रवर्तनीय हैं (Cases in which specific performance of contracts connected with trusts enforceable) से सम्बंधित धारा कौन सी है? |
धारा 11 |
इस अधिनियम में अन्यथा उपबन्धित के सिवाय, किसी संविदा का विनिर्दिष्ट पालन, कब कराया जाएगा? |
जबकि वह कार्य, किसी न्यास के, पूर्णत: या भागतः पालन में हो |
क्या न्यासी द्वारा अपनी शक्तियों के बाहर या न्यास (trust) के भंग में की गई संविदा का विनिर्दिष्टतः प्रवर्तन कराया जा सकता? |
नहीं |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 की धारा 11 के अनुसार, न्यास (trust) के तहत किस स्थिति में संविदा का पालन प्रवर्तनीय हो सकता है? |
जब न्यास का उद्देश्य स्पष्ट और विशिष्ट हो। |
धारा 11 के तहत यदि किसी न्यास की शर्तों को पूरा करना असंभव हो जाता है, तो न्यायालय क्या करेगा? |
न्यास को समाप्त कर देगा। |
न्यास के अंतर्गत, यदि कोई पक्ष न्यास के उद्देश्य को पूरा करने में विफल रहता है, तो न्यायालय किस प्रकार का आदेश दे सकता है? |
उस पक्ष से विशिष्ट प्रवर्तन का पालन करने का आदेश देगा। |
कौन सा न्यास के उद्देश्य से संबंधित निर्णय विशिष्ट प्रवर्तनके आदेश की आवश्यकता को दर्शाता है? |
जब न्यास के उद्देश्यों में बाधाएं उत्पन्न होती हैं, जो केवल मुआवजे से हल नहीं हो सकतीं। |
यदि किसी न्यास में एक पक्ष अन्य पक्ष के बिना सहमति के शर्तों को बदलता है, तो न्यायालय क्या करेगा? |
न्यायालय न्यास को रद्द कर देगा। |
संविदा के भाग का विनिर्दिष्ट पालन (Specific performance of part of contract) से सम्बंधित धारा कौन सी है? |
धारा 12 |
धारा 12 के तहत यदि एक संविदा का कोई भाग असंभव है, तो न्यायालय क्या करेगा? |
उस हिस्से को अस्वीकार करेगा और बाकी हिस्से को लागू करेगा। |
धारा 12 के तहत, अगर संविदा के कुछ हिस्से को पालन किया जा सकता हो, जबकि अन्य हिस्से असंभव हों, तो न्यायालय किसे लागू करेगा? |
न्यायालय केवल उस हिस्से को लागू करेगा जो संभव हो। |
हक रखने वाले या अपूर्ण हक वाले व्यक्ति के विरुद्ध क्रेता या पट्टेदार के अधिकार, (Rights of purchaser or lessee against person with no title or imperfect title) से सम्बंधित धारा कौन सी है? |
धारा 13 |
धारा 13 के तहत, यदि विक्रेता के पास संपत्ति पर अपूर्ण अधिकार है और उसने उसे बेच दिया, तो क्रेता के पास क्या अधिकार होगा? |
क्रेता केवल विक्रेता के पास मौजूद अधिकार का दावा कर सकता है। |
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संविदाएं जिनका विनिर्विष्टतः प्रवर्तन नहीं कराया जा सकता है (Contracts Which Cannot Be Specifically Enforced) |
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ऐसी संविदाएं जो विनिर्विष्टतया प्रवर्तनीय नहीं हैं, (Contracts not specifically enforceable) से सम्बंधित धारा कौन सी है? |
धारा 14 |
धारा 14 के अनुसार कौन-सी संविदा विनिर्दिष्ट रूप से प्रवर्तनीय नहीं है? |
जहां धारा 20 के अंतर्गत पालन करा लिया है |
कौन-सी शर्त ऐसी मानी जाती है कि जिसके अंतर्गत संविदा का विनिर्दिष्ट पालन न्यायालय द्वारा लागू नहीं किया जा सकता? |
जब संविदा अत्यधिक व्यक्तिगत कौशल पर आधारित हो |
धारा 14(1)(b) के अनुसार, वह संविदा प्रवर्तनीय नहीं है: |
जिसके पालन हेतु लगातार निगरानी की आवश्यकता हो |
कौन-सी संविदा का पालन न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं है, जैसा कि धारा 14 में वर्णित है? |
कोई ऐसी संविदा, जो अवधारणीय प्रकृति की है। |
धारा 14 के अनुसार कौन-सी संविदा का पालन न्यायालय द्वारा नहीं कराया जा सकता? |
कोई संविदा जिसका पालन करने में अत्यधिक निरीक्षण की आवश्यकता हो |
किस मामले में कहा कि मुआवजा पर्याप्त उपाय है, विनिर्दिष्ट पालन आवश्यक नहीं? |
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन बनाम अमृतसर गैस सर्विस (1991) |
न्यायालय की विशेषज्ञों को नियुक्त करने की शक्ति, (Power of court to engage experts) से सम्बंधित धारा कौन सी है? |
धारा 14A |
धारा 14(A) किस वर्ष के संशोधन द्वारा विशिष्ट अनुतोष अधिनियम में जोड़ी गई थी? |
2018 |
विशेषज्ञ की नियुक्ति का उद्देश्य क्या होता है, जैसा कि धारा 14A में वर्णित है? |
न्यायालय की सहायता करना विशेष तकनीकी या वैज्ञानिक मामलों में |
धारा 14(A) के अंतर्गत विशेषज्ञ द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट को न्यायालय किस प्रकार देखता है? |
एक राय के रूप में, जिसे पक्षकारों द्वारा चुनौती दी जा सकती है |
धारा 14(A) के अंतर्गत विशेषज्ञ को न्यायालय द्वारा क्या अधिकार प्रदान किए जा सकते हैं? |
गवाहों से पूछताछ करना, स्थलों का निरीक्षण करना, दस्तावेज़ों की समीक्षा करना |
धारा 14(A) के तहत विशेषज्ञ की नियुक्ति का निर्णय किसके विवेक पर निर्भर करता है? |
न्यायालय के विवेक पर |
विशेषज्ञ की नियुक्ति का क्षेत्राधिकार किस मामले से सम्बंधित है? |
एफकॉन्स इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड बनाम चेरियन वर्की कंस्ट्रक्शन (2010) |
यदि विशेषज्ञ की राय पक्षकारों को अस्वीकार्य लगे, तो वे क्या कर सकते हैं? |
विशेषज्ञ की रिपोर्ट को चुनौती दे सकते हैं |
क्या न्यायालय बिना पक्षकारों की सहमति के विशेषज्ञ नियुक्त कर सकता है? |
हाँ, न्यायालय की विवेकाधीन शक्ति से |
विशेषज्ञ की रिपोर्ट किस परिस्थिति में न्यायालय द्वारा अस्वीकार की जा सकती है? |
यदि पक्षकार सहमत हों, यदि विशेषज्ञ निष्पक्ष न हो, यदि रिपोर्ट स्पष्ट न हो |
विशेषज्ञ को न्यायालय द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु कितने समय का अवसर दिया जा सकता है? |
न्यायालय द्वारा निर्धारित समय |
विशेषज्ञ किस फीस, खर्च या व्यय का हकदार होगा? |
जो न्यायालय नियत करे |
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वे व्यक्ति जिनके पक्ष में या विरुद्ध संविदाएं विनिर्दिष्टतः प्रवर्तित की जा सकेंगी (Persons For or Against Whom Contracts May Be Specifically Enforced) |
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कौन विनिर्दिष्ट पासन अभिप्राप्त कर सकेगा (Who may obtain specific performance) से सम्बंधित धारा कौन सी है? |
धारा 15 |
धारा 15 के अंतर्गत, कौन विनिर्दिष्ट पालन प्राप्त करने के लिए पात्र है? |
पक्षकार पक्षकार के हित प्रतिनधि व मालिक |
धारा 15 के अनुसार, कौन व्यक्ति विशेष पालन के लिए न्यायालय का दरवाज़ा खटखटा सकता है? |
केवल वह व्यक्ति जिसके साथ संविदा हुई हो या उसका उत्तराधिकारी |
क्या संविदा का लाभार्थी ट्रस्टी विशेष पालन प्राप्त कर सकता है? |
हाँ |
यदि कोई संविदा दो व्यक्तियों द्वारा की जाती है और उनमें से एक मर जाता है, तो विशेष पालन का दावा कौन कर सकता है? |
जीवित संविदाकार, मृत संविदाकार का उत्तराधिकारी |
धारा 15 के अनुसार, यदि किसी व्यक्ति को संपत्ति विरासत में प्राप्त होती है, तो क्या वह विशेष पालन का दावा कर सकता है? |
हाँ, यदि संविदा से संबंधित अधिकार उसे स्थानांतरित हुए हों |
क्या एक पार्श्व क्रेता (subsequent purchaser) विशेष पालन का दावा कर सकता है? |
हाँ, यदि वह निष्कपट है और मूल्य चुका चुका है |
धारा 15(2) के अंतर्गत, यदि संपत्ति का एक भाग संविदा का विषय है, तो क्या उस हिस्से के लिए विशेष पालन संभव है? |
हाँ, यदि अलग किया जा सके |
जहां कि संविदा विवाह पर का व्यवस्थापन या एक ही कुटुम्ब के सदस्यों के बीच, तो विशेष पालन का दावा कौन कर सकता है? |
तद्धीन फायदा पाने के हकदार किसी भी व्यक्ति द्वारा |
किसी संविदा में दो पक्ष हैं - X और Y यदि Y का देहांत हो जाता है, तो क्या Y का पुत्र विशेष पालन मांग सकता है? |
हाँ, यदि वह उत्तराधिकारी है |
यदि संविदा साझेदार के रूप में की गई हो, तो क्या साथी साझेदार विशेष पालन मांग सकता है? |
हाँ |
किसी आजीवन अभिधारी द्वारा किसी शक्ति के सम्यक् प्रयोग में कोई संविदा की गई हो तो विशेष पालन का दावा कौन कर सकता है? |
शेष भोगी द्वारा |
जबकि किसी कम्पनी ने संविदा की हो और तत्पश्चात् वह किसी दूसरी कम्पनी में समामेलित हो गई हो तो विशेष पालन का दावा कौन कर सकता है? |
तब उस समामेलन से उद्भूत नई कम्पनी द्वारा |
अनुतोष का वैयक्तिक वर्जन (Personal bars to relief) से सम्बंधित धारा कौन सी है? |
धारा 16 |
धारा 16 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
यह निर्धारित करना कि किसे विशेष पालन से वंचित किया जा सकता है |
कौन-सा व्यक्ति धारा 16 के अंतर्गत विशेष पालन का दावा नहीं कर सकता? |
जो स्वयं संविदा तोड़ने वाला हो |
कौन-सा व्यक्ति धारा 16 के अंतर्गत विशेष पालन का दावा नहीं कर सकता? |
जिसने धारा 20 के अधीन संविदा का प्रतिस्थापित पालन अभिप्राप्त कर लिया है |
धारा 16(c) के अनुसार, विशेष पालन पाने के लिए वादी को क्या सिद्ध करना आवश्यक है? |
कि उसने संविदा की सभी शर्तों का पालन किया है या करने के लिए तत्पर है |
वादी ने तत्परता नहीं दिखाई, इसलिए विशेष पालन से वंचित किया गया, किस केस में कहा गया था? |
मंजूनाथ आनंदप्पा बनाम तम्मनसा (2003) |
धारा 16 का कौन-सा खंड तत्परता (Readiness and Willingness) की आवश्यकता को दर्शाता है? |
16(c) |
यदि वादी यह प्रमाणित नहीं कर पाता कि वह संविदा की शर्तों के पालन हेतु तत्पर था, तो क्या होगा? |
विशेष पालन से इनकार कर दिया जाएगा |
तत्परता और इच्छाशक्ति (Readiness and Willingness) सिद्ध करने की ज़िम्मेदारी किस पर होती है? |
वादी पर |
तत्परता और इच्छाशक्ति (Readiness and Willingness) न केवल साबित करनी होती है, बल्कि निरंतर प्रदर्शित भी करनी होती है किस केस में कहा गया था? |
परम पूज्य आचार्य स्वामी गणेश दासजी बनाम सीता राम थापर (1996) |
कौन धारा 16 के अंतर्गत विशेष पालन से वंचित नहीं होगा? |
जिसने सभी शर्तों का पालन किया और तत्पर था |
यदि वादी विशेष पालन का दावा करता है लेकिन उसने पहले ही संविदा का उल्लंघन किया है, तो परिणाम क्या होगा? |
विशेष पालन नहीं मिलेगा |
किस केस में कहा गया था, कि वादी को विशेष पालन का दावा करने के लिए पूरे मुकदमे में तत्पर रहना चाहिए? |
एन.पी. तिरुगननम बनाम डॉ. आर. जगन मोहन राव (1995) |
क्या केवल यह कहना कि मैं संविदा निभाने को तैयार हूँ, पर्याप्त है? |
नहीं, वादी को इसे अपने आचरण से भी सिद्ध करना होता है |
तत्परता (Readiness and Willingness) में किस बात को प्रमुख रूप से देखा जाता है? |
वादी की आर्थिक क्षमता और आचरण |
यदि वादी ने समय पर अनुबंध की शर्तों को पूरा नहीं किया, तो क्या वह धारा 16(c) के अंतर्गत विशेष पालन का हकदार रहेगा? |
नहीं, उसे बार कर दिया जाएगा |
किसी सम्पति के बेचने या पट्टे पर देने की ऐसे व्यक्ति द्वारा संविदा जिसका उस पर कोई हक न हो विनिर्विष्टतः प्रवर्तनीय नहीं है (Contract to sell or let property by one who has no title, not specifically enforceable), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 17 |
धारा 17 के अनुसार, ऐसा व्यक्ति जो संपत्ति पर वैध अधिकार नहीं रखता है, वह: |
संविदा कर सकता है परंतु उसका विशेष पालन प्रवर्तनीय नहीं होगा |
यदि कोई व्यक्ति बिना स्वामित्व के संपत्ति बेचने की या पट्टे पर देने की संविदा करता है, तो उसे कब संविदा का विशेष पालन निषिद्ध है? |
जब उसने यह जानते हुए कि उस सम्पत्ति पर उसका हक नहीं है उसे बेचने की या पट्टे पर देने की संविदा की हो |
धारा 17 किन दो प्रकार की संविदाओं से संबंधित है? |
बिक्री और पट्टा (lease) |
यदि कोई व्यक्ति बिना स्वामित्व के संपत्ति बेचने की संविदा करता है, तो क्या उसे संविदा का विशेष पाल निषिद्ध है? |
निषिद्ध है |
धारा 17 का उद्देश्य क्या है? |
संपत्ति की पारदर्शिता बनाए रखना और ठगी से बचाना |
बिना हक़ संपत्ति बेचने की संविदा से कौन सा केस सम्बंधित है? |
अब्दुल रहीम बनाम एसके। अब्दुल ज़बर (2009) |
क्या कोई ऐसा व्यक्ति जो केवल कब्जाधारी (possessor) है, बिना मालिकाना हक के, विशेष पालन प्राप्त कर सकता है? |
नहीं |
क्या पार्श्व क्रेता (subsequent purchaser) विशेष पालन के लिए पात्र होगा, यदि मूल विक्रेता के पास कोई हक नहीं था? |
नहीं |
धारा 17 किन मामलों में विशेष पालन को प्रतिबंधित करता है? |
जब विक्रेता स्वयं मालिक न हो |
गैर-मालिक की संविदा को प्रवर्तनीय नहीं माना जाएगा, से कौन सा केस सम्बंधित है? |
के. के. वर्मा बनाम भारत संघ (1954) |
धारा 17 किस प्रकार की संपत्ति पर लागू होती है? |
दोनों चल व अचल |
अगर विक्रेता के पास अधिकार नहीं है, लेकिन उसने खरीदार को धोखे में रखा, तो परिणाम क्या होगा? |
विशेष पालन नहीं मिलेगा |
क्या संयुक्त स्वामित्व (Co-ownership) में एक व्यक्ति सभी की ओर से संविदा कर सकता है? |
हाँ, यदि सभी सहमत हों |
धारा 17 के अंतर्गत न्यायालय का रुख किस बात पर निर्भर करता है? |
वैध स्वामित्व के प्रमाण पर |
फेरफार किए बिना अप्रवर्तन (non-enforcement except with variation) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 18 |
धारा 18 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
अनुबंध की फेरबदल की स्थितियों में निष्पादन को नियंत्रित करना |
यदि कोई संविदा पक्षकार की ग़लती, धोखाधड़ी या कदाचार से प्रभावित हो, तो धारा 18 के अनुसार: |
केवल संशोधित शर्तों के अनुसार ही प्रवर्तनीय होगी |
धारा 18 के तहत किस स्थिति में अदालत संविदा को वैरिएशन (variation) के साथ प्रवर्तित कर सकती है? |
जब किसी पक्ष ने अनुचित लाभ उठाया हो |
धोखाधड़ी और फेरफार के वाद विशेष पालन पर न्यायालय की व्याख्या से कौन सा केस सम्बंधित है? |
के.एस. विद्यानदम बनाम वैरावन (1997) |
धारा 18 में कितने प्रकार की स्थितियाँ बताई गई हैं जहाँ विशेष पालन केवल फेरबदल के साथ किया जा सकता है? |
तीन |
यदि किसी पक्ष को अनुबंध के पूर्ण शब्दों की जानकारी नहीं दी गई हो, तो अदालत क्या कर सकती है? |
फेरफार के साथ ही पालन का आदेश दे सकती है |
धारा 18 के अंतर्गत फेरफार का क्या तात्पर्य है? |
अनुबंध की शर्तों में न्यायपूर्ण संशोधन |
फेरफार के बिना विशेष पालन की अस्वीकृति से कौन सा केस सम्बंधित है? |
गोमातम राधाकृष्णैया बनाम गोमातम वेंकटेश्वरलू (1952) |
न्यायालय संविदा को फेरफार के बिना कब लागू नहीं कर सकता है? |
जिस संविदा में कपट, तथ्य की भूल तथा दुर्व्यपदेशन हुआ |
न्यायालय संविदा को फेरफार के बिना कब लागू नहीं कर सकता है? |
जिसमें पक्षकारों के बीच करार किए गए वे सारे निबन्धन अन्तर्विष्ट न हों जिनके आधार पर प्रतिवादी ने संविदा की थी |
न्यायालय संविदा को फेरफार के बिना कब लागू नहीं कर सकता है? |
जहां कि संविदा के निष्पादन के पश्चात् पक्षकारों ने उसके निबन्धनों में फेरफार कर दिया हो |
क्या धारा 18 के अंतर्गत अदालत अनुबंध की मूल शर्तों को बिना दोनों पक्षों की सहमति के संशोधित कर सकती है? |
हाँ, यदि न्याय के हित में हो |
धारा 18 का उद्देश्य क्या सुनिश्चित करना है? |
न्यायपूर्ण संविदा पालन |
यदि किसी पक्ष ने जानबूझकर अनुबंध की कोई शर्त छुपाई, तो विशेष पालन: |
फेरफार के साथ ही किया जाएगा |
क्या धारा 18 केवल लिखित संविदाओं पर लागू होती है? |
नहीं, मौखिक और आंशिक लिखित पर भी लागू होती है |
पक्षकारों के और उनसे व्युत्पन्न पश्चात्वर्ती हक के अधीन दावा करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध अनुतोष (Relief against parties and persons claiming under them by subsequent title) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 19 |
संविदा के विनिर्दिष्ट पालन का प्रवर्तन किसके विरुद्ध कराया जा सकेगा? |
कोई पक्षकार |
समता उस कार्य को करती है जो किया जाना चाहिए’ सिद्धांत किस परिस्थिति में धारा 19 पर लागू होता है? |
जब अनुबंध निष्पादित हुआ हो लेकिन दर्ज न हो |
धारा 19 में पश्चात्वर्ती व्यक्ति (Subsequent Transferee) को कौन-सी स्थिति में संरक्षण नहीं मिलेगा? |
उसे अनुबंध की जानकारी हो |
यदि किसी सीमित दायित्व भागीदारी ने कोई करार किया है और तत्पश्चात् अन्य सीमित दायित्व भागीदारी कम्पनी में समामेलत हो जाती है, तो क्या विनिर्दिष्ट पालन का प्रवर्तन की डिक्री उस पर लागू होती है? |
हाँ |
संविदा का प्रतिस्थापित पालन (Substituted performance of contract) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 20 |
धारा 20 की किस उपधारा में स्पष्ट किया गया है कि प्रतिस्थापित प्रवर्तन के वाद विशिष्ट प्रवर्तन (Specific Performance) का दावा नहीं किया जा सकता? |
धारा 20 (2) |
कौन-सी आवश्यक शर्त है कि किसी संविदा का प्रतिस्थापित प्रवर्तन किया जा सके? |
लिखित नोटिस देना आवश्यक है |
प्रतिस्थापित प्रवर्तन का प्रभाव से कौन सा केस सम्बंधित है? |
टी.वी. जॉर्ज बनाम केरल राज्य |
क्या प्रतिस्थापित प्रवर्तन के वाद क्षतिपूर्ति का दावा किया जा सकता है? |
हाँ, |
यदि 'A' ने 'B' के लिए मकान बनाना स्वीकार किया, और 'A' ने काम अधूरा छोड़ दिया, तो 'B' किन विधिक अधिकारों का प्रयोग कर सकता है? |
प्रतिस्थापित प्रवर्तन द्वारा मकान पूरा करवा सकता है |
कौन-सा केस इस बात को स्पष्ट करता है कि प्रतिस्थापित प्रवर्तन से पूर्व नोटिस देना अनिवार्य है? |
आर.एल. कलथिया बनाम गुजरात राज्य |
धारा 20 के तहत नोटिस देने की समय-सीमा क्या है? |
30 दिन |
यदि कोई व्यक्ति बिना नोटिस दिए प्रतिस्थापित प्रवर्तनकरता है, तो परिणाम क्या होगा? |
उसे क्षतिपूर्ति नहीं मिलेगी |
धारा 20 का संशोधन किस वर्ष में हुआ था जिससे प्रतिस्थापित प्रवर्तन की धारा जोड़ी गई थी? |
2018 |
प्रतिस्थापित प्रवर्तन से कौन-सा सिद्धांत मजबूत होता है? |
अनुबंध का उल्लंघन न करने का |
धारा 20 के तहत क्या पीड़ित पक्षकार व्ययों एवं खचों को वसूल कर सकता है? |
नहीं यदि उसने किसी तीसरे पक्षकार के माध्यम से या स्वयं के अभिकरण द्वारा संविदा का पालन करा लिया हो |
अवसंरचना परियोजना से संबंधित संविदा के लिए विशेष उपबंध (Special provisions for contract relating to infrastructure project), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 20A |
धारा 20(A) को अधिनियम में किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया था? |
अधिनियम संख्या 18, वर्ष 2018 |
धारा 20(A) विशेष रूप से किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जोड़ी गई थी? |
बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में अनुबंधों की निर्बाध पूर्ति सुनिश्चित करने के लिए |
कौन-सा मंत्रालय 'बुनियादी ढांचा परियोजना' की श्रेणियों की अधिसूचना जारी करता है? |
योजना और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय |
धारा 20(A) के संदर्भ में "निषेधादेश नहीं दिया जाएगा" का तात्पर्य है: |
पूर्ण निषेध है – कोई निषेधाज्ञा नहीं |
विशेष न्यायालय (Special Courts) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 20B |
धारा 20(B) को अधिनियम में किस संशोधन द्वारा जोड़ा गया था? |
अधिनियम संख्या 18, वर्ष 2018 |
धारा 20(B) के अनुसार, विशेष न्यायालय का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
अवसंरचना परियोजनाओं से संबंधित संविदाओं के निपटान के लिए |
धारा 20(B) में कौन वाद का विचारण करने के लिए विशेष न्यायालयों के रूप में अभिहित करेगी? |
राज्य सरकार, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति के परामर्श से |
वादों का शीघ्र निपटारा (Expeditious disposal of suits) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 20C |
धारा 20(C) का उद्देश्य क्या है? |
विशेष अनुतोष अधिनियम से संबंधित मुकदमों का समयबद्ध निपटारा सुनिश्चित करना |
धारा 20(C) को किस संशोधन अधिनियम द्वारा जोड़ा गया था? |
अधिनियम संख्या 18, वर्ष 2018 |
यदि कोई मुकदमा धारा 20(C) के तहत 12 महीने में निष्पादित नहीं होता, तो अदालत को क्या करना अनिवार्य है? |
विस्तार का कारण लिखित रूप में दर्ज करना |
किस केस में यह स्पष्ट किया गया कि “जस्टिस डिले इस जस्टिस डिनाइड” की भावना धारा 20(C) में निहित है? |
बिहार राज्य बनाम सुभाष सिंह |
धारा 20(C) किस प्रकार की समय-सीमा के लिए अदालत को बाध्य करती है? |
बाध्यकारी (mandatory) |
धारा 20(C) के तहत निर्धारित समय-सीमा किस प्रकार की न्यायिक प्रक्रिया में लागू होती है? |
केवल विशेषअनुतोष अधिनियम के तहत दायर मुकदमों में |
कौन-सा केस यह बताता है कि न्यायालय को समय-सीमा बढ़ाने से पूर्व पर्याप्त कारण देना आवश्यक है? |
पी. रामचंद्र राव बनाम कर्नाटक राज्य |
धारा 20(C) में उल्लिखित समय सीमा का पालन न करने पर पक्षकार क्या कर सकता है? |
उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल कर सकता है |
धारा 20(C) का अनुपालन सुनिश्चित करने की निगरानी किस संस्था के अंतर्गत होती है? |
उच्च न्यायालय की प्रशासनिक निगरानी |
कतिपय मामलों में प्रतिकर दिलाने की शक्ति (Power to award compensation in certain cases) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 21 |
धारा 21 के अनुसार, यदि अदालत विशिष्ट प्रवर्तन का आदेश देती है, तो वह किस स्थिति में प्रतिकर भी प्रदान कर सकती है? |
यदि प्रतिकर का दावा वादपत्र में किया गया हो |
यदि विनिर्दिष्ट पालन तो अनुदत्त किया जाता है किन्तु उस मामले में न्याय की तुष्टि के लिए इतना ही पर्याप्त नहीं होता तो उस स्तिथि में क्या होगा? |
वादी को कुछ प्रतिकर भी दिया जायेगा |
यदि वादी ने वादपत्र में प्रतिकर का दावा नहीं किया है, तो अदालत क्या कर सकती है? |
वादपत्र में संशोधन की अनुमति दे सकती है |
धारा 21 के अनुसार, यदि अदालत विशिष्ट प्रवर्तन का आदेश नहीं देती, तो वह क्या कर सकती है? |
केवल प्रतिकर का आदेश दे सकती है |
किस मामले में यह निर्णय लिया गया कि प्रतिकर का दावा वादपत्र में होना आवश्यक है? |
मोतीलाल जैन बनाम रामदासी देवी (श्रीमती) और अन्य |
धारा 21 के तहत प्रतिकर का निर्धारण करते समय अदालत को किसे ध्यान में रखना चाहिए? |
दोनों पक्षों की स्थिति |
यदि संविदा विशिष्ट प्रवर्तन के योग्य नहीं है, तो भी धारा 21 के तहत प्रतिकर प्रदान किया जा सकता है। यह किस सिद्धांत पर आधारित है? |
भारतीय अनुबंध अधिनियम, 1872 की धारा 73 |
धारा 21 के तहत प्रतिकर का आदेश देने के लिए अदालत को क्या करना आवश्यक है? |
प्रतिकर का दावा वादपत्र में होना आवश्यक है |
यदि वादी ने वादपत्र में प्रतिकर का दावा नहीं किया है, तो अदालत क्या कर सकती है? |
वादपत्र में संशोधन की अनुमति दे सकती है |
कब्जा, विभाजन, अग्रिम धन के प्रतिदाय आदि के लिए अनुतोष अनुदत्त करने की शक्ति (Power to grant relief for possession, partition, refund of earnest money, etc.), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 22 |
धारा 22 के अनुसार, विशिष्ट प्रवर्तन के मुकदमे में वादी किस अतिरिक्त अनुतोष के लिए आवेदन कर सकता है? |
कब्जा, विभाजन, अग्रिम धन का प्रतिदाय |
धारा 22(1)(b) के तहत, यदि विशिष्ट प्रवर्तन का दावा अस्वीकार कर दिया जाता है, तो वादी किसे प्राप्त कर सकता है? |
अग्रिम धन का प्रतिदाय |
धारा 22(2) के अनुसार, कब्जा या अग्रिम धन का प्रतिदाय तभी प्रदान किया जा सकता है जब वादी ने इसे किसमें दावा किया हो? |
वादपत्र में |
यदि वादी ने वादपत्र में कब्जा या अग्रिम धन का प्रतिदाय का दावा नहीं किया है, तो अदालत क्या कर सकती है? |
वादी को वादपत्र में संशोधन की अनुमति दे सकती है |
किस मामले में यह निर्णय लिया गया कि धारा 22(2) केवल एक प्रक्रिया संबंधी प्रावधान है और इसे न्यायिक विवेक से लागू किया जा सकता है? |
मनिकम थंडापानी बनाम वसंता (2022) |
धारा 22 के तहत, कब्जा और अग्रिम धन का प्रतिदाय किस स्थिति में प्रदान किया जा सकता है? |
केवल जब विशिष्ट प्रवर्तन का दावा अस्वीकार किया जाता है |
किस मामले में यह निर्णय लिया गया कि प्रतिकर का दावा वादपत्र में होना आवश्यक है? |
मोतीलाल जैन बनाम रामदासी देवी (श्रीमती) और अन्य |
धारा 22 के तहत, कब्जा और अग्रिम धन का प्रतिदाय किसे माना जाता है? |
केवल वादी को |
नुकसानी का परिनिर्धारण विनिर्दिष्ट पालन के लिए वर्जन न होगा (Liquidation of damages not a bar to specific performance) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 23 |
धारा 23 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
यह स्पष्ट करना कि निर्धारित क्षतिपूर्ति विशिष्ट पालन से रोकती नहीं है |
यदि पक्षकारों ने संविदा में क्षतिपूर्ति की राशि निर्धारित कर दी हो, तो क्या वादी विशिष्ट प्रवर्तन का दावा कर सकता है? |
हाँ, यदि राशि दंड के रूप में नहीं है बल्कि पालन सुनिश्चित करने हेतु है |
कौन-सा केस इस सिद्धांत को पुष्ट करता है कि दंडात्मक क्षतिपूर्ति का उल्लेख विशिष्ट प्रवर्तनको स्वतः निष्क्रिय नहीं करता? |
फतेह चंद बनाम बालकिशन दास (1964) |
यदि पक्षकारों ने पूर्व-निर्धारित क्षतिपूर्ति तय कर ली है, तो क्या अदालत विशिष्ट प्रवर्तन से इनकार कर सकती है? |
नहीं, जब तक कि यह क्षतिपूर्ति दंड के रूप में न हो |
कौन-सी स्थिति धारा 23 के अंतर्गत विशिष्ट प्रवर्तनको रोकेगी नहीं? |
जब क्षतिपूर्ति की राशि केवल सुरक्षा हेतु हो |
किस केस में यह कहा गया कि सिर्फ यह तथ्य कि संविदा में क्षतिपूर्ति निर्धारित है, यह विशिष्ट पालन से रोक नहीं है? |
ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्प बनाम सॉ पाइप्स लिमिटेड |
विनिर्दिष्ट पालन के वादके खारिज होने के पश्चात् भंग के लिए प्रतिकर के वाद का वर्जन (Bar of suit for compensation for breach after dismissal of suit for specific performance) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 24 |
धारा 24 का उद्देश्य क्या है? |
वादी को दोहरा लाभ पाने से रोकना |
यदि विशिष्ट पालन का वाद न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया है, तो वादी किस प्रकार के दावे से वंचित हो जाता है? |
क्षतिपूर्ति का अलग वाद |
किस केस में कहा गया कि वादी जो विशिष्ट पालन में असफल हो गया है, वह पुनः क्षतिपूर्ति का वाद नहीं ला सकता? |
मंज़ूर अहमद मगरे बनाम गुलाम हसन शेख (2005) |
धारा 24 विशेष रूप से किस स्थिति में लागू होती है?
|
जब विशिष्ट पालन का वाद पहले ही खारिज हो चुका हो |
धारा 24 का प्रभाव क्या होता है? |
वादी को दूसरा प्रतिकर वाद लाने से रोक दिया जाता है |
'बर्खास्तगी के वाद नुकसानीदावे पर रोक' की अवधारणा किस भारतीय कानून में है? |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, धारा 24 |
यदि कोई वादी विशिष्ट पालन में असफल हो गया है, तो क्या वह वाद में उसी संविदा के लिए मुआवज़े का दावा कर सकता है? |
नहीं, धारा 24 इसे निषिद्ध करती है |
धारा 24 का उपयोग मुख्यतः किस सिद्धांत पर आधारित है? |
उपचारों का चुनाव |
किसी वादी द्वारा विशिष्ट पालन के अस्वीकृत होने के वाद क्षतिपूर्ति के नए दावे को अदालत क्यों अस्वीकार करती है? |
क्योंकि उसे पहले से ही अवसर दिया गया था |
धारा 24 वाद का वर्जन कब नहीं होगा? |
किसी अन्य ऐसे अनुतोष के लिए वाद लाने के उसके अधिकार का वर्जन नहीं करेगी जिसका वह ऐसे भंग के कारण हकदार हो |
|
|
पंचाटों का प्रवर्तन और व्यवस्थापनों के निष्पादन के लिए निवेश (Enforcement of Awards and Directions to Execute Settlements) |
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कतिपय पंचाटों को और व्यवस्थापनों को निष्पादित करने की वसीयती निदेशों को पूर्ववर्ती धाराओं का लागू होना (Application of preceding sections to certain awards and testamentary directions to execute settlements), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 25 |
धारा 25 के अंतर्गत 'पुरस्कार’ से तात्पर्य किससे है? |
पंचाट द्वारा दिया गया निर्णय जो मध्यस्थता अधिनियम, 1940 के अधीन नहीं है |
धारा 25 विशेष रूप से किन दो क्षेत्रों में विशिष्ट अनुतोष की धाराओं को लागू करता है? |
पंचाट निर्णय और वसीयत निर्देश |
क्या धारा 25 उन वसीयती निर्देशों पर लागू होती है, जो किसी समझौते के निष्पादन से संबंधित हों? |
हाँ |
किस केस में यह स्पष्ट किया गया कि यदि कोई मध्यस्थता पुरस्कार मध्यस्थता अधिनियम, 1940 के अधीन नहीं है, तो विशिष्टअनुतोष अधिनियम लागू हो सकता है? |
बाबूलाल बनाम हजारी लाल |
क्या धारा 25 केवल भारत में निर्मित वसीयतों पर ही लागू होती है? |
नहीं, विदेश में बनी वसीयतें भी शामिल हो सकती हैं |
धारा 25 किनके लिए लागू होगा? |
पंचाटों, विल या क्रोडपत्र |
किस अध्याय के संविदा विषयक उपबन्ध पंचाटों, विल या क्रोडपत्र को लागू होंगे? |
अध्याय 2 |
क्या किसी पंचाट निर्णय को विशिष्ट अनुतोष अधिनियम की धाराओं के तहत लागू किया जा सकता है, यदि वह सामान्य अदालत के आदेश की तरह है? |
हाँ, यदि वह धारा 25 की शर्तों को पूरा करता है |
धारा 25 किन "पूर्ववर्ती धाराओं" को लागू करने की अनुमति देती है? |
धारा 9 से 24 तक |
धारा 25 का उपयोग कब नहीं किया जा सकता? |
जब पंचाट अधिनियम के अंतर्गत हो |
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अध्याय 3 |
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लिखतों की परिशुद्धि (Rectification Of Instruments) |
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लिखतें कब परिशोधित की जा सकेंगी (When instrument may be rectified), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 26 |
धारा 26 के अनुसार, यदि कोई लिखत पक्षकारों की वास्तविक मंशा को व्यक्त नहीं करता है, तो क्या उसे परिशोधित किया जा सकता है? |
हाँ, यदि वह कपट या पारस्परिक भूल के कारण है |
धारा 26 के तहत, परिशोधन के लिए कौन से कारण आवश्यक हैं? |
कपट या पारस्परिक भूल |
धारा 26 के अनुसार, परिशोधन के लिए कौन से न्यायालय सक्षम हैं? |
सक्षम क्षेत्राधिकार वाला सिविल न्यायालय |
धारा 26 के तहत, यदि कोई लिखत धोखाधड़ी या आपसी भूल के कारण वास्तविक मंशा को व्यक्त नहीं करता है, तो क्या किया जा सकता है? |
उसे परिशोधित किया जा सकता है |
धारा 26 के अनुसार, परिशोधन के लिए किसे आवेदन करना चाहिए? |
कोई भी पक्षकार या उसका प्रतिनिधि |
धारा 26 के तहत, यदि कोई लिखत धोखाधड़ी या आपसी भूल के कारण वास्तविक मंशा को व्यक्त नहीं करता है, तो क्या न्यायालय उसे परिशोधित कर सकता है? |
हाँ, यदि यह तीसरे पक्ष के अधिकारों को प्रभावित नहीं करता |
धारा 26 के अनुसार, परिशोधन के लिए क्या आवश्यक है? |
लिखित आवेदन और न्यायालय की अनुमति |
धारा 26 के अनुसार, परिशोधन के लिए क्या प्रमाण आवश्यक है? |
धोखाधड़ी या आपसी भूल का स्पष्ट प्रमाण |
धारा 26 के तहत, यदि कोई लिखत धोखाधड़ी या आपसी भूल के कारण वास्तविक मंशा को व्यक्त नहीं करता है, तो क्या उसे परिशोधित करने के वाद उसे फिर से पंजीकरण की आवश्यकता है? |
हाँ, यदि वह पंजीकृत लिखत है |
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अध्याय 4 |
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संविदाओं का विखंडन (Rescission Of Contracts) |
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विखंडन कब न्यायनिर्णीत या नामंजूर किया जा सकेगा (When rescission may be adjudged or refused) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 27 |
किस स्थिति में धारा 27 के अंतर्गत न्यायालय संविदा का विखंडन कर सकता है? |
जब संविदा धोखाधड़ी से की गई हो, जब संविदा अनुचित प्रभाव (Undue influence) से की गई हो, जब संविदा का उद्देश्य अवैध हो |
किस केस में कहा गया कि निरसन एक न्यायसंगत उपाय है और यह अधिकार का मामला नहीं है? |
एस. वी. शंकरलिंगा नादर बनाम पोन्नुस्वामी नादर |
धारा 27 के अनुसार, यदि पक्षकारों ने संविदा को स्पष्ट रूप से स्वीकार कर लिया हो, तो क्या विखंडन संभव है? |
नहीं |
क्या न्यायालय किसी आंशिक संविदा को विखंडित कर सकता है? |
हाँ, जब तक वह हिस्सा स्वतंत्र रूप से निष्पादित किया जा सकता है |
यदि एक संविदा में ऐसी शर्तें हों जिन्हें लगातार न्यायालय द्वारा पर्यवेक्षण की आवश्यकता हो, तो क्या संविदा का विखंडन किया जा सकता है? |
नहीं |
धारा 27 का उद्देश्य क्या है? |
पक्षकारों को अनुचित संविदाओं से मुक्ति देना |
यदि कोई पक्ष अनुबंध में हुए धोखे को जानबूझ कर छुपाए, तो क्या न्यायालय विखंडन की अनुमति देगा? |
हाँ, न्यायिक विवेक से |
धारा 27 किस प्रकार के अनुतोष (remedy) से संबंधित है? |
विखंडन (Rescission) |
जहाँ कि संविदा वादी द्वारा शून्यकरणीय या पर्यवसेय हो, तो न्यायलय क्या करेगा? |
न्यायालय द्वारा न्यायनिर्णीत किया जा सकेगा |
जहाँ कि संविदा ऐसे हेतुकों से विधिविरुद्ध हो जो उसके देखने ही से प्रकट नहीं है और प्रतिवादी का दोष वादी से अधिक है। |
न्यायालय द्वारा न्यायनिर्णीत किया जा सकेगा |
जहाँ कि वादी ने अभिव्यक्ततः या विवक्षित संविदा को अनुसमर्थित कर दिया है, तो न्यायलय क्या करेगा? |
न्यायालय संविदा का विखंडन नामंजूर कर सकेगा |
जहाँ कि संविदा के अस्तित्व के दौरान पर व्यक्तियों ने सद्भावपूर्वक सूचना के बिना और मूल्यार्थ अधिकार अर्जित कर लिए हों, तो न्यायलय क्या करेगा? |
न्यायालय संविदा का विखंडन नामंजूर कर सकेगा |
जहाँ कि संविदा के केवल एक भाग का ही विखंडन ईप्सित हो और ऐसा भाग संविदा के शेष भाग से पृथक् न किया जा सकता हो, तो न्यायलय क्या करेगा? |
न्यायालय संविदा का विखंडन नामंजूर कर सकेगा |
स्थावर सम्पत्ति के विक्रय या पट्टे पर दिए जाने के लिए ऐसी संविदाओं का, जिनके विनिर्दिष्ट पालन की डिक्री की जा चुकी हो, कतिपय परिस्थितियों में विखंडन (Rescission in certain circumstances of contracts for the sale or lease of immovable property, the specific performance of which has been decreed), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 28 |
धारा 28 के अनुसार, यदि अनुबंध निरस्त किया जाता है, तो न्यायालय विक्रेता या पट्टेदार से क्या वसूल सकता है? |
संपत्ति से प्राप्त किराया |
यदि अनुबंध निरस्त किया जाता है, तो विक्रेता या पट्टेदार को क्या करना चाहिए |
संपत्ति का पुनः कब्जा प्राप्त करना |
न्यायालय के आदेश के बावजूद यदि खरीदार या पट्टेदार भुगतान नहीं करता है, तो विक्रेता या पट्टेदार को क्या करना चाहिए? |
न्यायालय में आवेदन करना |
यदि अनुबंध निरस्त किया जाता है, तो विक्रेता या पट्टेदार से क्या वसूल सकता है? |
संपत्ति से प्राप्त किराया |
न्यायालय के आदेश के बावजूद यदि खरीदार या पट्टेदार भुगतान नहीं करता है, तो विक्रेता या पट्टेदार को क्या करना चाहिए? |
न्यायालय में आवेदन करना |
यदि अनुबंध निरस्त किया जाता है, तो विक्रेता या पट्टेदार को क्या करना चाहिए? |
संपत्ति का पुनः कब्जा प्राप्त करना |
विनिर्दिष्ट पालन के वाद में विखंडन की अनुकल्पिक प्रार्थना (Alternative prayer for rescission in suit for specific performance), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 29 |
धारा 29 के अंतर्गत, यदि वादी को विशेष पालन न मिले, तो वह क्या वैकल्पिक अनुतोष मांग सकता है? |
अनुबंध विलोपन |
धारा 29 के अंतर्गत वादी विशेष पालन के साथ-साथ किस प्रकार की वैकल्पिक प्रार्थना कर सकता है? |
अनुबंध समाप्ति |
किस केस में सर्वोच्च न्यायालय ने अनुबंध रद्द करने का आधार माना, जब खरीदार ने जानबूझकर समय व्यर्थ किया? |
के.एस. विद्यानदम बनाम वैरावन (1997) |
धारा 29 में दी गई वैकल्पिक प्रार्थना का उपयोग किस स्थिति में किया जाता है? |
जब न्यायालय विशेष पालन देने से इंकार करे |
क्या वादी एक ही वाद में विशेष प्रवर्तन और अनुबंध रद्द करने की प्रार्थना साथ-साथ कर सकता है? |
हाँ, धारा 29 के तहत |
विखंडित कराने वाले पक्षकारों से न्यायालय साम्या बरतने की अपेक्षा कर सकेगा (Court may require parties rescinding to do equity), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 30 |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 की धारा 30 के अनुसार, यदि कोई पक्षकार अनुबंध को निरस्त करता है, तो न्यायालय उससे क्या अपेक्षाएँ कर सकता है? |
अन्य पक्षकार से प्राप्त कोई भी लाभ लौटाना,अन्य पक्षकार को प्रतिकर देना
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धारा 30 के तहत, यदि अनुबंध निरस्त किया जाता है, तो न्यायालय किसे लाभ लौटाने का आदेश दे सकता है? |
केवल उस पक्षकार को जिसने लाभ प्राप्त किया |
धारा 30 के अनुसार, यदि न्यायालय किसी पक्षकार से मुआवजा देने का आदेश देता है, तो वह किस आधार पर होगा? |
अन्य पक्षकार को हुए नुकसान के आधार पर |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 की धारा 30 का उद्देश्य क्या है? |
दोनों पक्षकारों को समान स्थिति में लाना |
यदि अनुबंध निरस्त करने के बाद एक पक्षकार ने दूसरे पक्षकार से प्राप्त लाभ को उपयोग में लाया है, तो न्यायालय क्या कर सकता है? |
उसे लाभ लौटाने का आदेश दे सकता है |
धारा 30 के तहत, यदि एक पक्षकार ने अनुबंध के तहत प्राप्त संपत्ति को नष्ट कर दिया है, तो न्यायालय क्या कर सकता है? |
उसे संपत्ति की कीमत चुकाने का आदेश दे सकता है |
कब रद्दकरण का आदेश दिया जा सकेगा (When cancellation may be ordered), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 31 |
विशिष्ट अनुतोष अधिनियम, 1963 की धारा 31 के अनुसार, रद्दकरण का आदेश किस स्थिति में दिया जा सकता है? |
जब दस्तावेज शून्य और अमान्य हो |
धारा 31 के अनुसार रद्दकरण के आदेश के लिए आवश्यक शर्त क्या है? |
अनुबंध के परिणामस्वरूप किसी पक्षकार को बड़ी हानि हो |
धारा 31 के तहत रद्दकरण का आदेश किस स्थिति में दिया जाता है जब एक पक्षकार ने दस्तावेज को शर्तों का उल्लंघन करते हुए दायर किया हो? |
जब एक पक्षकार दस्तावेज की शर्तों का पालन न करे |
धारा 31 के तहत रद्दकरण का आदेश देने के लिए न्यायालय को किस तत्व का विचार करना चाहिए? |
अनुबंध से किसी एक पक्षकार को हो रही गंभीर हानि |
जब अनुबंध से एक पक्षकार को वित्तीय हानि हुई से सम्बंधित केस कौन सा है? |
एन.एन. कपूर बनाम भारत संघ (1975) |
कौन सी लिखतें भागतः रद्द की जा सकेंगी (What instruments may be partially cancelled), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 32 |
धारा 32 के अनुसार, न्यायालय कब किसी लिखत को भागतः रद्द कर सकता है? |
जब लिखत का कोई भाग वैध और कोई भाग अमान्य हो |
धारा 32 का उद्देश्य क्या है? |
अमान्य हिस्से को समाप्त कर शेष को प्रभाव में बनाए रखना |
न्यायालय कब भागतः रद्द करने का आदेश नहीं देगा? |
जब लिखत विभाज्य न हो |
अगर दस्तावेज़ का अवैध भाग मुख्य विषय से अलग किया जा सकता है तो भागतः रद्द किया जा सकता है, से सम्बंधित केस कौन सा है? |
राजा दुर्गा प्रसाद बनाम राजा दीप चंद (एआईआर 1964 एससी 177) |
"अविभाज्य दस्तावेज" का तात्पर्य क्या है? |
जिसका कोई भाग स्वतंत्र रूप से अलग न किया जा सके |
यदि कोई दस्तावेज़ दो अनुबंधों को जोड़ता है और उनमें से एक अनुबंध अवैध है, तो क्या न्यायालय दूसरे को प्रभावी रख सकता है? |
हाँ, यदि वे विभाज्य हों |
भागतः रद्द करने की शक्ति किस धारा में दी गई है? |
धारा 32 |
धारा 32 के अंतर्गत किस प्रकार की लिखत को रद्द नहीं किया जा सकता? |
जो पूरी तरह वैध हो |
भागतः रद्द करने की मांग किस प्रक्रिया के तहत की जाती है? |
सिविल वाद द्वारा |
दस्तावेज़ का विभाज्य होना से सम्बंधित केस कौन सा है? |
एम.एम. मल्होत्रा बनाम भारत संघ (एआईआर 2005 एससी 2214) |
फायदा प्रत्यावर्तित करने या प्रतिकर दिलाने की अपेक्षा करने की शक्ति जब लिखत रद्द की जाए या उसका शून्य या शून्यकरणीय होने के आधार पर सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया जाए (Power to require benefit to be restored or compensation to be made when instrument is cancelled or is successfully resisted as being void or voidable), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 33 |
धारा 33 का प्रमुख उद्देश्य क्या है? |
दस्तावेज़ से उत्पन्न अनुचित लाभ को संतुलित करना |
यदि कोई पक्ष दस्तावेज़ को शून्य सिद्ध करता है, तो न्यायालय धारा 33 के तहत क्या कर सकता है? |
लाभार्थी से प्राप्त लाभ को वापस लेने का आदेश |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायालय की शक्ति है कि लाभ को निष्पक्षता से वापस लिया जाए? |
सत्य जैन बनाम अनीस अहमद रुश्दी (2013) |
न्यायालय धारा 33 के अंतर्गत किस परिस्थिति में प्रतिकर देने का आदेश देगा? |
जब कोई पक्ष गलत तरीके से लाभ प्राप्त करता है |
यदि लाभ प्राप्त करने वाला पक्ष जानबूझकर अनुचित लाभ उठाता है, तो न्यायालय क्या कर सकता है? |
नुकसान का मुआवजा दिला सकता है |
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अध्याय 6 |
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घोषणात्मक डिक्रियां (Declaratory Decrees) |
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प्रास्थिति की या अधिकार की घोषणा के बारे में न्यायालय का विवेकाधिकार (Discretion of court as to declaration of status or right), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 34 |
कौन सी धारा विशिष्ट राहत अधिनियम की घोषणात्मक डिक्री से संबंधित है? |
धारा 34 |
किस धारा के तहत, न्यायालय एक घोषणात्मक डिक्री जारी कर सकता है, भले ही वादी किसी अन्य अनुतोष की मांग न कर रहा हो? |
धारा 34 |
न्यायालय धारा 34 के तहत एक घोषणात्मक डिक्री जारी कब नहीं करेगा? |
यदि वादी हक की घोषणा के अलावा कोई अनुतोष मांगने के योग्य है, लेकिन ऐसा करने में विफल रहता है। |
धारा 34 का उद्देश्य क्या है? |
घोषणात्मक डिक्री पक्षों के अधिकारों को स्पष्ट करती है |
क्या तत्काल उपचार या दायित्व प्रदान करती है? |
नहीं |
धारा 34 के अंतर्गत ‘नकारात्मक घोषणा’ (Negative Declaration) कब स्वीकार्य हो सकती है? |
जब याचिकाकर्ता के अधिकार को चुनौती दी गई हो |
कौन-सा केस घोषणात्मक अनुतोष पर सुप्रीम कोर्ट का महत्त्वपूर्ण निर्णय है? |
रमेश चंद अरदावतिया बनाम अनिल पंजवानी |
यदि याचिकाकर्ता अपने अधिकार को लेकर अनिश्चित है, और प्रतिवादी दावा करता है कि वह मालिक है, तो कौन-सी याचिका उचित होगी? |
घोषणा याचिका |
घोषणा वाद में सबूत का भार किस पर होता है? |
याचिकाकर्ता पर |
धारा 34 के अंतर्गत कौन-सा सिद्धांत न्यायालयों द्वारा अपनाया गया है? |
अप्रभावी होने पर घोषणा न देने का विवेक |
घोषणा का प्रभाव (Effect of declaration) किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 35 |
धारा 35 के अनुसार, न्यायालय द्वारा की गई घोषणा का क्या प्रभाव होता है? |
यह सभी संबंधित पक्षों पर बाध्यकारी होती है |
क्या धारा 35 के अंतर्गत दी गई घोषणा को निष्पादन (execution) की आवश्यकता होती है? |
नहीं, क्योंकि यह स्व-प्रवर्तनीय होती है |
कौन-सा केस धारा 35 के प्रभाव को स्पष्ट करता है? |
शिवधारी राय बनाम सूरज प्रसाद सिंह |
धारा 35 के अनुसार, घोषणात्मक डिक्री का कार्य: |
पक्षकारों के बीच विवाद को हल करना |
घोषणात्मक डिक्री का सबसे प्रमुख गुण क्या है? |
यह अधिकार की वैधता स्पष्ट करती है |
यदि एक घोषणात्मक डिक्री न्यायालय द्वारा दी जाती है, तो वह किस पर लागू होती है? |
वादी, प्रतिवादी और उनके दावे से संबंधित अन्य पक्षकारों पर |
घोषणात्मक डिक्री में "बंधनकारी प्रकृति" का क्या अर्थ है? |
भविष्य में उसी मुद्दे पर विवाद को रोकने के लिए |
क्या घोषणात्मक डिक्री के पश्चात वादी को निष्पादन हेतु पुनः याचिका देनी होती है? |
नहीं, डिक्री स्वयं प्रभावी होती है |
किस केस में कहा, घोषणात्मक डिक्री अधिकार की स्थिति को प्रमाणित करती है? |
श्योधारी राय बनाम सूरज प्रसाद सिंह (1954) |
क्या घोषणात्मक डिक्री के वाद प्रतिवादी को किसी कार्रवाई से रोका जा सकता है? |
हाँ, क्योंकि घोषणा विधिक रूप से बाध्यकारी होती है |
यदि घोषणात्मक डिक्री को नजर अंदाज़ किया जाए, तो वादी क्या कर सकता है? |
निषेधाज्ञा हेतु याचिका |
घोषणात्मक डिक्री किस प्रकार की अनुतोष का उदाहरण है? |
घोषणात्मक |
क्या घोषणात्मक डिक्री किसी अनुबंध की वैधता पर असर डाल सकती है? |
हाँ, यदि अनुबंध से जुड़ा अधिकार विवादित हो |
घोषणात्मक डिक्री किस प्रकार के विवादों में उपयुक्त मानी जाती है? |
जब विवाद केवल अधिकार की मान्यता तक सीमित हो |
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भाग 3 |
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निवारक अनुतोष (Preventive Relief) |
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अध्याय 7 |
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व्यादेश साधारणत: (Injunctions Generally) |
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निवारक अनुतोष कैसे अनुदत्त किया जाता है (Preventive relief how granted), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 36 |
धारा 36 के अंतर्गत "निवारक अनुतोष" क्या है? |
किसी को कोई कार्य न करने का निर्देश देना |
निवारक अनुतोष किस माध्यम से प्रदान किया जाता है? |
निषेधाज्ञा (Injunction) के रूप में |
निवारक अनुतोष की प्रकृति क्या होती है? |
निषेधात्मक (Restraining) |
कौन-सा केस "निषेधाज्ञा" के सिद्धांत को स्पष्ट करता है? |
गुजरात बॉटलिंग कंपनी लिमिटेड बनाम कोका कोला कंपनी। |
क्या निवारक अनुतोष केवल न्यायालय के विवेक पर निर्भर होता है? |
हाँ, यह पूरी तरह न्यायालय के विवेक पर आधारित है |
धारा 36 के अंतर्गत कौन-सी मुख्य श्रेणियाँ होती हैं? |
अस्थायी निषेधाज्ञा और स्थायी निषेधाज्ञा |
क्या निवारक अनुतोष दिया जा सकता है यदि हानि केवल अनुमानित हो? |
हाँ, यदि न्यायालय संतुष्ट हो |
किस केस में कहा, निषेधाज्ञा तब दी जा सकती है जब निषेध अनुबंध में स्पष्ट हो? |
सुप्रीम कोर्ट में गुजरात बॉटलिंग कंपनी |
क्या निवारक अनुतोष तब भी दिया जा सकता है जब हानि भविष्य में संभावित हो? |
हाँ, संभावित हानि भी पर्याप्त आधार है |
निवारक अनुतोष का उद्देश्य क्या है? |
हानि को होने से रोकना |
क्या सभी प्रकार के कानूनी अधिकारों के उल्लंघन पर निषेधाज्ञा मिल सकती है? |
नहीं, सिर्फ उन मामलों में जहाँ नुकसानीपर्याप्त न हो |
निवारक अनुतोष के लिए कौन-सा कारक आवश्यक नहीं है? |
निषेधाज्ञा का उल्लंघन |
धारा 36 किस प्रकार की रोक का प्रावधान करती है? |
निवारक रोक |
अस्थायी और शाश्वत व्यादेश (temporary and perpetual injunctions), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 37 |
धारा 37 में कितने प्रकार के निरोधक आदेश (injunctions) का उल्लेख है? |
दो प्रकार के |
क्या अस्थायी निरोधक आदेश मुकदमे की अन्तिम सुनवाई तक प्रभावी रहता है? |
हाँ |
धारा 37(1) के अंतर्गत कौन-सा आदेश आता है? |
अनंतिम (अस्थायी) निरोधक आदेश |
शाश्वत व्यादेश (Permanent Injunction) कब दिया जाता है? |
जब किसी विशेष अधिकार का उल्लंघन हो और कोई अन्य उपाय प्रभावी नहीं हो |
यदि कोई व्यक्ति बार-बार किसी की संपत्ति में अतिक्रमण कर रहा है, तो पीड़ित किस प्रकार का आदेश प्राप्त कर सकता है? |
स्थायी आदेश |
स्थायी व्यादेश की किस स्थिति में यथासम्भाव प्रभाव होता है? |
जब भविष्य में संभावित हानि से बचने के लिए इसे लागू किया जाए |
यदि किसी पक्ष को स्थायी व्यादेश दिया जाता है, तो यह किस प्रकार के मामलों में आमतौर पर लागू होता है? |
किसी विशेष कानूनी अधिकार के उल्लंघन की स्थिति में |
न्यायालय स्थायी व्यादेश देने से पहले किन बातों को ध्यान में रखता है? |
क्या प्रतिवादी का कार्य गलत है और वादी को कोई विकल्प उपलब्ध नहीं है |
किन परिस्थितियों में न्यायालय शाश्वत व्यादेश (perpetual injunction) देता है? |
जब कोई पक्ष एक विशेष सीमा पार कर चुका हो और कोई कानूनी विकल्प न हो |
स्थायी व्यादेश देने के वाद यदि कोई पक्षकार उसे लागू करने में विफल रहता है तो क्या होगा? |
उसे दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा |
क्या स्थायी व्यादेश न्यायालय द्वारा लागू किए जाते समय तत्काल प्रभाव से लागू होते हैं? |
हाँ, यदि वादी का अधिकार निश्चित हो |
स्थायी व्यादेश का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
किसी कार्य को स्थायी रूप से न करने का आदेश देना |
क्या न्यायालय स्थायी व्यादेश में किसी व्यक्ति को कोई कार्य करने का आदेश दे सकता है? |
हाँ, यदि वह कार्य किसी कानूनी दायित्व के अंतर्गत आता हो |
क्या स्थायी व्यादेश का उल्लंघन होने पर मुआवज़े की व्यवस्था की जा सकती है? |
हाँ, यदि पक्षकार को हानि हुई हो |
क्या स्थायी व्यादेश के मामले में अपील की जा सकती है? |
हाँ, लेकिन केवल उच्च न्यायालय से |
धारा 37 के तहत स्थायी व्यादेश के मामले में वादी को क्या दिखाना होता है? |
कि उसका अधिकार स्थापित है और नुकसान की संभावना है |
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अध्याय 8 |
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शाश्वत व्यादेश (Perpetual Injunctions) |
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शाश्वत व्यादेश कब अनुदत्त किया जाता है (Perpetual injunction when granted), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 38 |
शाश्वत व्यादेश कब दिया जाता है? |
जब किसी अधिकार का उल्लंघन हो और वादी को अन्य कोई उपाय नहीं मिल रहा हो |
शाश्वत व्यादेश देने के लिए न्यायालय को क्या साबित करने की आवश्यकता होती है? |
कि प्रतिवादी द्वारा वादी के अधिकार का उल्लंघन किया गया है |
शाश्वत व्यादेश का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
वादी के अधिकार की स्थायिता बनाए रखना और निषेध करना |
शाश्वत व्यादेश को लागू करने से पहले न्यायालय को किन बातों का विचार करना चाहिए? |
कि वादी का अधिकार सही तरीके से स्थापित है और कोई अन्य उपाय संभव नहीं है |
शाश्वत व्यादेश को रद्द करने का आदेश कब दिया जा सकता है? |
जब वादी की स्थिति स्पष्ट नहीं हो |
शाश्वत व्यादेश के तहत न्यायालय द्वारा क्या आदेश दिया जा सकता है? |
किसी कार्य को स्थायी रूप से न करने का आदेश देना |
किस केस में कोर्ट ने शाश्वत व्यादेश देने का आदेश दिया था ताकि अधिकारों का उल्लंघन न हो? |
के.के. वर्मा बनाम भारत संघ (1965) |
शाश्वत व्यादेश के उल्लंघन पर क्या कार्रवाई की जा सकती है? |
दंडात्मक कार्रवाई और जेल की सजा |
क्या शाश्वत व्यादेश न्यायालय द्वारा लागू होते समय वह सभी मामलों में प्रभावी होता है? |
नहीं, यह केवल विशेष प्रकार के मामलों में लागू होता है |
यदि शाश्वत व्यादेश के तहत कोई कार्य किया जाता है, तो इसका प्रभाव कितना समय तक रहता है? |
हमेशा के लिए |
शाश्वत व्यादेश के अंतर्गत न्यायालय किस प्रकार के आदेश दे सकता है? |
किसी कार्य को न करने का आदेश |
क्या शाश्वत व्यादेश केवल संपत्ति के मामलों में ही लागू होता है? |
नहीं, यह किसी भी अधिकार के उल्लंघन के मामले में लागू हो सकता है |
शाश्वत व्यादेश देने से पहले न्यायालय के पास कौन सा अधिकार होता है? |
वादी के अधिकार को स्थायी रूप से सुनिश्चित करने का |
क्या शाश्वत व्यादेश न्यायालय द्वारा दिए जाने के वाद प्रतिवादी को अपील करने का अधिकार है? |
हाँ, लेकिन केवल एक बार |
यदि शाश्वत व्यादेश लागू करने के वाद प्रतिवादी उसे पालन नहीं करता है तो क्या होगा? |
न्यायालय द्वारा दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है |
आज्ञापक व्यादेश (Mandatory injunctions), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 39 |
आज्ञापक व्यादेश (Mandatory injunctions), क्यों दिया जाता है? |
किसी बाध्यता के भंग का निवारण करने के लिए |
आज्ञापक व्यादेश (Mandatory Injunction) क्या है? |
न्यायालय का आदेश है जिसमें किसी व्यक्ति को एक विशेष कार्य करने का आदेश दिया जाता है |
आज्ञापक व्यादेश (Mandatory Injunction) के तहत न्यायालय क्या आदेश दे सकता है? |
किसी कार्य को करने का आदेश |
आज्ञापक व्यादेश (Mandatory Injunction) किस स्थिति में दिया जाता है? |
जब किसी विशेष कार्य को करने का आदेश देना आवश्यक हो |
न्यायालय आज्ञापक व्यादेश (Mandatory Injunction) देने से पहले किन बातों का विचार करता है? |
क्या वादी का अधिकार स्पष्ट है और कार्य के लिए आदेश देना उचित है |
आज्ञापक व्यादेश (Mandatory Injunction) को किसे लागू किया जा सकता है? |
किसी भी व्यक्ति या संस्था को जो कार्य करने के लिए बाध्य हो |
आज्ञापक व्यादेश की प्रकृति क्या होती है? |
एक बार दिए जाने पर स्थायी होती है |
आज्ञापक व्यादेश को लागू करने के लिए न्यायालय को किन स्थितियों में आदेश देने की आवश्यकता होती है? |
जब कोई कार्य उचित कारण से किया जाना आवश्यक हो |
क्या आज्ञापक व्यादेश केवल नागरिक मामलों में लागू होता है? |
नहीं, यह किसी भी कानूनी अधिकार के उल्लंघन में लागू हो सकता है |
आज्ञापक व्यादेश के उल्लंघन पर क्या कार्रवाई की जा सकती है? |
दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है |
क्या आज्ञापक व्यादेश का उल्लंघन एक आपराधिक अपराध माना जा सकता है? |
हाँ, यदि व्यादेश का उल्लंघन किया जाए तो यह अपराध हो सकता है |
आज्ञापक व्यादेश के तहत किस प्रकार का कार्य किया जाता है? |
किसी कार्य को निष्पादित करना |
आज्ञापक व्यादेश देने से पहले क्या न्यायालय यह सुनिश्चित करता है कि प्रतिवादी पर कार्य करने का दबाव सही है? |
हाँ, यह सुनिश्चित किया जाता है कि वादी का अधिकार सुस्पष्ट है और कार्य से संबंधित आदेश जारी करना उचित है |
व्यादेश के स्थान पर या उसके अतिरिक्त नुकसानी (Damages in lieu of, or in addition to, injunction), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 40 |
धारा 40 के अधीन नुकसानी का कोई अनुतोष कब तक नहीं दिया जाएगा? |
जब तक कि वादी ने अपने वादपत्र में ऐसे अनुतोष का दावा न किया हो |
जहाँ कि वादपत्र में ऐसी किसी भी नुकसानी का दावा न किया गया हो वहाँ न्यायालय क्या करेगा? |
कार्यवाही के किसी भी प्रक्रम में, वादपत्र का संशोधन करने के लिए ऐसे निबन्धनों पर अनुज्ञा देगा जैसे न्याससंगत हों। |
धारा 40 के तहत, न्यायालय किस स्थिति में व्यादेश के स्थान पर नुकसानी (compensation) का आदेश देता है? |
जब किसी कार्य को रोकना न्यायालय के लिए संभव न हो |
व्यादेश के स्थान पर नुकसानी का आदेश देने का उद्देश्य क्या होता है? |
वादी को आर्थिक रूप से नुकसान की भरपाई करना |
न्यायालय व्यादेश के स्थान पर नुकसानी क्यों प्रदान कर सकता है? |
जब कार्य को रोकना असंभव हो और नुकसानीअधिक उचित उपाय हो |
धारा 40 के तहत नुकसानी देने का आदेश देने के बाद, क्या न्यायालय व्यादेश देने के लिए आदेशित कर सकता है? |
हाँ, यदि नुकसानी असंतोषजनक साबित हो |
यदि वादी के पास व्यादेश देने के लिए कोई ठोस कानूनी आधार नहीं है, तो क्या न्यायालय मुआवज़े का आदेश दे सकता है? |
हाँ, न्यायालय मुआवज़े का आदेश दे सकता है यदि अन्य उपाय प्रभावी न हों |
क्या न्यायालय धारा 40 के तहत नुकसानीदेने के साथ-साथ व्यादेश भी दे सकता है? |
हाँ, यदि नुकसानीपर्याप्त न हो तो व्यादेश भी दिया जा सकता है |
अगर मुआवज़े का आदेश दिया गया हो और वह राशि असंवेदनशील या गलत हो, तो क्या उसे पुनः संशोधित किया जा सकता है? |
हाँ, न्यायालय नए तथ्यों या परिस्थितियों के आधार पर मुआवज़े को संशोधित कर सकता है |
धारा 40 के तहत, क्या मुआवज़े की राशि की गणना सिर्फ वादी द्वारा प्रस्तुत कागजात पर की जाती है? |
नहीं, न्यायालय विभिन्न तथ्यों और परिस्थितियों का मूल्यांकन करता है |
क्या मुआवज़े के आदेश के वाद व्यादेश का आदेश पुनः लागू किया जा सकता है? |
हाँ, अगर मुआवज़े का लाभ वादी को नहीं मिलता |
न्यायालय किस परिस्थितियों में मुआवज़े के बजाय व्यादेश देने का आदेश दे सकता है? |
जब नुकसानी पर्याप्त न हो और वादी का अधिकार स्पष्ट हो |
धारा 40 के तहत व्यादेश के स्थान पर नुकसानी देने का क्या उद्देश्य है? |
वादी को न्याय दिलाना और उसके नुकसान की भरपाई करना |
अगर नुकसानी न्यायालय के द्वारा दिया गया है, तो क्या वह स्थायी होता है? |
यह न्यायालय के विवेकाधिकार पर निर्भर करता है |
व्यादेश कब नामंजूर किया जाता है (Injunction when refused), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 41 |
धारा 41 के तहत, न्यायालय व्यादेश का आदेश देने से कब इनकार कर सकता है? |
जब व्यादेश से कोई प्रभावी परिणाम नहीं हो सकता |
धारा 41 के अनुसार, यदि वादी पहले ही अपने अधिकार का उल्लंघन कर चुका है तो क्या न्यायालय व्यादेश का आदेश दे सकता है? |
नहीं, जब वादी ने अधिकार का उल्लंघन किया हो तो व्यादेश नहीं दिया जा सकता |
धारा 41 के तहत, जब व्यादेश से सार्वजनिक हित को नुकसान होने का डर हो तो न्यायालय क्या कर सकता ह? |
व्यादेश देने से इनकार कर सकता है |
न्यायालय व्यादेश का आदेश देने से क्यों इनकार कर सकता है यदि वादी का दावा कानूनी रूप से कमजोर हो? |
क्योंकि व्यादेश केवल मजबूत दावे पर दिया जा सकता है |
क्या धारा 41 के तहत, न्यायालय वादी के अधिकार का उल्लंघन होने के बावजूद व्यादेश का आदेश दे सकता है? |
नहीं, अगर वादी ने खुद अपने अधिकार का उल्लंघन किया हो |
धारा 41 के तहत, यदि वादी के पास कोई वैध कानूनी अधिकार नहीं है, तो क्या न्यायालय व्यादेश का आदेश दे सकता है? |
नहीं, व्यादेश तब तक नहीं दिया जा सकता जब तक वादी के पास वैध कानूनी अधिकार न हो |
यदि वादी का दावा असंवेदनशील है तो न्यायालय क्या कर सकता है? |
व्यादेश देने से इनकार कर सकता है
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क्या धारा 41 के तहत न्यायालय इस आधार पर व्यादेश का आदेश देने से इनकार कर सकता है कि उससे कोई लाभ नहीं मिलेगा? |
हाँ, व्यादेश तभी दिया जा सकता है जब उससे वादी को स्पष्ट लाभ हो |
क्या धारा 41 के तहत, न्यायालय केवल वादी की स्थिति को ही ध्यान में रखते हुए व्यादेश का आदेश दे सकता है? |
नहीं, न्यायालय को केवल कानूनी आधारों का ध्यान रखना होता है |
क्या धारा 41 के तहत न्यायालय व्यादेश के आदेश को निरस्त कर सकता है अगर उसे लगता है कि किसी अन्य उपाय से अधिक प्रभावी समाधान हो सकता है? |
हाँ, अगर अन्य उपाय अधिक प्रभावी हों |
नकारात्मक करार के पालन का व्यादेश (Injunction when refused), किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 42 |
धारा 42 के अनुसार, नकारात्मक करार क्या होता है? |
वह करार जिसमें किसी पक्ष को कुछ न करने का वादा होता है |
न्यायालय कब नकारात्मक करार के पालन के लिए व्यादेश दे सकता है? |
जब सकारात्मक करार को लागू नहीं किया जा सकता, पर नकारात्मक करार लागू हो सकता है |
जब सकारात्मक करार को लागू नहीं किया जा सकता, पर नकारात्मक करार लागू हो सकता है, क्या उस स्थिति में नकारात्मक करार लागू हो सकता है? |
हाँ |
कौन-सा केस धारा 42 पर आधारित है जिसमें नकारात्मक करार को लागू किया गया? |
लुमली बनाम वैगनर |
क्या अदालत किसी व्यक्ति को नकारात्मक करार के उल्लंघन से रोक सकती है यदि उसने सकारात्मक भाग पूरा नहीं किया? |
हाँ, यदि सकारात्मक भाग लागू नहीं किया जा सकता |
नकारात्मक करार पर व्यादेश देने के संबंध में कौन-सा कथन सत्य है? |
यह एक अनुबंध की स्वतंत्र धाराओं को लागू करने के लिए प्रयुक्त होता है |
क्या न्यायालय ऐसे व्यक्ति के खिलाफ नकारात्मक करार लागू कर सकता है जो करार का उल्लंघन कर चुका हो? |
हाँ, यदि उल्लंघन से वादी को अपूरणीय क्षति हो रही हो |
किस प्रसिद्ध भारतीय केस में यह माना गया कि व्यक्तिगत सेवा अनुबंधों में नकारात्मक करार लागू किया जा सकता है? |
गुजरात बॉटलिंग कंपनी लिमिटेड बनाम कोका कोला कंपनी। |
यदि किसी अनुबंध में नकारात्मक शर्त है, और सकारात्मक शर्त का विशेष पालन संभव नहीं है, तो न्यायालय क्या कर सकता है? |
नकारात्मक शर्त के पालन हेतु व्यादेश जारी कर सकता है |