(Bharatiya Sakshya Adhiniyam 2023) |
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2023 का अधिनियम संख्या 47 (Act No. 47 of 2023) |
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इस अधिनियम को क्या कहा जाता है? |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 का अधिनियम क्रमांक (Act no.) क्या है? |
2023 का 47 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 को राष्ट्रपति की स्वीकृति कब प्राप्त हुई? |
25 दिसंबर, 2023 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 विधेयक लोकसभा में कब पारित किया गया? |
20 दिसंबर 2023 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 विधेयक राज्यसभा में कब पारित किया गया? |
21 दिसंबर 2023 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के लागू होने की तिथि क्या है? |
1 जुलाई 2024 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 किस अधिनियम का प्रतिस्थापन है? |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 में कितनी धाराएं एवं अध्याय निहित हैं? |
170 धाराएं तथा 12 अध्याय |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 को कितने भागों में विभाजित किया गया? |
4 |
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भाग 1 (Part I) |
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अध्याय 1 (Chapter 1) |
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प्रारंभिक (Preliminary) |
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भारतीय न्याय संहिता 2023 के (अध्याय-1) 'प्रारंभिक' (Preliminary) के अंतर्गत कौन- कौन सी धाराएं आती हैं? |
धारा 1 से 2 तक |
भारतीय न्याय संहिता, 2023 कौन सी धारा संक्षिप्त नाम, प्रारम्भ और लागू होना (Short title, application and commencement) से संबंधित है ? |
धारा 1 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 भारत के किन भागों पर लागू होता है? |
सम्पूर्ण भारत |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के अंतर्गत "लागू होना" (Application) किस पर प्रभाव डालता है? |
न्यायालयों में साक्ष्य की स्वीकार्यता पर |
किस निर्णय में यह स्पष्ट किया गया कि "नवीन अधिनियम लागू होने के पश्चात् पुराने अधिनियम की प्रक्रियाएं अमान्य हो जाती हैं"? |
रतन लाल बनाम पंजाब राज्य
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जब कोई नया अधिनियम पूर्व अधिनियम का प्रतिस्थापन करता है, तो पूर्वलंबित मामलों पर उसका क्या प्रभाव होगा? |
पुराने अधिनियम के अनुसार ही निपटाए जाएंगे |
भारतीय न्याय संहिता, 2023 कहाँ लागू नहीं होता? |
शपथ पत्रों को, मध्यस्थ के समक्ष कार्यवाहियों को |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 क्या सेना न्यायलय पर लागू होता है? |
हाँ |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 की कौन सी धारा ‘न्यायालय’(Court) को परिभाषित करती है? |
धारा 2(1)(क) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 2(क) में “न्यायालय”(Court) किसे कहा गया है? |
ऐसा व्यक्ति या संस्था जो विधिक रूप से साक्ष्य को ग्रहण करने और निर्णय देने के लिए सक्षम |
क्या पंचायत (Panchayat) साक्ष्य अधिनियम के अधीन न्यायालय मानी जाएगी? |
नहीं |
किस निर्णय में न्यायालय ने कहा कि “Investigation Officer is not a Court”? |
पंजाब राज्य बनाम बरकत राम |
अर्ध-न्यायिक निकाय (Quasi-judicial body) क्या न्यायालय की श्रेणी में आती है? |
हाँ, यदि वह साक्ष्य लेती और निर्णय देती है |
Tribunals” को न्यायालय (Court) की परिभाषा में शामिल करने के लिए कौन-सा केस मार्गदर्शक है? |
एल. चंद्र कुमार बनाम भारत संघ
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 'न्यायालय'(Court) शब्द के अंतर्गत कौन कौन शामिल है? |
सभी न्यायाधीश, सभी मजिस्ट्रेट, माध्यस्थ को छोड़कर साक्ष्य ग्रहण करने हेतु प्राधिकृत समस्त व्यक्ति |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की कौन सी धारा निश्चायक सबूत’ (conclusive proof) को परिभाषित करती है? |
धारा 2(1)(ख) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 2(ख) में “निश्चायक सबूत” (Conclusive Proof) किसे कहा गया है? |
जिसे अंतिम और निर्विवाद रूप से सत्य माना जाता है |
क्या “निश्चायक सबूत” (Conclusive Proof) के विरुद्ध प्रतिकूल साक्ष्य प्रस्तुत किया जा सकता है? |
नहीं |
निश्चायक सबूत’ (Conclusive Proof) का क्या प्रभाव होता है? |
न्यायालय उस तथ्य को सिद्ध मानता है |
विवाह का पंजीकरण प्रमाण पत्र (जहाँ विधि कहे कि यह निश्चायक है) क्या माना जायेगा? |
निश्चायक सबूत (Conclusive Proof) |
क्या न्यायालय “निश्चायक सबूत(Conclusive Proof) की सच्चाई की जांच कर सकता है? |
नहीं |
“निश्चायक सबूत (Conclusive Proof) शब्द का उपयोग भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 में किस प्रकार के प्रावधानों में किया गया है? |
जब कोई तथ्य विधि द्वारा निर्विवाद रूप से सिद्ध माना गया हो |
निश्चायक सबूत (Conclusive Proof) का तात्पर्य है कि उस तथ्य को कभी चुनौती नहीं दी जा सकती, यह किस केस में निर्णीत किया गया? |
भींका बनाम चरण सिंह एआईआर 1959 एससी 960 |
निश्चायक सबूत (Conclusive Proof) का विधिक परिणाम क्या होता है कि न्यायालय केवल तथ्यों पर विचार करता है, यह किस केस में निर्णीत किया गया? |
बिहार राज्य बनाम राधा कृष्ण सिंह एआईआर 1983 एससी 684 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की कौन सी धारा नासाबित’(disproved) को परिभाषित करती है? |
धारा 2(1)(ग) |
नासाबित’(disproved) का क्या तात्पर्य है? |
वह तथ्य जो साबित नहीं किया गया है |
नासाबित’(disproved) का सही अर्थ क्या है? |
ऐसा तथ्य जिसका अस्तित्व असत्य प्रतीत होता है |
कौन-सा कथन नासाबित’(disproved) के लिए उपयुक्त है? |
तथ्य जो झूठा या अविश्वसनीय प्रतीत होता है |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की कौन सी धारा दस्तावेज़ (document) को परिभाषित करती है? |
धारा 2(1)(घ) |
दस्तावेज़ (document) में इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को सम्मिलित करने का प्रावधान किस अधिनियम के तहत है? |
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 |
दस्तावेज़”(document) का क्या अभिप्राय है? |
कोई भी माध्यम जिससे विचार या विषय समझा जा सके |
क्या मानचित्र, आरेख, और वीडियो दस्तावेज़”(document) की परिभाषा में आता है? |
हाँ |
दस्तावेज़(document)” और “साक्ष्य” में प्रमुख अंतर क्या है? |
दस्तावेज़ साक्ष्य का भाग हो सकता है |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड प्रमाण के रूप में मान्य हैं? |
राज्य (एनसीटी दिल्ली) बनाम नवजोत संधू @ अफसान गुरु (2005) |
यदि कोई ऑडियो रिकॉर्डिंग किसी आरोपी के कथन को दर्शाती है, तो क्या वह “दस्तावेज़”(document) मानी जाएगी? |
हाँ, यदि वह प्रमाणिक रूप से प्रस्तुत हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की कौन सी धारा "साक्ष्य"(evidence)को परिभाषित करती है? |
धारा 2(1)(ड़) |
साक्ष्य"(evidence) की परिभाषा में कौन-कौन से प्रकार शामिल हैं? |
मौखिक गवाही दस्तावेज़ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड |
न्यायालय किसे साक्ष्य"(evidence) मान सकता है? |
केवल वही सामग्री जो उसे तथ्य पर विश्वास दिलाने में सहायक हो |
मौखिक साक्ष्य और दस्तावेज़ीय साक्ष्य में क्या मुख्य अंतर है? |
दस्तावेज़ीय साक्ष्य को लिखित रूप में प्रस्तुत किया जाता है |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य"(evidence) के बारे में कहा गया डिजिटल साक्ष्य की उपेक्षा न्यायिक चूक होगी? |
टॉमसो ब्रूनो बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2015) |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य उतना ही महत्वपूर्ण हो सकता है जितना प्रत्यक्ष साक्ष्य? |
किशन चंद बनाम हरियाणा राज्य (2013) |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि ईमेल और कॉल लॉग्स को साक्ष्य"(evidence) के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है? |
नवजोत संधू बनाम अफसान गुरु (2005) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की कौन सी धारा " तथ्य"(fact) को परिभाषित करती है? |
धारा 2(1)(च) |
तथ्य"(fact) जिसे साबित किया जाना हो, उसे क्या कहा जाता है? |
फैक्टम प्रोबैन्डम (Factum Probandum) |
ऐसी कोई वस्तु, वस्तुओं की अवस्था या वस्तुओं का सम्बन्ध, जो इन्द्रियों द्वारा बोधगम्य हो कोई मानसिक दशा, जिसका भान किसी व्यक्ति को हो क्या कहलाता है? |
तथ्य (fact) |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि, मानसिक अवस्था आचरण से साबित की जा सकती है? |
महाराष्ट्र राज्य बनाम सुखदेव सिंह (1992) |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि, मानसिक स्थिति भी तथ्य"(fact) है? |
पकाला नारायण स्वामी बनाम सम्राट (1939) |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि, इरादे को आचरण से जानने के सिद्धांत से सम्बंधित कौन सा केस है? |
क़्वीन इम्प्रेस बनाम अब्दुल्ला (1885) |
यह कि अमुक स्थान में अमुक क्रम से अमुक पदार्थ व्यवस्थित हैं, क्या एक तथ्य है |
हाँ |
यह कि किसी व्यक्ति ने अमुक शब्द कहा, क्या एक तथ्य"(fact) है? |
हाँ |
यह कि कोई मनुष्य अमुक राय रखता है, अमुक आशय रखता है, सद्भावपूर्वक या कपटपूर्वक कार्य करता है, या किसी विशिष्ट शब्द को विशिष्ट भाव में प्रयोग करता है, या उसे किसी विशिष्ट संवेदना का भान है या किसी विनिर्दिष्ट समय में था, क्या एक तथ्य"(fact) है? |
हाँ |
यह कि किसी व्यक्ति ने कुछ सुना या देखा यह क्या है? |
एक तथ्य"(fact) है |
ऐसी कोई वस्तु, वस्तुओं की अवस्था या वस्तुओं का सम्बन्ध, जो इंद्रियों द्वारा बोधगम्य हों, को क्या कहा जाता है? |
तथ्य"(fact) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की कौन सी धारा "विवाद्यक तथ्य "(Facts in issue) को परिभाषित करती है? |
धारा 2(1)(छ) |
तथ्य, जो स्वयं से, या अन्य तथ्यों के संसर्ग में किसी ऐसे अधिकार, दायित्व या निर्योग्यता के, जिसका किसी वाद या कार्यवाही में प्राख्यान या प्रत्याख्यान किया गया है, आता है, अस्तित्व, अनस्तित्व, प्रकृति या विस्तार की उत्पत्ति अवश्यमेव होती है, क्या कहलाता है? |
"विवाद्यक तथ्य " (Facts in issue) |
'विवाद्यक तथ्य' (Facts in issue) का क्या अर्थ है? |
वह तथ्य जिसे कोई पक्ष प्रमाणित करने का प्रयास कर रहा हो, लेकिन दूसरा पक्ष उसका विरोध कर रहा हो। |
विवाद्यक तथ्य'(Facts in issue) को प्रमाणित करने के लिए किसे प्रस्तुत किया जाना चाहिए? |
मौखिक और दस्तावेजी दोनों प्रकार के साक्ष्य। |
किस प्रकार के साक्ष्य 'विवाद्यक तथ्य'(Facts in issue) को प्रमाणित करने के लिए प्रस्तुत किए जा सकते हैं? |
मौखिक, दस्तावेजी और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य। |
'विवाद्यक तथ्य'(Facts in issue) के संबंध में न्यायालय के निर्णय में किसका पालन किया जाता है? |
साक्ष्य और कानून दोनों का। |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की कौन सी धारा "उपधारणा कर सकेगा"(may presume) को परिभाषित करती है? |
धारा 2(1)(ज) |
न्यायालय या तो ऐसे तथ्य को साबित हुआ मान सकेगा, यदि और जब तक वह नासाबित नहीं किया जाता है, या उनके सबूत की मांग कर सकेगा, क्या कहलाता है? |
"उपधारणा कर सकेगा" (may presume) |
न्यायालय द्वारा उपधारणा करने का आदेश देने पर, पक्षकार को क्या करना चाहिए? |
साक्ष्य प्रस्तुत करना आवश्यक है। |
"उपधारणा कर सकेगा"(may presume) के अंतर्गत न्यायालय द्वारा उपधारणा किए गए तथ्य को कौन चुनौती दे सकता है? |
कोई भी पक्षकार। |
न्यायालय द्वारा उपधारणा किए गए तथ्य को प्रमाणित मानने के लिए क्या आवश्यक है? |
साक्ष्य का प्रस्तुत होना। |
न्यायालय द्वारा उपधारण किए गए तथ्य को अस्वीकारित करने के लिए किसे प्रस्तुत करना आवश्यक है? |
कोई भी पक्षकार। |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की कौन सी धारा "साबित नहीं हुआ"(not proved) को परिभाषित करती है? |
धारा 2(1)(झ) |
"साबित नहीं हुआ"(not proved) का क्या अर्थ है? |
वह तथ्य जिसे न तो प्रमाणित किया गया हो और न अस्वीकारित। |
"साबित नहीं हुआ"(not proved) स्थिति में न्यायालय का क्या कर्तव्य है? |
न्यायालय उस तथ्य के लिए साक्ष्य प्रस्तुत करने का आदेश दे सकता है। |
"साबित नहीं हुआ"(not proved) स्थिति में पक्षकार को क्या करना चाहिए? |
साक्ष्य प्रस्तुत करना आवश्यक है। |
"साबित नहीं हुआ" (not proved) स्थिति में न्यायालय के निर्णय में किसका पालन किया जाता है? |
साक्ष्य और कानून दोनों का। |
किस केस में कोर्ट ने कहा कि यदि परिस्थिति साक्ष्य केवल एक निष्कर्ष की ओर न ले जाकर अन्य संभावनाएं भी खोलती है, तो मामला साबित नहीं हुआ"(not proved) माना जाएगा? |
शरद बिरधीचंद सारदा बनाम महाराष्ट्र राज्य (1984) |
जब वह न तो साबित किया गया हो और न नासाबित,क्या कहलाता है? |
साबित नहीं हुआ (not proved)
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम की कौन सी धारा "साबित"(proved) को परिभाषित करती है? |
धारा 2(1)(ञ) |
"साबित"(proved) का क्या अर्थ है? |
जब न्यायालय, साक्ष्य के आधार पर उस तथ्य के अस्तित्व में विश्वास करता है। |
कौन-सा विकल्प "साबित"(proved) की शर्त को पूरा करता है? |
साक्ष्य की मात्रा पर्याप्त है जिससे न्यायालय को तथ्य की संभावना प्रतीत होती है। |
न्यायालय किस आधार पर किसी तथ्य को “साबित” (proved) मानता है? |
प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर |
डीएनए साक्ष्य तथ्य को “साबित” (proved) करने के लिए पर्याप्त है, किस मामले में मामले कोर्ट ने कहा? |
नंदलाल वासुदेव बद्वाइक बनाम लता नंदलाल बद्वाइक (2014) |
जब कोई तथ्य "साबित"(proved) होता है, तो उसका न्यायालय पर क्या प्रभाव होता है? |
वह निर्णय का आधार बन सकता है। |
यदि किसी तथ्य के समर्थन में केवल अनुमान हो, साक्ष्य नहीं हो, तो क्या वह "साबित"(proved) माना जाएगा? |
नहीं |
"साक्ष्य इतनी मात्रा में हो कि न्यायालय मान ले कि तथ्य का अस्तित्व संभव है", यह किस शब्द से जुड़ा है? |
साबित (proved) |
क्या "साबित" (proved) होने के लिए न्यायालय का विश्वास आवश्यक है? |
हाँ, साक्ष्य के आधार पर |
यदि कोई तथ्य "साबित"(proved) नहीं होता है, तो उसे क्या माना जाएगा? |
नासाबित (disproved) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की कौन सी धारा "सुसंगत” (relevant) को परिभाषित करती है? |
धारा 2(1)(ट) |
"सुसंगत"(relevant) का क्या अर्थ है? |
एक तथ्य दूसरे तथ्य से संबंधित है। |
"सुसंगत"(relevant) तथ्यों का न्यायालय में क्या महत्व है? |
वे न्यायालय में विचारणीय होते हैं। |
न्यायालय में "सुसंगत"(relevant) तथ्यों के लिए क्या आवश्यक है? |
उनका एक-दूसरे से स्पष्ट संबंध होना चाहिए। |
"सुसंगत" (relevant) तथ्यों का उदाहरण क्या हो सकता है? |
एक व्यक्ति का बयान कि वह अपराध के समय स्थान पर था। |
"सुसंगत" (relevant) तथ्यों के बारे में न्यायालय का दृष्टिकोण क्या है? |
वे न्यायालय में विचारणीय होते हैं। |
"सुसंगत" (relevant) तथ्यों के लिए न्यायालय के निर्णय में क्या प्रभाव होता है? |
वे निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की कौन सी धारा "उपधारणा करेगा” (Shall presume) को परिभाषित करती है? |
धारा 2(1)(ठ) |
“उपधारणा” का क्या अर्थ है? |
न्यायालय ऐसे तथ्य को साबित मानेगा यदि और जब तक वह नासाबित नहीं किया जाता है |
“उपधारणा” किस प्रकार की हो सकती है? |
अनिवार्य (Mandatory) विवेकाधीन (Discretionary), प्रतिवर्ती (Rebuttable) |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने परिस्थिति जन्य साक्ष्य के आधार पर उपधारणा लागू की? |
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम किशनपाल (2008) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम में “उपधारणा कर सकेगा” और “उपधारणा करेगा” के बीच क्या अंतर है? |
एक विवेकाधीन है और दूसरा अनिवार्य |
“उपधारणा” का खंडन कैसे किया जा सकता है? |
प्रासंगिक प्रतिवर्ती साक्ष्य से |
न्यायालय किन मामलों में स्वतः उपधारणा करता है? |
जब कानून ऐसा कहता है |
निर्दोषता की धारणा”(Presumption of Innocence) का क्या आशय है? |
आरोपी निर्दोष माना जाए जब तक दोष साबित न हो |
“उपधारणा” न्यायालय को किस प्रकार सहायता करती है? |
न्यायिक प्रक्रिया को तेज करने में |
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भाग 2 (Part II) |
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अध्याय 2 (Chapter 2) |
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तथ्यों की सुसंगति (Relevancy Of Facts) |
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कौन सी धारा विवाद्यक तथ्यों और सुसंगत तथ्यों के संबंध में साक्ष्य (Evidence may be given of facts in issue and relevant facts) दिए जाने से संबंधित है। |
धारा 3 |
धारा 3 के अनुसार, कौन से तथ्य साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किए जा सकते हैं? |
विवाद्यक तथ्य और सुसंगत तथ्य दोनों |
"विवाद्यक तथ्य'(Facts in issue) का क्या अर्थ है? |
जिस पर पक्षकारों के बीच विवाद होता है |
"सुसंगत तथ्य"(relevant Facts) का क्या अर्थ है? |
जो विवाद्यक तथ्य से संबंधित है |
न्यायालय में "विवाद्यक तथ्य" और "सुसंगत तथ्य" का साक्ष्य प्रस्तुत करने की अनुमति किस धारा के तहत है? |
धारा 3 |
"विवाद्यक तथ्य" और "सुसंगत तथ्य" के बीच क्या अंतर है? |
विवाद्यक तथ्य पर पक्षकारों के बीच विवाद होता है, जबकि सुसंगत तथ्य संबंधित होते हैं |
न्यायालय में "विवाद्यक तथ्य" और "सुसंगत तथ्य" का साक्ष्य प्रस्तुत करने की अनुमति किस उद्देश्य से है? |
ताकि न्यायालय को मामले की सच्चाई का पता चल सके |
"विवाद्यक तथ्य" और "सुसंगत तथ्य" के साक्ष्य प्रस्तुत करने की अनुमति किसे प्रभावित करती है? |
दोनों पक्षकारों को |
कौन सी धारा एक ही संव्यवहार का भाग बनने वाले तथ्यों की प्रासंगिकता (Relevancy of facts forming part of same transaction) से संबंधित है। |
धारा 4 |
'रेस जेस्टे’ (Ras Gestae) का शाब्दिक अर्थ क्या होता है? |
एक ही संव्यवहार |
धारा 4 के अनुसार, "सुसंगत तथ्य" क्या होते हैं? |
जो सीधे विवाद्यक तथ्य से जुड़े होते हैं |
"रेस जेस्टे"(Ras Gestae) सिद्धांत किससे संबंधित है? |
साक्ष्य की प्रासंगिकता |
"रेस जेस्टे" (Ras Gestae) सिद्धांत के अनुसार, एक व्यक्ति का बयान जो घटना के तुरंत बाद दिया गया हो कथन सुसंगत माना जाएगा? |
हाँ |
"रेस जेस्टे"(Ras Gestae) सिद्धांत के तहत, एक व्यक्ति का बयान जो घटना के एक सप्ताह बाद दिया गया हो क्या कथन सुसंगत माना जाएगा? |
नहीं |
घटना के तुरंत बाद की गई प्रतिक्रियाएँ या बयान तभी admissible होंगे जब वे घटना से "इतनी निकटता" में हों कि घटना और बयान के बीच कोई अलगाव न हो, किस निर्णय में Res Gestae की timing और continuity को स्पष्ट किया गया? |
सांवल दास बनाम बिहार राज्य, एआईआर 1974 एससी 778
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Res Gestae को भारत में स्थापित करता है, किस केस से सम्बंधित है? |
क्वीन एम्प्रेस बनाम अब्दुल्ला (1885) आईएलआर 7 ऑल 385 |
एक व्यक्ति की हत्या और पीड़ित द्वारा मृत्यु से ठीक पहले किया गया बयान, किस केस से सम्बंधित है? |
आर बनाम फोस्टर, (1834) 6 सी एंड पी 325 (यूके केस - भारत में प्रभावशाली) |
धारा 5 भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 किससे संबंधित है? |
तथ्य जो विवाद्यक तथ्यों या सुसंगत तथ्यों का प्रसंग हेतुक या परिणाम हैं। |
क ने ख की हत्या की, क्या उस स्थान पर जहां हत्या की गई थी या उसके समीप भूमि पर गुत्थमगुत्था होने से बने हुए चिह्न सुसंगत तथ्य हैं? |
हाँ |
धारा 5 भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 में किस विषय से संबंधित है? |
विवादयक तथ्यों या सुसंगत तथ्यों के प्रसंग हेतुक या परिणाम हैं (Facts which are occasion, cause or effect of facts in issue or relevant facts) |
कौन-सा तथ्य धारा 5 के अंतर्गत “सुसंगत” माना जाएगा? |
किसी घटना का तत्काल कारण |
धारा 5 के अनुसार, एक तथ्य सुसंगत कब माना जाएगा? |
यदि वह किसी विवाद्यक या सुसंगत तथ्य का हेतुक या परिणाम |
क्या हत्या के समय का झगड़ा धारा 5 के तहत प्रसंग हेतुक तथ्य मानी जाएगा? |
हाँ |
किस केस में कोर्ट ने हत्या से कुछ समय पूर्व हुआ झगड़ा बात को प्रासंगिक माना? |
हड़मान्त सिंह बनाम राज्य (AIR 2002 SC) |
“परिणामस्वरूप तथ्य” से क्या अभिप्रेत है? |
जो विवाद्यक या सुसंगत तथ्य का परिणाम हो |
किसी हत्या के मामले में, हत्या से ठीक पहले की धमकी को क्या माना जाएगा? |
हेतुक |
यदि कोई तथ्य किसी विवाद्यक तथ्य का कारण या प्रभाव है, तो क्या वह साक्ष्य के रूप में सुसंगत माना जाएगा? |
हाँ |
धारा 5 के अनुसार “अवसर या परिस्थिति के भाग” में क्या आता है? |
घटना से ठीक पहले की घटनाएँ, घटना के समय की पृष्ठभूमि, घटना के बाद की परिस्थितियाँ |
कौन सी धारा हेतु तैयारी और पूर्व का या पश्चात् का आचरण (Motive, preparation and previous or subsequent conduct) संबंधित है? |
धारा 6 |
धारा 6 के अनुसार, "हेतु" से क्या अभिप्रेत है? |
किसी घटना का कारण |
"तैयारी" से क्या अभिप्रेत है? |
किसी घटना को घटित करने के लिए की गई पूर्व की योजना |
धारा 6 के अनुसार, "पूर्व का आचरण" से क्या अभिप्रेत है? |
किसी घटना से पहले का आचरण |
"पश्चात् का आचरण" से क्या अभिप्रेत है? |
किसी घटना के बाद का आचरण |
धारा 6 के अनुसार, "आचरण" शब्द में क्या शामिल नहीं है? |
किसी व्यक्ति का कथन |
"आचरण" शब्द में कथन क्यों शामिल नहीं हैं? |
क्योंकि वे अन्य कार्यों के साथ-साथ और उन्हें स्पष्ट करने वाले नहीं होते |
यदि किसी व्यक्ति का आचरण सुसंगत है, तो उसके द्वारा किया गया कथन साक्ष्य के रूप में कब स्वीकार्य होगा? |
जब वह आचरण को स्पष्ट करता हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा किसी विवाद्यक तथ्य या प्रासंगिक तथ्य को स्पष्टीकरण या पुरः स्थापन के लिए आवश्यक तथ्यों (Facts necessary to explain or introduce fact in issue or relevant facts) से संबंधित है। |
धारा 7
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धारा 7 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
तथ्यों की व्याख्या या खंडन हेतु आवश्यक तथ्यों को सुसंगत मानना (Facts necessary to explain or introduce fact in issue or relevant facts) |
धारा 7 किन प्रकार के तथ्यों को प्रासंगिक मानती है? |
जो विवाद्यक या सुसंगत तथ्यों के स्पष्टीकरण या पुनःस्थापन हेतु आवश्यक हों |
‘पुनःस्थापन’ (Rebuttal) का क्या अर्थ है? |
खंडन करना |
यदि कोई अभियुक्त यह कहता है कि वह घटना के समय किसी अन्य स्थान पर था, तो उस स्थान पर उसकी उपस्थिति का साक्ष्य किस अंतर्गत सुसंगत होगा |
धारा 7 के |
सुप्रीम कोर्ट ने किस प्रकार के तथ्य को स्वीकार किया था, जो प्रत्यक्षतः विवाद से संबंधित न हो लेकिन उसके खंडन के लिए आवश्यक हो? |
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम देवमन उपाध्याय (एआईआर 1960 एससी 1125) |
धारा 7 के तहत कौन-सा कथन सही है? |
जो तथ्य किसी विवाद्य या सुसंगत तथ्य को स्पष्ट करने के लिए आवश्यक हैं |
क्या अभियुक्त का घटना वाले दिन का होटल बिल धारा 7 के अंतर्गत आएगा? |
हाँ |
धारा 7 के तहत कौन-सा साक्ष्य प्रासंगिक नहीं होगा? |
जो तथ्य केवल चरित्र दर्शाते हैं |
धारा 7 के तहत साक्ष्य कब सुसंगत माना जाएगा? |
जब वह मुख्य विवाद को समझने या उसका खंडन करने में सहायक हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा में परीक्षण पहचान परेड (Test Identify Parade) शामिल हैं। |
धारा 7
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 7 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
पहचान और स्पष्टीकरण में सहायक तथ्यों को सुसंगत मानना |
पहचान परेड (Test Identification Parade) से संबंधित तथ्य किस धारा के अंतर्गत सुसंगत होते हैं? |
धारा 7 |
धारा 7 के तहत 'पहचान' में क्या शामिल हो सकता है? |
व्यक्ति की पहचान, वस्तु की पहचान, स्थान की पहचान |
किस केस में पहचान परेड को गवाह की विश्वसनीयता परखने हेतु महत्वपूर्ण माना गया? |
बुद्धसेन बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (एआईआर 1970 एससी 1321 |
क्या पहचान परेड कोर्ट में साक्ष्य मानी जाती है? |
हाँ, यदि गवाह कोर्ट में पुष्टि करता है |
धारा 7 के अंतर्गत कौन-सा कथन सही है? |
जो तथ्य पहचान में सहायता करें वे सुसंगत होते हैं |
यदि किसी गवाह ने अपराध स्थल पर किसी व्यक्ति को देखा हो और उसे पहचान परेड में पहचान ले, तो यह— किस धारा से संबंधित है? |
धारा 7 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 8 किससे संबंधित है?
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सामान्य परिकल्पना के बारे मे षड्यंत्रकारी द्वारा कही गई या की गई बातें (Things said or done by conspirator in reference to common design) |
धारा 8 का विषय क्या है? |
षड्यंत्र के बारे में कथन या कार्य |
धारा 8 के अनुसार षड्यंत्र के दौरान किया गया कौन-सा कार्य सुसंगत होगा? |
षड्यंत्र के उद्देश्य की पूर्ति हेतु किया गया कार्य |
षड्यंत्र में शामिल व्यक्तियों के कार्य और कथन कब तक प्रासंगिक होते हैं? |
जब तक षड्यंत्र जारी है |
धारा 8 का सिद्धांत किस केस में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्पष्ट किया गया था? |
केहर सिंह बनाम राज्य (इंदिरा गांधी हत्या मामला) |
यदि षड्यंत्रकारी घटना से पहले किसी को धमकी देता है, तो क्या वह कथन धारा 8 के अंतर्गत आएगा? |
हाँ, यदि वह षड्यंत्र के उद्देश्य से है |
धारा 8 का उपयोग किस उद्देश्य से किया जाता है? |
षड्यंत्र की प्रकृति और विस्तार समझने हेतु |
क्या षड्यंत्र समाप्त हो जाने के बाद किया गया कोई कथन सुसंगत होता? |
नहीं |
यदि एक षड्यंत्रकारी व्हाट्सएप पर दूसरे को संदेश भेजता है "काम रात 10 बजे करना है", तो क्या यह धारा 8 के अंतर्गत सुसंगत है? |
हाँ |
षड्यंत्र के विषय में किया गया कथन कब साक्ष्य के रूप में माना जाएगा? |
जब वह षड्यंत्र के समय के किया गया हो |
वे तथ्य जो अन्यथा सुसंगत नहीं हैं कब सुसंगत है (When facts not otherwise relevant become relevant) वे भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की किस धारा के अंतर्गत आते हैं? |
धारा 9 |
दूध नाथ पण्डे बनाम उत्तर प्रदेश राज्य किस धारा से सम्बंधित केस है? |
धारा 9 |
कौन सी धारा अन्यत्र उपस्थिति को भी मान्यता देती है, जो आपराधिक मामलों में एक महत्वपूर्ण बचाव है। |
धारा 9 |
तथ्य जो सुसंगत नहीं होते, परंतु संभाव्यता को प्रभावित करते हैं किस धारा से संबंधित है? |
धारा 9 |
तथ्य जो अन्यथा सुसंगत नहीं हैं, परंतु किसी तथ्य को अत्यधिक संभाव्य बनाते हैं, वे सुसंगत हो सकते हैं किस धारा से संबंधित है? |
धारा 9 |
किसी अपराध के समय आरोपी का किसी अन्य स्थान पर मौजूद होना (प्ली ऑफ़ एलीबाई) किस धारा के अंतर्गत सुसंगत बनता है? |
धारा 9 |
"अन्यत्र उपस्थिति" (Alibi) का क्या तात्पर्य है? |
आरोपी का अपराध के समय किसी और स्थान पर होना |
कौन-सा निर्णय धारा 9 के संदर्भ में “ एलीबाई” (Alibi) के सिद्धांत को स्पष्ट करता है? |
बिनय कुमार सिंह बनाम बिहार राज्य
|
एक व्यक्ति पर हत्या का आरोप है। वह यह साबित करता है कि घटना के समय वह किसी दूसरे शहर में एक सम्मेलन में भाग ले रहा था। यह किस धारा के अंतर्गत सुसंगत होगा? |
धारा 9 |
एक अभियुक्त यह साबित करता है कि जिस समय चोरी हुई, वह अस्पताल में भर्ती था। यह किस धारा के अंतर्गत सुसंगत होगा? |
धारा 9 के अंतर्गत सुसंगत है |
यदि एक तथ्य यह दिखाता है कि किसी अन्य व्यक्ति के पास भी हत्या करने की मंशा और अवसर था, तो यह तथ्य किस धारा के अंतर्गत सुसंगत होगा? |
धारा 9 |
क्या धारा 9 के तहत आरोपी को Alibi सिद्ध करने के लिए साक्ष्य देना होता है? |
हां, ठोस और विश्वसनीय साक्ष्य आवश्यक है |
रकम अवधारित करने के लिए न्यायालय को समर्थ करने की प्रवृत्ति रखने वाले तथ्य नुकसानी के लिए वादों में सुसंगत हैं,(Facts tending to enable Court to determine amount are relevant in suits for damages) भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की किस धारा के अंतर्गत आते हैं? |
धारा 10 |
कौन सी धारा उन तथ्यों से संबंधित है जो उस समय प्रासंगिक होते हैं जब अधिकार या प्रथा प्रश्नगत(Facts relevant when right or custom is in question) होती है। |
धारा 11 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 11 का उद्देश्य क्या है? |
किसी व्यक्ति की आदत या अधिकार से संबंधित तथ्य निर्धारित करना |
"रूढ़ि" (Custom) का तात्पर्य किससे है? |
लगातार और नियमित रूप से किया गया कार्य |
किसी व्यक्ति ने लगातार एक कार्य किया हो और उस कार्य से संबंधित कोई विवाद उत्पन्न हो, तो क्या वह कार्य धारा 11 के तहत सुसंगत माना जाएगा? |
यदि प्रथा के अनुसार लगातार और नियमित रूप से किया गया हो |
धारा 11 का किस प्रकार के मामलों में अधिक उपयोग किया जाता है? |
दीवानी मामले, जैसे कि संपत्ति विवाद और कानूनी अधिकार |
सुप्रीम कोर्ट ने "रूढ़ि" से संबंधित सिद्धांत को किस मामले में स्पष्ट किया था? |
बलराज बनाम हरियाणा राज्य |
किस स्थिति में धारा 11 के तहत आदत या अधिकार का प्रमाण प्रस्तुत किया जा सकता है? |
जब व्यक्ति ने पूर्व में एक समान कार्य किया हो और वह विवाद से संबंधित हो |
मरूढ़ि के आधार पर व्यक्ति के दोष को सिद्ध किया जा सकता है, किस मामले में स्पष्ट किया? |
के.के. वर्मा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2012) 4 एससीसी 548 |
धारा 12 किस प्रकार के तथ्यों से संबंधित है? |
मानसिक और शारीरिक दशा या संवेदना से संबंधित तथ्यों से (Facts showing existence of state of mind, or of body or bodily feeling) |
धारा 12 के अंतर्गत कौन-सा मानसिक तत्व सुसंगत हो सकता है? |
दुर्भावना, सद्भावना, भय |
यदि कोई अभियुक्त कहे कि उसने आत्मरक्षा में कार्य किया क्योंकि उसे डर था, तो "भय" किस धारा के अंतर्गत सुसंगत होगा? |
धारा 12 |
अपराध करने का इरादा और ज्ञान से सम्बंधित कौन सा केस है? |
महाराष्ट्र राज्य बनाम एम.एच. जॉर्ज (1965 एआईआर 722) |
यदि किसी आरोपी का दावा है कि वह पागल था और उसे समझ नहीं थी, तो यह तथ्य— |
धारा 12 के तहत सुसंगत होगा |
धारा 12 का प्रयोग किन मामलों में मुख्यतः होता है? |
आपराधिक मामलों में जहाँ मानसिक दशा महत्वपूर्ण हो |
ख के कुत्ते द्वारा, जिसका हिंस्र होना ख जानता था, किए गए नुकसान के लिए ख पर क वाद लाता है । ये तथ्य कि कुत्ते ने पहले, भ, म और य को काटा था और यह कि उन्होंने ख से शिकायतें की थीं, किस धारा के अंतर्गत सुसंगत हैं । |
धारा 12 |
प्रश्न यह है कि क्या क की मृत्यु विष से कारित की गई थी। अपनी रुग्णावस्था में क द्वारा अपने लक्षणों के बारे में किए हुए कथन किस धारा के अंतर्गत सुसंगत तथ्य हैं ? |
धारा 12 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा इस प्रश्न से संबंधित तथ्यों से संबंधित है कि क्या कार्य आकस्मिक था या जानबूझकर किया गया (Facts bearing on question whether act was accidental or intentional) था। |
धारा 13
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 13 किन तथ्यों को सुसंगत मानती है? |
यह साबित करने वाले तथ्य कि कार्य आकस्मिक था या जानबूझकर |
धारा 13 का प्रमुख उद्देश्य क्या है? |
न्यायालय को यह समझने में मदद करना कि कार्य आकस्मिक था या जानबूझकर |
यदि किसी व्यक्ति पर आरोप है कि उसने जानबूझकर आग लगाई, तो उसके द्वारा पूर्व में की गई आगज़नी की घटनाएँ किस धारा के अंतर्गत सुसंगत तथ्य हैं? |
धारा 13 के अंतर्गत सुसंगत होंगी |
'दुर्घटनावश हुआ कार्य' बनाम 'जानबूझकर किया गया कार्य' में अंतर स्थापित करने हेतु किन तथ्यों की प्रासंगिकता होती है? |
पूर्व आचरण, समान प्रकार की पूर्व घटनाएँ, अभियुक्त की मंशा |
जानबूझकर कार्य को साबित करने के लिए प्रवृत्ति (tendency) महत्वपूर्ण है, किस केस से सम्बंधित है? |
राजस्थान राज्य बनाम काशी राम (2006) 12 एससीसी 254 |
धारा 13 के अंतर्गत समान घटनाओं का क्या महत्व है? |
वे आरोपी की प्रवृत्ति को उजागर करती हैं |
“जानबूझकर किया गया कार्य" को सिद्ध करने के लिए कौन-से तथ्य धारा 13 के अंतर्गत लाए जा सकते हैं? |
आरोपी की पिछली आपराधिक घटनाएँ, समान परिस्थितियों में किए गए कृत्य, आरोपी द्वारा की गई पूर्व धमकियाँ |
यदि कोई व्यक्ति दावा करता है कि दुर्घटना 'सहज भूल' से हुई, तो किस प्रकार का साक्ष्य उसका दावा कमजोर कर सकता है? |
उसकी पूर्व की एक जैसी घटनाएँ |
क्या धारा 13 के तहत आरोपी के पिछले व्यवहार को प्रस्तुत किया जा सकता है? |
हाँ, अगर वह दिखाता है कि कार्य जानबूझकर था |
यदि किसी डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप है, तो धारा 13 के अंतर्गत कौन-सा तथ्य सुसंगत होगा? |
उसके द्वारा पहले की गई ऐसी ही लापरवाहियाँ |
जब यह प्रश्न हो कि क्या कोई विशिष्ट कार्य किया गया था, तो कारबार के किसी अनुक्रम का अस्तित्व (Existence of course of business when relevant), जिसके अनुसार वह कार्य स्वाभाविक रूप से किया गया होता, किस धारा के अंतर्गत सुसंगत तथ्य हैं? |
धारा 14
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स्वीकृतियां (Admissions) |
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 किस धारा के अंतर्गत स्वीकृति को परिभाषित (Admission defined) किया गया है? |
धारा 15 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 15 किस विषय से संबंधित है? |
स्वीकृति की परिभाषा |
क्या स्वीकृति में न्यायाधीश की राय शामिल होती है? |
नहीं |
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया कि स्वीकृति मौखिक, लिखित या आचरण से हो सकती है? |
नारायण बनाम महाराष्ट्र राज्य (एआईआर 1967 एससी 1) |
स्वीकृति का उपयोग किस उद्देश्य से किया जा सकता है? |
किसी तथ्य को साबित करने हेतु |
क्या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा की गई बात को स्वीकृति माना जा सकता है? |
हाँ, यदि वह व्यक्ति अधिकृत था या उससे संबंधित था |
धारा 15 के अंतर्गत स्वीकृति किस प्रकार का साक्ष्य है? |
प्रासंगिक साक्ष्य |
स्वीकृति को कब अस्वीकार्य माना जा सकता है? |
जब वह बलपूर्वक ली गई हो, जब वह मजिस्ट्रेट के समक्ष न हो, जब वह अनधिकृत व्यक्ति द्वारा की गई हो |
क्या अभियुक्त द्वारा पुलिस के सामने की गई स्वीकृति साक्ष्य मानी जाती है? |
नहीं, जब तक मजिस्ट्रेट के सामने न हो |
स्वीकृति में 'स्वेच्छा' (Voluntariness) का क्या महत्व है? |
महत्वपूर्ण है – जबरन दी गई स्वीकृति अस्वीकार्य होती है |
यदि एक व्यक्ति अपने वकील को कोई तथ्य स्वीकार करता है, तो वह— |
न्यायालय के समक्ष सुसंगत हो सकती है |
कौन सी धारा कार्यवाही में पक्षकार या उसके एजेंट द्वारा स्वीकृति से संबंधित है। |
धारा 16 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 16 किस विषय से संबंधित है? |
पक्षकार या अभिकर्ता द्वारा दी गई स्वीकृति |
धारा 16 के अनुसार, स्वीकृति किसके द्वारा की गई होनी चाहिए जिससे वह साक्ष्य मानी जा सके? |
पक्षकार या उसके अभिकर्ता द्वारा (Admission by party to proceeding or his agent) |
यदि कोई व्यक्ति अपने वकील के माध्यम से कोई तथ्य स्वीकार करता है, तो क्या वह सुसंगत होगा यदि वकील अधिकृत अभिकर्ता है |
हाँ |
धारा 16 के अंतर्गत कौन-से व्यक्ति की स्वीकृति सुसंगत मानी जाएगी? |
वाद में पक्षकार, अभिकर्ता (authorized agent) |
अभिकर्ता द्वारा की गई स्वीकृति भी पक्षकार के विरुद्ध प्रासंगिक होती है, किस मामले में सिद्ध किया गया? |
के.एम. सिंह बनाम बिहार राज्य (एआईआर 1982 एससी 1230) |
पक्षकार के कौन-से संबंधी द्वारा की गई स्वीकृति साक्ष्य मानी जा सकती है? |
जो उसके अधिकार में है |
क्या धारा 16 के अंतर्गत दी गई स्वीकृति वाद के निपटारे में निर्णायक भूमिका निभा सकती है? |
हाँ, यदि वह स्पष्ट और स्वैच्छिक हो |
किस स्थिति में किसी अभिकर्ता की स्वीकृति पक्षकार के विरुद्ध मान्य नहीं होगी? |
जब अभिकर्ता अधिकृत न हो |
अगर किसी कंपनी का अधिकारी कंपनी के नाम पर कोई तथ्य स्वीकार करता है, तो यह स्वीकृति कैसी होगी? |
कंपनी के विरुद्ध साक्ष्य मानी जाएगी |
क्या धारा 16 की स्वीकृति गवाह की गवाही को कमजोर कर सकती है? |
हाँ, यदि वह प्रत्यक्ष तथ्यों के विरुद्ध हो |
क्या धारा 16 के तहत दी गई स्वीकृति को न्यायालय स्वतः संज्ञान में ले सकता है? |
हाँ, यदि वह स्पष्ट रूप से रिकॉर्ड में हो |
ऐसे व्यक्तियों की स्वीकृति जिनकी स्थिति वाद के पक्षकार के विरुद्ध साबित की जानी आवश्यक है (Admissions by persons whose position must be proved as against party to suit) किस धारा से संबंधित है? |
धारा 17 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 17 किस विषय से संबंधित है? |
उन व्यक्तियों की स्वीकृति, जिनकी स्थिति वाद में चुनौतीपूर्ण है |
धारा 17 की स्वीकृति किनके द्वारा की गई होनी चाहिए? |
ऐसा व्यक्ति जिसकी स्थिति या दावा वाद में सवाल के घेरे में हो |
धारा 17 के अनुसार कोई स्वीकृति कब सुसंगत होगी? |
जब वह उस व्यक्ति द्वारा की गई हो जिसकी कानूनी स्थिति विवादित है |
यदि किसी व्यक्ति का वाद में दावा यह है कि वह संपत्ति का स्वामी है, और उसने पहले किसी अन्य को स्वामित्व सौंपने की बात मानी हो, तो क्या यह धारा 17 के अंतर्गत सुसंगत होगा? |
हाँ, |
किस मामले में न्यायालय ने माना कि साजिशकर्ता द्वारा की गई बातें व अन्य के विरुद्ध सुसंगत हो सकती हैं? |
केहर सिंह बनाम राज्य (एआईआर 1988 एससी 1883) |
क्या धारा 17 के अंतर्गत ऐसे व्यक्ति की स्वीकृति प्रासंगिक होगी जो वाद में प्रत्यक्ष पक्षकार नहीं है? |
हाँ, यदि उसकी स्थिति वाद में सवाल में हो |
धारा 17 की स्वीकृति का सबसे उपयुक्त उदाहरण क्या हो सकता है? |
कोई व्यक्ति जिसकी संपत्ति पर अधिकार दावा किया जा रहा हो, वह कहे कि वह उसका नहीं है |
यदि कोई व्यक्ति कहे कि वह मालिक नहीं है, जबकि मुकदमे में वह मालिक होने का दावा कर रहा है, तो क्या यह कथन धारा 17 के अंतर्गत सुसंगत है? |
हाँ, और स्वीकृति माना जाएगा |
क्या धारा 17 के अंतर्गत किए गए स्वीकृति बयान की आवश्यकता होती है कि वह न्यायालय के समक्ष ही दिया गया हो? |
नहीं, अन्यत्र भी किया गया कथन सुसंगत हो सकता है |
ख के लिए भाटक-संग्रह का दायित्व क लेता है। ग द्वारा ख को शोध्य भाटक- संग्रह न करने के लिए क पर ख वाद लाता है क इस बात का प्रत्याख्यान करता है कि ग से ख को भाटक देय था । ग द्वारा यह कथन कि उस पर ख को भाटक देय है स्वीकृति है, और यदि क इस बात से इन्कार करता है कि ग द्वारा ख को भाटक देय था तो क्या वह क के विरुद्ध सुसंगत तथ्य है ? |
हाँ |
धारा 18 किस प्रकार की स्वीकृति से संबंधित है? |
वाद के पक्षकार द्वारा अभिव्यक्त रूप से निर्दिष्ट व्यक्ति द्वारा स्वीकृतियां (Admissions by persons expressly referred to by party to suit) |
धारा 18 के अनुसार स्वीकृति किसके द्वारा की जानी चाहिए ताकि वह प्रासंगिक मानी जाए? |
वाद के पक्षकार द्वारा अभिव्यक्त रूप से अधिकृत व्यक्ति द्वारा |
क्या धारा 18 के अंतर्गत स्वीकृति मौखिक भी हो सकती है? |
हाँ, मौखिक, लिखित या आचरण द्वारा |
यदि किसी वादी ने अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट को कर संबंधी बातें स्वीकार करनेकी अनुमति दी है, और वह कोई तथ्य स्वीकार करता है, तो यह किस प्रकार का साक्ष्य माना जायेगा? |
धारा 18 के अंतर्गत प्रासंगिक साक्ष्य हो सकता है |
किस मामले में न्यायालय ने माना कि, अधिकृत व्यक्ति द्वारा की गई स्वीकृति पक्षकार पर बाध्यकारी हो सकती है? |
राम सिंह बनाम कर्नल राम सिंह (एआईआर 1986 एससी 3) |
“अभिव्यक्त रूप से अधिकृत” शब्द का क्या तात्पर्य है? |
पक्षकार ने स्पष्ट रूप से किसी को उसकी ओर से बोलने का अधिकार दिया हो |
क्या धारा 18 के तहत दी गई स्वीकृति अदालत में साक्ष्य के रूप में स्वीकार की जा सकती है? |
हाँ, यदि पक्षकार ने उस व्यक्ति को अधिकृत किया हो |
धारा 18 के तहत क्या वह स्वीकृति साक्ष्य मानी जाएगी जो वाद के पक्षकार की जानकारी के बिना की गई हो? |
नहीं, जब तक अधिकृत न किया गया हो |
क्या किस परिस्थिति में अधिकृत व्यक्ति की स्वीकृति पक्षकार के विरुद्ध उपयोग की जा सकती है? |
जब वह पक्षकार द्वारा अभिव्यक्त रूप से अधिकृत किया गया हो |
किसी कंपनी द्वारा नियुक्त अधिकृत प्रतिनिधि की स्वीकृति कंपनी के विरुद्ध प्रासंगिक साक्ष्य मानी जा सकती है? |
हाँ,
|
यह प्रश्न है कि क्या क द्वारा ख को बेचा हुआ घोड़ा अच्छा है, ख से क कहता है कि "जा कर ग से पूछ लो, ग इस बारे में सब कुछ जानता है" क्या ग का कथन स्वीकृति है? |
हाँ,
|
धारा 19 किस विषय से सम्बंधित है? |
स्वीकृतियों का उन्हें करने वाले व्यक्तियों के विरुद्ध और उनके द्वारा या उनकी ओर से साबित किया जाना (Proof of admissions against persons making them, and by or on their behalf) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 19 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
यह निर्धारित करना कि स्वीकृति किसके विरुद्ध और किसके द्वारा साबित की जानी चाहिए |
धारा 19 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति कोई तथ्य स्वीकार करता है, तो वह स्वीकृति किसके विरुद्ध साक्ष्य मानी जाएगी? |
उसी व्यक्ति के विरुद्ध जिसने उसे किया |
धारा 19 के अनुसार स्वीकृति को किसके द्वारा साबित किया जाना आवश्यक है? |
उसी व्यक्ति द्वारा या उसकी ओर से |
यदि कोई अभियुक्त गिरफ्तारी से पहले कहता है कि उसने अपराध किया, तो वह कथन किसके विरुद्ध साक्ष्य मानी जाएगी? |
अभियुक्त के विरुद्ध सुसंगत साक्ष्य माना जाएगा |
किस मामले में न्यायालय ने माना कि, स्वीकृति करने वाले के विरुद्ध उसका ही कथन सुसंगत हो सकता है? |
महाराष्ट्र राज्य बनाम कमाल अहमद मोहम्मद वकील अंसारी (एआईआर 2013 एससी 1441) |
धारा 19 की दृष्टि से “स्वीकृति” को कौन साबित कर सकता है? |
वही व्यक्ति जिसने उसे किया या उसके पक्ष से कार्यरत व्यक्ति |
क्या धारा 19 के अंतर्गत अभियुक्त की पूर्व में दी गई स्वीकृति का उपयोग सह-अभियुक्त के विरुद्ध किया जा सकता है? |
नहीं, केवल उसके स्वयं के विरुद्ध |
न्यायालय कब धारा 19 के अंतर्गत किसी स्वीकृति को साक्ष्य मानेगा? |
जब वह प्रासंगिक हो और उसी व्यक्ति के विरुद्ध हो |
क्या कोई अभियुक्त स्वयं अपनी स्वीकृति को साबित कर सकता है? |
हाँ, धारा 19 इसे अनुमति देती है |
स्वीकृति का क्या प्रभाव होता है जब उसे करने वाला व्यक्ति उसे न्यायालय में नकारता है? |
उसे अन्य साक्ष्यों द्वारा साबित किया जा सकता है |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 कौन सी धारा जब दस्तावेजों की अन्तर्वस्तु के बारे में मौखिक स्वीकृति सुसंगत होती है (When oral admissions as to contents of documents are relevant), से संबंधित है? |
धारा 20 |
धारा 20 का संबंध किससे है? |
मौखिक स्वीकृति द्वारा दस्तावेज़ की अन्तर्वस्तु को साबित करने से |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 20 के अनुसार, मौखिक स्वीकृति दस्तावेज की अन्तर्वस्तु के संबंध में कब सुसंगत मानी जाती है? |
जब वह स्वीकृति उस व्यक्ति द्वारा की गई हो जो दस्तावेज़ के लिए बाध्य है या उस पर अधिकार जताता है |
मौखिक स्वीकृति किसी दस्तावेज की अन्तर्वस्तु के बारे में कब प्रासंगिक नहीं होगी? |
जब वह किसी असंबंधित व्यक्ति द्वारा की गई हो |
किस मामले में न्यायालय ने माना कि, मौखिक स्वीकृति दस्तावेज के स्थान पर तब सुसंगत हो सकती है, जब लिखित दस्तावेज़ खो गया हो? |
केस लॉ: भींका बनाम चरण सिंह (एआईआर 1959 एससी 960) |
क्या दस्तावेज़ की अन्तर्वस्तु का प्रमाण मौखिक स्वीकृति से सामान्यतः दिया जा सकता है? |
नहीं, जब तक कि धारा 20 के अपवाद न लागू हों |
यदि कोई व्यक्ति किसी संपत्ति के विक्रय-पत्र की मौखिक स्वीकृति करता है, परन्तु वह दस्तावेज न्यायालय में पेश नहीं होता, तो क्या स्वीकृति सुसंगत है? |
सुसंगत नहीं है |
धारा 20 के तहत कौन-सी स्थिति मौखिक स्वीकृति को वैध बनाती है? |
स्वीकृति उस व्यक्ति द्वारा की गई हो जो दस्तावेज से बाध्य है |
कौन-सी धारणा धारा 20 में अंतर्निहित है? |
मौखिक साक्ष्य केवल तभी मान्य है जब वह प्रासंगिक व्यक्ति द्वारा किया गया हो |
क्या कोई तीसरा व्यक्ति किसी दस्तावेज़ की मौखिक स्वीकृति कर सकता है जिससे वह बाध्य नहीं है? |
नहीं, उसकी स्वीकृति सुसंगत नहीं होगी |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 कौन सी धारा सुसंगत होने पर सिविल मामलों में स्वीकृति (Admissions in civil cases when relevant) से संबंधित है। |
धारा 21 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 21 किस प्रकार के मामलों से संबंधित है? |
केवल सिविल |
सिविल मामलों में, एक पक्षकार द्वारा स्वीकृति सुसंगत मानी कब जाएगी? |
जब वह विरोधी पक्ष के विरुद्ध हो |
सिविल वाद में स्वीकृति किस परिस्थिति में अपने पक्ष में होते हुए भी सुसंगत हो सकती है? |
जब वह अन्य पक्ष की प्रतिक्रिया में हो |
किस मामले में न्यायालय ने माना कि, स्वीकृति सिविल मामलों में तब सुसंगत होती है, जब वह पक्षकार द्वारा की गई हो और विरोधी पक्ष के विरुद्ध हो? |
बिहार राज्य बनाम राधा कृष्ण सिंह (एआईआर 1983 एससी 684) |
धारा 21 के अंतर्गत, क्या एक पक्षकार की स्वीकृति जो केवल उसके ही पक्ष में है, सामान्यतः सुसंगत होगी? |
नहीं, जब तक विशिष्ट शर्तें पूरी न हों |
क्या विरोधी पक्ष की मौन प्रतिक्रिया किसी स्वीकृति को सुसंगत बना सकती है? |
हाँ, यदि मौन स्वीकार करने के बराबर हो |
यदि एक पक्षकार दस्तावेज़ में कुछ स्वीकार करता है, तो वह सिविल मामले में किसके विरुद्ध सुसंगत हो सकता है? |
विरोधी पक्ष के विरुद्ध |
न्यायालय किस परिस्थिति में स्वीकृति को सुसंगत नहीं मानेगा? |
जब वह केवल अपने पक्ष में हो और कोई प्रतिक्रिया न हो |
धारा 21 के अंतर्गत स्वीकृति का प्रभाव किस पर अधिक होता है? |
विरोधी पक्ष के विरुद्ध साक्ष्य के रूप में |
सिविल मामले में एक वादी कहता है – "उत्तरदाता ने जमीन मुझे बेच दी थी" यदि उत्तरदाता इसका विरोध नहीं करता, तो क्या यह मौन स्वीकृति मानी जा सकती है? |
हाँ |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 22 किससे संबंधित है?
|
उत्प्रेरणा, धमकी, प्रपीड़न या वचन द्वारा कराई गई संस्वीकृति दाण्डिक कार्यवाही में कब विसंगत होती है (Confession caused by inducement, threat, coercion or promise, when irrelevant in criminal proceeding) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 22 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
यह सुनिश्चित करना कि संस्वीकृति स्वतंत्र हो, उत्प्रेरणा या दबाव से नहीं |
किस स्थिति में अभियुक्त की संस्वीकृति असंगत मानी जाएगी? |
जब वह धमकी या लाभ के वचन से ली गई हो |
‘उत्प्रेरणा’ शब्द का अर्थ क्या है धारा 22 के संदर्भ में? |
किसी लाभ का संकेत देना जिससे अभियुक्त सच्चाई न बोले |
धारा 22 के अंतर्गत, किसके द्वारा की गई उत्प्रेरणा या धमकी को असंगत माना जाता है? |
किसी भी व्यक्ति द्वारा जिसे अभियुक्त अधिकार मानता हो |
किस मामले में न्यायालय ने माना कि, धमकी या उत्प्रेरणा द्वारा ली गई संस्वीकृति असंगत है? |
पकाला नारायण स्वामी बनाम सम्राट (एआईआर 1939 पीसी 47) |
यदि अभियुक्त पुलिस हिरासत में कहता है "मैंने अपराध किया", और उसे यह विश्वास दिलाया गया हो कि इससे उसकी सजा कम हो सकती है यह संस्वीकृति कैसी होगी? |
धारा 22 के तहत असंगत होगी |
धारा 22 के अनुसार, कौन-सी शर्त संस्वीकृति को सुसंगत बना सकती है, भले ही उत्प्रेरणा मौजूद हो? |
अभियुक्त ने स्वतन्त्र रूप से दी हो |
यदि अभियुक्त को यह आश्वासन दिया गया कि यदि वह अपराध स्वीकार करेगा तो उसे रिहा कर दिया जाएगा यह संस्वीकृति कैसी होगी? |
स्वीकृति धारा 22 के तहत असंगत मानी जाएगी |
धारा 22 का संबंध किस कानूनी सिद्धांत से है? |
आत्म-अभिस्वीकृति के विरुद्ध संरक्षण |
किस मामले में न्यायालय ने माना कि, उत्प्रेरणा, धमकी से की गई संस्वीकृति निष्प्रभावी है? |
पंजाब राज्य बनाम हरजगदेव सिंह (एआईआर 2009 एससी 152) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 23(I) किससे संबंधित है? |
पुलिस अधिकारी के समक्ष संस्वीकृति (Confession to police officer) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 23 किस विषय से संबंधित है? |
पुलिस अधिकारी के समक्ष की गई संस्वीकृति |
धारा 23 के अनुसार, अभियुक्त द्वारा पुलिस अधिकारी के समक्ष की गई संस्वीकृति किस मामले में न्यायालय ने माना कि, कब तक अस्वीकार्य होती है |
जब तक मजिस्ट्रेट के समक्ष न हो |
किस मामले में न्यायालय ने माना कि, पुलिस के समक्ष की गई संस्वीकृति— सुसंगत हो सकती है यदि उससे कोई तथ्य बरामद हुआ हो? |
केस लॉ: उत्तर प्रदेश राज्य बनाम देवमन उपाध्याय (एआईआर 1960 एससी 1125) |
धारा 23 में 'पुलिस अधिकारी' का क्या महत्व है? |
उसके समक्ष किया गया कथन सामान्यतः साक्ष्य नहीं माना जाएगा |
यदि अभियुक्त पुलिस के सामने स्वीकार करता है – "मैंने हत्या की और चाकू झाड़ियों में छुपाया" – और पुलिस उस चाकू को बरामद करती है, तो क्या यह सुसंगत है? |
केवल चाकू की बरामदगी सुसंगत है |
धारा 23 के अंतर्गत कौन-सा भाग साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है? |
केवल वह भाग जिससे कोई ठोस वस्तु प्राप्त हो |
किस मामले में न्यायालय ने माना कि, पुलिस के समक्ष की गई संस्वीकृति में केवल ‘खोज से संबंधित’ तथ्य सुसंगत होते हैं? |
पुलुकुरी कोट्टाया बनाम एम्परर (एआईआर 1947 पीसी 67) |
किस धारा में पुलिस के समक्ष की गई संस्वीकृति को सीमित रूप से सुसंगत माना गया है? |
धारा 27 |
क्या पुलिस द्वारा गुप्त रूप से रिकॉर्ड की गई संस्वीकृति सुसंगत होती है? |
नहीं, जब तक वह मजिस्ट्रेट द्वारा प्रमाणित न हो |
न्यायिक दृष्टिकोण से, पुलिस के समक्ष की गई संस्वीकृति को अस्वीकार करने का क्या उद्देश्य है? |
अभियुक्त को उत्पीड़न से बचाना |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 कौन सी धारा साबित संस्वीकृति को, जो उसे करने वाले व्यक्ति और एक ही अपराध के लिए संयुक्त रूप से विचारित अन्य को प्रभावित करती है विचार में लेना से संबंधित है |
धारा 24
|
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 24 किस विषय से संबंधित है? |
संयुक्त अभियुक्तों के विरुद्ध संस्वीकृति का प्रयोग (Consideration of proved confession affecting person making it and others jointly under trial for same offence) |
संयुक्त अभियुक्तों के संदर्भ में, एक अभियुक्त की संस्वीकृति दूसरे अभियुक्त के विरुद्ध कब सुसंगत होती है? |
जब दोनों पर एक ही अपराध के लिए संयुक्त रूप से विचार हो रहा हो |
किस मामले में न्यायालय ने माना कि, केवल पुष्टि के लिए उपयोगी होती है? |
केस लॉ: कश्मीरा सिंह बनाम मध्य प्रदेश राज्य (एआईआर 1952 एससी 159) |
धारा 24 के तहत किन शर्तों में संस्वीकृति सह-अभियुक्त के विरुद्ध उपयोग की जा सकती है? |
जब दोनों पर एक ही अपराध के लिए संयुक्त रूप से विचार हो रहा हो और संस्वीकृति अपराध से संबंधित हो |
संस्वीकृति को अन्य सह-अभियुक्त के विरुद्ध प्रयोज्य बनाने हेतु सबसे महत्वपूर्ण शर्त कौन-सी है? |
सह-अभियुक्तों पर एक साथ विचार किया जाना |
किस मामले में न्यायालय ने माना कि, केवल सहायक साक्ष्य मानी जाती है? |
हरिचरण कुर्मी बनाम बिहार राज्य (एआईआर 1964 एससी 1184) |
संयुक्त अभियुक्तों के संदर्भ में, क्या सही है? |
यही कि एक की संस्वीकृति दूसरे के लिए बिना अन्य प्रमाण के पर्याप्त नहीं होती |
यदि एक अभियुक्त मजिस्ट्रेट के समक्ष अपराध स्वीकार करता है और उस संस्वीकृति में सह-अभियुक्त का नाम भी आता है, तो सह-अभियुक्त के विरुद्ध कब ही प्रयोग होगी? |
सह-अभियुक्त के विरुद्ध तब ही प्रयोग होगी जब दोनों संयुक्त रूप से विचारित हो रहे हों |
क्या सह-अभियुक्त की संस्वीकृति को मुख्य साक्ष्य के रूप में उपयोग करने की अनुमति दी गयी है? |
नहीं अधिनियम द्वारा स्पष्ट रूप से निषेध की गई है |
संस्वीकृति कब विचारणीय होती है |
जब वह मजिस्ट्रेट के समक्ष हो और अपराध की सच्चाई को उजागर करे |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 कौन सी धारा स्वीकृतियां निश्चायक सबूत नहीं है किंतु विबंध कर सकती (Admissions not conclusive proof, but may estop) हैं, से संबंधित है |
धारा 25
|
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 25 का उद्देश्य क्या है? |
स्वीकृति को सहायक साक्ष्य के रूप में मान्यता देना |
स्वीकृति को न्यायालय द्वारा निश्चायक साक्ष्य न माने जाने का क्या तात्पर्य है? |
उसे अन्य साक्ष्य द्वारा पुष्टि करनी होगी |
किस मामले में न्यायालय ने माना कि, संस्वीकृति को अकेले दोष सिद्ध करने हेतु प्रयुक्त नहीं किया जा सकता? |
कश्मीरा सिंह बनाम मध्य प्रदेश राज्य (एआईआर 1952 एससी 159) |
“विबंध कर सकती है” शब्द का सही अर्थ क्या है? |
संस्वीकृति न्यायालय को बाध्य करेगी यदि पुष्ट हो |
धारा 25 के अनुसार, संस्वीकृति किस रूप में प्रयुक्त नहीं हो सकती? |
मुख्य साक्ष्य के रूप में |
किस मामले में न्यायालय ने माना कि, संस्वीकृति अकेले दोष सिद्ध करने हेतु पर्याप्त नहीं? |
सहदेवन बनाम तमिलनाडु राज्य (2012) |
क्या संस्वीकृति न्यायालय के निर्णय को प्रभावित कर सकती है यदि वह पुष्ट हो? |
हाँ, वह न्यायालय को दोष सिद्ध करने हेतु प्रेरित कर सकती है |
“निश्चायक साक्ष्य” का क्या अर्थ है? |
ऐसा साक्ष्य जो न्यायालय को बाध्य कर दे |
धारा 25 के तहत स्वीकृति किस स्थिति में अदालत को अभियुक्त के विरुद्ध राय बनाने के लिए बाध्य कर सकती है? |
जब संस्वीकृति पुष्ट हो और परिस्थितियाँ समर्थन करें |
क्या एकमात्र संस्वीकृति पर दोष सिद्धि संभव है? |
नहीं, उसे अन्य साक्ष्य द्वारा पुष्ट करना आवश्यक है |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 26 किससे संबंधित है?
|
वे दशाएं जिनमें उस व्यक्ति द्वारा सुसंगत तथ्य का किया गया कथन सुसंगत है जो मर गया है या मिल नहीं सकता, प्रासंगिक है (Cases in which statement of relevant fact by person who is dead or cannot be found, etc., is relevant) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 26 किस विषय से संबंधित है? |
मृत व्यक्ति के कथन की सुसंगति |
कौन-सी स्थिति धारा 26 के अंतर्गत आती है? |
जब व्यक्ति मर गया है |
मृत्युपूर्व घोषणा किस धारा में आता है? |
धारा 26 |
किस मामले में न्यायालय ने माना कि, मृत्युपूर्व घोषणा मृत्यु की आशंका के कारण किया गया कथन हो सकता है? |
पकाला नारायण स्वामी बनाम सम्राट (एआईआर 1939 पीसी 47) |
क्या मृत्यु-पूर्व कथन न्यायालय में साक्ष्य के रूप में मान्य है? |
हाँ, यदि वह मृत्यु के कारणों से संबंधित है |
किस मामले में न्यायालय ने माना कि, मृत्युपूर्व घोषणा को मंडन की आवश्यकता नहीं? |
शरद बिरधीचंद सारडा बनाम महाराष्ट्र राज्य (एआईआर 1984 एससी 1622) |
धारा 26 के अंतर्गत, व्यक्ति का कौन सा कथन सुसंगत होगा जो? |
मरने से पहले मृत्यु के कारणों के बारे में किया गया हो |
क्या धारा 26 के अंतर्गत मौखिक मृत्युपूर्व कथन मान्य होती है? |
हाँ, यदि उसे विश्वसनीय व्यक्ति ने सुना हो |
मृत्युपूर्व घोषणा के लिए सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन-सा होता है? |
कथन की स्वेच्छा और सत्यता |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा किसी साक्ष्य में कथित तथ्यों की सत्यता को पश्चातवर्ती कार्यवाही में साबित करने के लिए उस साक्ष्य की सुसंगति (Relevancy of certain evidence for proving, in subsequent proceeding, truth of facts therein stated) से संबंधित है? |
धारा 27
|
धारा 27 के अनुसार, किस परिस्थिति में एक गवाह का पूर्व में दिया गया बयान बाद की न्यायिक कार्यवाही में प्रासंगिक होता है |
जब गवाह मृत हो या अनुपलब्ध हो |
धारा 27 के तहत, पूर्व में दिए गए बयान की सुसंगति को साबित करने के लिए कौन सा तत्व आवश्यक है? |
बयान का प्रमाणिक होना, बयान का न्यायिक कार्यवाही में होना, बयान का गवाह द्वारा दिया जाना |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा लेखा-पुस्तकों की प्रविष्टियां कब सुसंगत (Entries in books of account when relevan) हैं से संबंधित है। |
धारा 28 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा कर्तव्यपालन में की गई लोक अभिलेख या इलैक्ट्रॉनिकी अभिलेख की प्रविष्टियाँ की सुसंगति (Relevancy of entry in public record or an electronic record made in performance of duty) से संबंधित है। |
धारा 29
|
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा मानचित्रों, चार्टों और रेखांकों के कथनों की सुसंगति (Relevancy of statements in maps, charts and plans) से संबंधित है। |
धारा 30 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा किन्ही अधिनियमों या अधिसूचनाओं में अन्तर्निविष्ट सार्वजनिक प्रकृति के तथ्य के रूप में कथन की सुसंगति (Relevancy of statement as to fact of public nature contained in certain Acts or notification) से संबंधित है। |
धारा 31 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा विधि की पुस्तको में अन्तर्निविष्ट किसी विधि के कथनो की सुसंगति (Relevancy of statements as to any law contained in law books including electronic or digital form) से संबंधित है। |
धारा 32
|
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की भारतीय संविधान की धारा 33 किससे संबंधित है? |
कथन किसी बातचीत, दस्तावेज, इलैक्ट्रानिक अभिलेख, पुस्तक या पत्रों या कागज-पत्रों की आवली का भाग हो तब क्या साक्ष्य दिया जाए (What evidence to be given when statement forms part of a conversation, document, electronic record, book or series of letters or papers) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा द्वितीय वाद या विचारण के वारणार्थ पूर्व निर्णय सुसंगत (Previous judgments relevant to bar a second suit or trial) से संबंधित है। |
धारा 34
|
धारा 34 का उद्देश्य क्या है? |
एक ही विवाद पर पुनः मुकदमा चलाने से रोकना |
धारा 34 के अनुसार, किस स्थिति में पूर्व निर्णय प्रासंगिक होता है? |
जब वही पक्ष और वही विवाद हो |
धारा 34 के तहत, किसे 'संबंधित तथ्य' माना जाता है? |
न्यायालय का आदेश, निर्णय या डिक्री |
धारा 34 के अनुसार, पुनः मुकदमा चलाने से रोकने के लिए निर्णय की क्या स्थिति होनी चाहिए? |
निर्णय अंतिम और निर्विवाद होना चाहिए |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा प्रोबेट इत्यादि विषयक अधिकारिता के किन्हीं निर्णयों की सुसंगति (Relevancy of certain judgments in probate, etc., jurisdiction) से संबंधित है। |
धारा 35
|
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 35 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
विशेष न्यायक्षेत्र के निर्णयों की सुसंगति तय करना |
धारा 35 के तहत दिए गए निर्णय कब प्रासंगिक माने जाते हैं? |
जब वे निष्पक्ष और अंतिम निर्णय हों |
धारा 35 के अंतर्गत प्रोबेट से क्या तात्पर्य है? |
संपत्ति के उत्तराधिकार का प्रमाण पत्र |
कौन-सा केस धारा 35 के सिद्धांत से जुड़ा हुआ माना जाता है? |
एमएसटी. जागीर कौर बनाम जसवन्त सिंह (पुनः विवाह की वैधता) |
धारा 35 के अंतर्गत “अंतिम निर्णय" का तात्पर्य क्या है? |
अपीलीय प्रक्रिया से रहित निर्णायक आदेश |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “धारा 35 में वर्णित से भिन्न निर्णयों आदेश या डिकियों की सुसंगति और प्रभावों (Relevancy and effect of judgments, orders or decrees, other than those mentioned in section 35) से संबंधित है। |
धारा 36
|
धारा 36 के अंतर्गत, किन निर्णयों की सुसंगति पर विचार किया जाता है? |
धारा 35 के अतिरिक्त अन्य सभी न्यायिक निर्णय, आदेश या डिक्री |
धारा 36 के अनुसार, क्या कोई पूर्व न्यायिक निर्णय स्वतः ही सभी अन्य कार्यवाहियों में बाध्यकारी होता है? |
नहीं, सुसंगति न्यायालय द्वारा तय की जाती है |
कौन-सा निर्णय धारा 36 के अंतर्गत आता है? |
किसी दीवानी न्यायालय की अंतरिम डिक्री |
किस धारा के अनुसार निर्णयों की सुसंगति परिस्थितियों और विवाद के प्रकृति पर निर्भर करती है, कथन सही है? |
धारा 36 |
धारा 36 के अनुसार, यदि कोई निर्णय पूर्व में अन्य पक्षों के संबंध में दिया गया था, तो उसकी सुसंगति कब हो सकती है? |
जब वह पूर्वगामी और समान तथ्यात्मक पृष्ठभूमि पर आधारित हो |
किस न्यायिक निर्णय में "पूर्ववर्ती निर्णय की सुसंगति" के सिद्धांत को दोहराया गया? |
सत्यध्यान घोषाल बनाम देवराजिन देबी |
"रेस जुडिकाटा” सिद्धांत किस धारा से सबसे अधिक मेल खाता है? |
धारा 36 |
क्या धारा 36 के अंतर्गत दिए गए आदेश भविष्य की कार्यवाहियों में निर्णायक माने जाते हैं? |
नहीं, वे केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्य हैं |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 37 किससे संबंधित है?
|
धारा 34 धारा 35 और धारा 36 में वर्णित से भिन्न निर्णय आदि का सुसंगत हैं (Judgments, etc., other than those mentioned in sections 34, 35 and 36 when relevant) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 37 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
ऐसे निर्णयों की सुसंगति को तय करना जो धारा 34, 35 या 36 में कवर नहीं हैं |
धारा 37 के अंतर्गत निर्णय कब प्रासंगिक माने जाते हैं? |
जब वे अन्य धाराओं में उल्लिखित न हों, फिर भी किसी तथ्य की सुसंगति सिद्ध करें |
क्या धारा 37 के अंतर्गत आने वाले निर्णय बाध्यकारी होते हैं? |
नहीं, वे केवल सुसंगति के रूप में देखे जाते हैं |
धारा 37 में जिस प्रकार के निर्णयों की बात की गई है, वे किस प्रकार के साक्ष्य होते हैं? |
अनुमेय परिस्थितिजन्य साक्ष्य |
कौन-सा केस धारा 37 में वर्णित सिद्धांत के निकटतम माना जा सकता है? |
राज लक्ष्मी दासी बनाम बनमाली सेन – पूर्व निर्णय की सुसंगति |
धारा 37 के अंतर्गत जो निर्णय सुसंगत माने जाते हैं, उनका प्रभाव मुख्यतः क्या होता है? |
न्यायालय सुसंगति के रूप में विचार कर सकता है |
किस स्थिति में धारा 37 लागू नहीं होगी? |
जब निर्णय धारा 35 में कवर हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “निर्णय अभिप्राप्त करने में कपट या दुस्संधि या न्यायालय की अक्षमता सबित की जा सकेगी” (Fraud or collusion in obtaining judgment, or incompetency of Court, may be proved) से संबंधित है? |
धारा 38
|
धारा 38 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
निर्णय की सुसंगति को चुनौती देने हेतु कपट, धोखा या न्यायालय की अक्षमता को प्रमाणित करने की अनुमति देना |
यदि कोई पक्ष यह प्रमाणित करता है कि निर्णय कपट से प्राप्त किया गया था, तो क्या न्यायालय उस निर्णय को स्वीकार करेगा? |
नहीं, कपट साबित होने पर निर्णय सुसंगत नहीं रहेगा |
धारा 38 के अनुसार, किन स्थितियों में किसी निर्णय की सुसंगति को चुनौती दी जा सकती है? |
कपट, दुस्संधि या न्यायालय की अधिकार की कमी पर |
“धोखाधड़ी सब कुछ बिगाड़ देती है” इस सिद्धांत को भारतीय न्यायपालिका ने किस केस में अपनाया? |
एस.पी. चेंगलवराय नायडू बनाम जगन्नाथ |
यदि किसी निर्णय में न्यायालय की क्षेत्राधिकार नहीं थी, तो धारा 38 के अंतर्गत उसका क्या प्रभाव होगा? |
वह निर्णय सुसंगत नहीं माना जाएगा |
“रेस जुडिकाटा”का अपवाद धारा 38 में कब लागू होता है? |
जब पहले निर्णय में धोखा या कपट साबित हो |
क्या धारा 38 केवल दीवानी मामलों पर लागू होती है? |
नहीं, यह दीवानी व आपराधिक दोनों प्रकार के मामलों में लागू हो सकती है |
धारा 38 के अंतर्गत क्या धोखे से प्राप्त निर्णय को वैध माना जाएगा? |
नहीं |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “विशेषज्ञों की राय(Opinions of experts)” से संबंधित है? |
धारा 39 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 39 के अंतर्गत विशेषज्ञ से क्या अभिप्राय है? |
ऐसा व्यक्ति जो विज्ञान, कला या कानून आदि में विशेष ज्ञान रखता हो |
क्या विशेषज्ञ की राय न्यायालय को बाध्य करती है? |
नहीं, न्यायालय उस पर विचार करता है पर बाध्य नहीं होता |
क्या मजिस्ट्रेट विशेषज्ञ माना जाएगा? |
नहीं |
विशेषज्ञ की राय किस परिस्थिति में प्रासंगिक होती है? |
जब विषय तकनीकी हो और न्यायालय स्वयं निर्णय नहीं ले सकता |
विशेषज्ञ की राय को साक्ष्य के रूप में कब तक उपयोग किया जा सकता है? |
जब तक वह विशेषज्ञ के क्षेत्र से संबंधितहो और तार्किक रूप से प्रस्तुत की गई हो |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विशेषज्ञ की राय "सहायक साक्ष्य" है, न कि निर्णायक? |
हिमाचल प्रदेश राज्य बनाम जय लाल एवं अन्य (1999) |
धारा 39 के अंतर्गत विशेषज्ञ की राय में कौन-सी राय शामिल नहीं है? |
मजिस्ट्रेट द्वारा घटना का अवलोकन |
किसी दस्तावेज़ की हैंडराइटिंग की पहचान करने हेतु किसकी राय विशेषज्ञ राय मानी जाएगी? |
ग्राफोलॉजिस्ट |
क्या न्यायालय विशेषज्ञ की राय पर पूर्णतः निर्भर रहता है? |
नहीं |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “विशेषज्ञों की राय पर आधारित तथ्यों” (Facts bearing upon opinions of experts) से संबंधित है। |
धारा 40 |
विशेषज्ञ की राय को समर्थन देने वाले तथ्यों की प्रासंगिकता किस धारा के अंतर्गत आती है? |
धारा 40 |
यदि एक मेडिकल एक्सपर्ट कहता है कि जहर देने से शरीर में विशेष प्रकार के फोड़े उभरते हैं, और मृत शरीर पर वही फोड़े पाए जाते हैं, तो यह तथ्य किस प्रकार का होगा? |
राय का समर्थन करने वाला तथ्य |
किस केस में न्यायालय ने माना कि विशेषज्ञ की राय अंतिम नहीं होती, बल्कि उसे समर्थन देने वाले तथ्यों की आवश्यकता होती है? |
रमेश चंद्र अग्रवाल बनाम रीजेंसी हॉस्पिटल लिमिटेड। |
धारा 40 के अंतर्गत किन तथ्यों को स्वीकार किया जाता है? |
जो विशेषज्ञ की राय को समर्थन या खंडन करते हों |
किस मामले में न्यायलय ने कहा कि, विशेषज्ञ की राय तभी स्वीकार्य होती है जब उसका तर्कसंगत आधार हो? |
हिमाचल प्रदेश राज्य बनाम जय लाल |
किसी तथ्य को विशेषज्ञ की राय से जोड़ने के लिए उसे कैसा होना चाहिए? |
राय को प्रभावित करने वाला |
यदि किसी विशेषज्ञ की राय के खिलाफ कोई तथ्य प्रस्तुत किया जाता है जो उसके निष्कर्ष को गलत साबित करता है, तो यह कैसा साक्ष्य होगा? |
खंडनकारी साक्ष्य |
न्यायालय विशेषज्ञ की राय को स्वीकारने से पहले किन बातों का मूल्यांकन करता है? |
राय का आधार और उसे समर्थन देने वाले तथ्य |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 41 किससे संबंधित है? |
हस्तलेख और हस्ताक्षर के संबंध में राय, कब सुसंगत है (Opinion as to handwriting and signature, when relevant) |
धारा 41 के अनुसार, हस्तलेख पर राय किस स्थिति में प्रासंगिक मानी जाती है? |
जब राय देने वाला व्यक्ति उस हस्तलेख को सामान्यतः पहचानता हो |
किस प्रकार का साक्ष्य धारा 41 के अंतर्गत हस्ताक्षर की पहचान के लिए उपयुक्त है? |
उस व्यक्ति की राय जो हस्ताक्षर को अक्सर देखा करता था |
धारा 41 के अंतर्गत किसकी राय न्यायालय में सुसंगत नहीं मानी जाएगी? |
अजनबी जिसने हस्तलेख कभी नहीं देखा |
किस केस में न्यायालय ने हस्ताक्षर की राय को महत्व दिया, जब विशेषज्ञ की राय को समर्थन करने वाले अन्य तथ्य मौजूद थे? |
मोहन सिंह बनाम पंजाब राज्य |
हस्तलेख विशेषज्ञ की राय को न्यायालय कब विशेष महत्व देता है? |
जब राय स्पष्ट, तकनीकी रूप से विश्लेषित और तर्कसंगत हो |
यदि कोई व्यक्ति यह दावा करता है कि वह नियमित रूप से किसी के हस्ताक्षर देखता था, तो उसकी राय किस श्रेणी में आएगी? |
साक्ष्य की श्रेणी |
न्यायालय किस स्थिति में हस्तलेख विशेषज्ञ की राय को ठुकरा सकता है? |
यदि राय केवल अनुमान पर आधारित हो |
धारा 41 के अनुसार, क्या केवल राय से किसी दस्तावेज़ की प्रमाणिकता तय की जा सकती है? |
नहीं, राय को समर्थन करने वाले तथ्यों की भी आवश्यकता होती है |
किस परिस्थिति में सामान्य व्यक्ति की राय भी हस्तलेख की पहचान में सुसंगत मानी जा सकती है? |
जब वह व्यक्ति नियमित रूप से उस हस्तलेख को देखता हो |
क्या बैंक कर्मचारी द्वारा चेक पर हस्ताक्षर की पुष्टि धारा 41 के अंतर्गत राय साक्ष्य मानी जा सकती है? |
हां, यदि वह कर्मचारी नियमित रूप से सिग्नेचर वेरीफाई करता है |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “साधारण रुढ़ि या अधिकार कब अस्तित्व के बारे में राये कब सुसंगत है” (Opinion as to existence of general custom or right, when relevant) से संबंधित है? |
धारा 42
|
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 की धारा 42 के अंतर्गत "साधारण रुदि" शब्द से क्या तात्पर्य है? |
कोई स्थानीय मान्यता जो समय के साथ स्थापित हो गई हो |
किस प्रकार के व्यक्ति की राय "साधारण रुदि या अधिकार" के अस्तित्व पर प्रासंगिक नहीं मानी जाएगी? |
जिसने केवल अफवाहों से सुना हो |
किस मामले में न्यायलय ने कहा कि सामान्य रुदि के अस्तित्व को जानने वाले व्यक्ति की राय सुसंगत मानी जा सकती है? |
मदुरा के कलेक्टर बनाम मूटू रामालिंगा सेतुपति (1868) |
न्यायालय किस आधार पर रिवाज तय करता? |
यदि वह लंबे समय तक लगातार अभ्यास में रहा हो |
क्या किसी बाहरी पर्यटक की राय किसी गांव की पारंपरिक जल उपयोग की रीतियों पर सुसंगत मानी जाएगी? |
नहीं, क्योंकि वह उस समुदाय का हिस्सा नहीं है |
'अधिकार के अस्तित्व' से धारा 42 में क्या आशय है? |
ऐसा अधिकार जो किसी समूह को सामूहिक रूप से लागू होता हो |
क्या एक विशेष जाति द्वारा अंतिम संस्कार की एक विशेष विधि अपनाना साधारण रुदि का उदाहरण है जो धारा 42 के तहत विचारणीय हो सकता है? |
हाँ |
साधारण रुदि या अधिकार से संबंधित साक्ष्य न्यायालय में क्यों महत्वपूर्ण होते हैं? |
क्योंकि न्यायालय को कानूनी दृष्टि से सहारा मिलता है |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा प्रथाओं, सिद्धान्तों आदि के बारे में रायें कब सुसंगत हैं (Opinion as to usages, tenets, etc., when relevant), से संबंधित है। |
धारा 43 |
क्या किसी वैज्ञानिक विषय पर सामान्य ज्ञान रखने वाला व्यक्ति धारा 43 के अंतर्गत विशेषज्ञ माना जाएगा? |
नहीं, केवल प्रमाणित योग्यता और अनुभव रखने वाला व्यक्ति ही विशेषज्ञ होता है |
किस मामले में न्यायलय ने कहा कि विशेषज्ञ की राय अंतिम निर्णय नहीं है, बल्कि एक सहायक उपकरण है? |
नारंग बनाम पंजाब राज्य |
यदि एक विदेशी निवेश विवाद में जापानी कॉर्पोरेट कानून का प्रश्न उठता है, तो भारतीय न्यायालय किसकी राय पर भरोसा करेगा? |
जापानी कानून विशेषज्ञ या जापानी वकील की राय |
धारा 43 के तहत, ‘कला’ (art) शब्द की व्याख्या किस रूप में होती है? |
प्रदर्शन, स्थापत्य, मूर्तिकला, संगीत आदि सहित कोई भी अभ्यासित रचनात्मक क्षेत्र |
एक जासूसी मामले में डीएनए विश्लेषण से मिली पहचान पर न्यायालय किसकी राय को अधिक मान्यता देगा? |
फोरेंसिक डीएनए विशेषज्ञ |
विशेषज्ञ राय को धारा 43 के अंतर्गत कब "असंगत" माना जा सकता है? |
जब वह राय उसके क्षेत्र के बाहर की हो |
"विदेशी कानून" से संबंधित राय भारतीय न्यायालय कब स्वीकार करता है? |
जब विशेषज्ञ संबंधित विदेशी कानून का विद्वान हो |
क्या किसी इमारत के स्ट्रक्चरल विफलता के केस में आर्किटेक्ट की राय धारा 43 के अंतर्गत सुसंगत मानी जा सकती है? |
हाँ, अगर वह स्ट्रक्चरल डिज़ाइन में विशेषज्ञ हो |
क्या केवल विशेषज्ञ की राय से दोष सिद्ध किया जा सकता है? |
नहीं, राय के साथ अन्य स्वतंत्र साक्ष्य होना भी आवश्यक है |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा नातेदारी के बारे में राय कब सुसंगत है (Opinion on relationship, when relevant) से संबंधित है, |
धारा 44 |
धारा 44 के अनुसार नातेदारी के संबंध में कौन-सी राय सुसंगत मानी जाती है? |
उस व्यक्ति की राय, जो उस परिवार के सदस्यों में से है या रहा है |
यदि कोई व्यक्ति कहता है कि उसने किसी रिश्ते के बारे में दूसरों से सुना है, तो उसकी राय कब सुसंगत मानी जा सकती है? |
जब वह व्यक्ति परिवार में शामिल रहा हो और प्रत्यक्ष अनुभव हो |
नातेदारी में "रक्त संबंध" की सुसंगतता तय करने में कौन सी राय अधिक मान्य है? |
परिवार के वृद्ध सदस्य की जो पीढ़ियों से उस संबंध को जानता है |
किस मामले में न्यायलय ने कहा कि पारिवारिक सदस्य द्वारा दी गई राय तथा नातेदारी के स्रोत को महत्वपूर्ण माना? |
कल्याण सिंह बनाम श्रीमती. छोटी |
किसी परिवार के सदस्य की राय नातेदारी से संबंधित कब असंगत मानी जाएगी? |
जब वह स्वयं संबंध में न हो, जब वह संबंध को नजदीक से नहीं जानता हो, जब उसकी राय केवल अनुमान पर आधारित हो |
नातेदारी से संबंधित राय धारा 44 के अंतर्गत कब निर्णायक नहीं मानी जाती? |
जब राय विरोधाभासी हो और प्रमाणित साक्ष्य मौजूद हो |
क्या कोई व्यक्ति जो विवाह द्वारा परिवार में शामिल हुआ हो, उसकी राय नातेदारी के संबंध में प्रासंगिक मानी जाएगी? |
हाँ, यदि वह लंबे समय से परिवार का हिस्सा है और संबंध को जानता है |
क्या डीएनए रिपोर्ट नातेदारी से संबंधित राय के लिए आवश्यक शर्त है? |
नहीं, यदि पारिवारिक राय और सामाजिक पहचान प्रबल हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 45 साक्षी अधिनियम 2023 किससे संबंधित है? |
राय के आधार कब सुसंगत हैं (Grounds of opinion, when relevant) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 45 के अंतर्गत राय के आधार कब सुसंगत हैं? |
जब कभी किसी जीवित व्यक्ति की राय सुसंगत है, तब वे आधार भी, जिन पर वह आधारित है, सुसंगत हैं |
एक विशेषज्ञ यदि केवल निष्कर्ष दे, लेकिन यह न बताए कि वह निष्कर्ष किस विधि से निकाला गया है, तो क्या होगा? |
न्यायालय राय को ठुकरा सकता है |
क्या न्यायालय राय के आधार को स्वतंत्र रूप से जाँचने का अधिकार रखता है? |
हाँ, न्यायालय विशेषज्ञ के आधारों की समीक्षा कर सकता है |
विशेषज्ञ द्वारा दी गई वैज्ञानिक राय में कौन-सी चीज़ सबसे आवश्यक मानी जाती है? |
परीक्षण विधियाँ और उसका परिणाम |
यदि एक विशेषज्ञ ने अपने राय के समर्थन में प्रयोगशाला रिपोर्ट प्रस्तुत की है, तो न्यायालय को क्या करना चाहिए? |
रिपोर्ट के तथ्यों और परीक्षण प्रक्रिया की विश्वसनीयता का परीक्षण करना |
क्या कोई विशेषज्ञ अपनी राय बनाने के प्रयोजनार्थ किए हुए प्रयोगों का विवरण दे सकता है? |
हाँ, |
विशेषज्ञ की राय कब न्यायालय में अविश्वसनीय मानी जाती है? |
जब उसके आधार स्पष्ट और प्रमाणिक न हों |
विशेषज्ञ यदि निष्कर्ष देता है, "यह दस्तावेज़ नकली है"—लेकिन प्रमाण नहीं देता — क्या यह स्वीकार्य है? |
नहीं, जब तक वह अपने निष्कर्ष का आधार नहीं बताए |
क्या न्यायालय को यह अधिकार है कि वह विशेषज्ञ की राय को नकार दे, भले ही उसके पास तकनीकी ज्ञान न हो? |
हाँ, यदि राय अवैज्ञानिक हो या अस्पष्ट हो |
क्या दो विशेषज्ञों की विपरीत राय की स्थिति में न्यायालय स्वयं तथ्यों का विश्लेषण कर सकता है? |
हाँ, न्यायालय को स्वतंत्र विवेक का अधिकार है |
"विशेषज्ञ की राय तभी प्रासंगिक मानी जाती है, जब वह अपने निष्कर्ष की व्याख्या और उसके पीछे के कारण भी प्रस्तुत करे" यह सिद्धांत किस केस में स्थापित हुआ? |
मोहम्मद अमन बनाम राजस्थान राज्य |
यदि एक विशेषज्ञ गवाही देता है और उसके आधार तकनीकी भाषा में होते हैं, तो न्यायालय क्या कर सकता है? |
विशेषज्ञ से सरल भाषा में व्याख्या मांगना |
कौन-सी स्थिति में न्यायालय विशेषज्ञ की राय को पूर्णतः अस्वीकार कर सकता है? |
जब वह न्यायालय को संदेहजनक लगे और आधारहीन हो |
विशेषज्ञ की राय न्यायालय को किस रूप में दी जाती है? |
सहायक साक्ष्य के रूप में |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “सिविल मामलों में अध्यारोपित आचरण साबित करने के लिए विसंगत है” (In civil cases character to prove conduct imputed, irrelevant) से संबंधित है। |
धारा 46
|
धारा 46 के अंतर्गत, सिविल मामले में किसी व्यक्ति के चरित्र को किस स्थिति में स्वीकार किया जा सकता है? |
जब उसका चरित्र सीधे विवादित तथ्य से संबंधित हो |
कौन-से मामलों में धारा 46 की सीमा सबसे अधिक लागू होती है? |
सिविल मुकदमे, जैसे मानहानि या परिवारिक विवाद |
किस केस में यह निर्णय दिया गया कि सिविल मामलों में चरित्र का प्रमाण केवल तब प्रासंगिक होता है जब वह विवाद के विषय से जुड़ा हो? |
गुमान सिंह बनाम राजस्थान राज्य |
सिविल मामले में यदि एक पक्ष दूसरे पक्ष के चरित्र पर बिना सुसंगतता के टिप्पणी करता है, तो न्यायालय: |
उसे अस्वीकार करेगा |
धारा 46 के अनुसार "अध्यारोपित आचरण" से क्या तात्पर्य है? |
पहले से लगाया गया नैतिक या सामाजिक व्यवहार |
क्या एक व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा को सिविल विवाद में न्यायालय स्वीकार करेगा? |
केवल तब जब प्रतिष्ठा स्वयं विवाद का हिस्सा हो |
यदि एक पक्ष यह कहता है कि "वादी स्वभाव से धोखेबाज़ है" — क्या यह सिविल केस में सुसंगत साक्ष्य होगा? |
नहीं, जब तक यह सीधा विवाद का हिस्सा न हो |
सिविल मुकदमे में "चरित्र प्रमाण" कब स्वीकार्य है? |
जब वह किसी आरोप को सिद्ध करने हेतु आवश्यक हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “दाण्डिक मामलों में पूर्वतन अच्छा शील सुसंगत है”(In criminal cases previous good character relevant) से संबंधित है? |
धारा 47
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धारा 47 के अंतर्गत “पूर्वतन अच्छा शील” किसका संकेत देता है? |
आरोपी की पिछली जीवन शैली और प्रतिष्ठा |
किस परिस्थिति में आरोपी अपने “अच्छे शील” को साक्ष्य में प्रस्तुत कर सकता है? |
जब उसके चरित्र की प्रतिष्ठा अभियोजन द्वारा प्रश्न में लाई गई हो |
किस केस में यह निर्णय दिया गया कि, अच्छे शील का प्रमाण केवल आम धारणा से मान्य है? |
आर बनाम रोटन (1865) |
अभियोजन पक्ष किस स्थिति में आरोपी का "बुरा शील" प्रस्तुत कर सकता है? |
जब आरोपी ने स्वयं अच्छा शील प्रस्तुत किया हो |
क्या आरोपी के “पूर्व अच्छा शील” का साक्ष्य एकमात्र आधार पर बरी करने के लिए पर्याप्त है? |
नहीं, अन्य साक्ष्य भी आवश्यक हैं |
धारा 47 के संदर्भ में "शील" शब्द का विधिक अर्थ क्या है? |
सामाजिक प्रतिष्ठा के बारे में सामान्य धारणा |
किस केस में यह निर्णय दिया गया कि, आरोपी की चरित्र-संबंधी साक्ष्य की सीमा? |
सरकार बनाम बिहार राज्य (2020) |
किस केस में यह निर्णय दिया गया कि , अच्छा शील अपराध सिद्धि को रोक नहीं सकता? |
महाराष्ट्र राज्य बनाम राकेश (2022) |
धारा 47 में किस शब्द के आधार पर आरोपी का पूर्व आचरण न्यायिक रूप से स्वीकार किया जाता है? |
प्रतिष्ठा |
अगर आरोपी पहले कभी दोषमुक्त हुआ है, तो क्या वह “अच्छे शील” का प्रमाण प्रस्तुत कर सकता है? |
हां, यदि उसका सामाजिक चरित्र अब भी अच्छा हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 48 किससे संबंधित है?
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कतिपय मामलों में शील या पूर्व लैंगिक अनुभव के साक्ष्य का सुसंगत न होना (Evidence of character or previous sexual experience not relevant in certain cases) |
धारा 48 का उद्देश्य मुख्य रूप से क्या सुनिश्चित करना है? |
पीड़िता के सम्मान और निजता की रक्षा करना |
किस प्रकार के अपराध में धारा 48 का विशेष रूप से अधिक महत्व है? |
बलात्कार और यौन उत्पीड़न से संबंधित अपराध |
किस केस में यह निर्णय दिया गया कि, पीड़िता के पूर्व संबंध को अप्रासंगिक माना गया? |
पंजाब राज्य बनाम गुरमीत सिंह (1996) |
धारा 48 किस सिद्धांत पर आधारित है? |
पीड़िता की पूर्व लैंगिक प्रवृत्तियों से सहमति अनुमानित नहीं की जा सकती |
किस स्थिति में न्यायालय धारा 48 के अंतर्गत साक्ष्य को अस्वीकार करेगा? |
जब साक्ष्य पीड़िता के यौन इतिहास से जुड़ा हो |
किस केस में, चरित्र हनन को अनुचित ठहराया गया? |
आर. बनाम सीबॉयर (1991, कनाडा) |
क्या अभियोजन पक्ष पीड़िता के चरित्र के बारे में साक्ष्य प्रस्तुत कर सकता है? |
नहीं, धारा 48 ऐसा साक्ष्य प्रतिबंधित करती है |
धारा 48 के प्रावधान किस प्रकार की मानसिकता का विरोध करते हैं? |
विक्टिम ब्लेमिंग (पीड़िता को दोष देना) |
क्या पीड़िता का "अश्लील पहनावा" धारा 48 के अंतर्गत सहमति सिद्ध करने के लिए सुसंगत साक्ष्य है? |
नहीं, यह असंगत है |
पीड़िता के पूर्व संबंध अप्रासंगिक विधिक विचारधारा को बल किस केस में मिला? |
तुकाराम बनाम महाराष्ट्र राज्य (मथुरा केस, 1979) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “उत्तर में होने के सिवाय पूर्वतन बुरा शील सुसंगत नहीं है(Previous bad character not relevant, except in reply), किससे संबंधित है? |
धारा 49
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धारा 49 के अंतर्गत "पूर्वतन बुरा शील" का साक्ष्य किस स्थिति में प्रस्तुत किया जा सकता है? |
जब अभियुक्त ने अपनी अच्छाई का प्रमाण प्रस्तुत किया हो |
धारा 49 के अनुसार, किसी अभियुक्त का बुरा आचरण किस स्थिति में प्रासंगिक हो सकता है? |
जब अभियुक्त स्वयं अपने अच्छे चरित्र का प्रमाण प्रस्तुत करता है |
किस प्रकार के मामलों में धारा 49 का पालन करना अनिवार्य होता है? |
आपराधिक मामलों में |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “नुकसानी पर प्रभाव डालने वाला शील”(Character as affecting damages) से संबंधित है? |
धारा 50 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 50 के अंतर्गत किस प्रकार का आचरण प्रासंगिक होता है? |
कोई जानबूझकर किया गया आचरण, जो नुकसान का कारण बने |
धारा 50 के तहत, एक व्यक्ति के आचरण से अगर दूसरे को नुकसानी होती है, तो उसे कैसे स्वीकार किया जाएगा? |
केवल गवाह के बयान से |
धारा 50 के अंतर्गत “नुकसानी पर प्रभाव डालने वाला शील” का संबंध किससे है? |
किसी व्यक्ति के व्यक्तिगत आचरण से जो नुकसान का कारण बन सकता है |
“नुकसानी पर प्रभाव डालने वाला शील” को किसी प्रकार से प्रमाणित किया जा सकता है? |
गवाहों के बयान द्वारा |
यदि किसी व्यक्ति का आचरण दूसरे व्यक्ति के लिए हानि का कारण बनता है, तो क्या यह धारा 50 के तहत स्वीकार्य होगा? |
हां, यदि इसे प्रमाणित किया जाए |
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भाग 3 सबूत के विषय |
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अध्याय 3 तथ्य जिनका साबित किया जाना आवश्यक नहीं है |
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा इस बात से संबंधित है कि न्यायिक रूप से अवेक्षणीय तथ्य साबित करना आवश्यक नहीं है(Fact judicially noticeable need not be proved) |
धारा 51 |
जब न्यायालय किसी तथ्य को "न्यायिक रूप से ज्ञात" मानता है, तो उसका प्रभाव क्या होता है? |
उसे साक्ष्य की आवश्यकता नहीं होती |
यदि कोई पक्ष न्यायालय से किसी तथ्य को न्यायिक रूप से अवेक्षणीय मानने का आग्रह करता है, और न्यायालय अनिश्चित है, तो वह क्या कर सकता है? |
पक्ष को विश्वसनीय पुस्तक, अधिनियम या सरकारी दस्तावेज़ प्रस्तुत करने का अवसर दे सकता है |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा वे तथ्य, जिनकी न्यायिक अवेक्षा न्यायालय करेगा (Facts of which Court shall take judicial notice) से संबंधित है? |
धारा 52 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 52 के अंतर्गत न्यायालय किन तथ्यों की न्यायिक अवेक्षा कर सकता है? |
ऐसे तथ्य जिन्हें कानून के अनुसार सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं होती |
धारा 52 के अनुसार, क्या न्यायालय किसी कानून की प्रामाणिकता को सिद्ध करने की अपेक्षा करता है? |
नहीं, यदि वह भारत में लागू है |
क्या न्यायालय को "भारत का राष्ट्रीय अवकाश 26 जनवरी" को सिद्ध करने की आवश्यकता है? |
नहीं, क्योंकि यह सामान्य ज्ञात तथ्य है |
किस केस में न्यायालय सामान्य रूप से ज्ञात तथ्यों की अवेक्षा कर सकता है सिद्धांत को दोहराया जो धारा 52 से जुड़ा है? |
केसर सिंह बनाम हरियाणा राज्य |
क्या न्यायालय को यह सिद्ध करने की आवश्यकता होती है कि "लोकसभा भारत की संसद का एक अंग है"? |
नहीं, यह न्यायिक रूप से अवेक्षणीय है |
धारा 52 का प्रमुख उद्देश्य क्या है? |
अदालत का समय बचाना और सार्वजनिक ज्ञात तथ्यों को पुनः प्रमाणित करने की आवश्यकता को समाप्त करना |
क्या "भारतीय रिजर्व बैंक भारत का केन्द्रीय बैंक है" — यह धारा 52 के अंतर्गत न्यायिक अवेक्षणीय तथ्य है? |
हां, क्योंकि यह सामान्य जानकारी है |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 53 किससे संबंधित है?
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स्वीकृत तथ्यों को साबित करना आवश्यक नहीं है (Facts admitted need not be proved) |
धारा 53 के अंतर्गत “स्वीकृत तथ्य” से क्या तात्पर्य है? |
वह तथ्य जिसे दोनों पक्षों ने स्वीकार कर लिया हो |
दूसरे पक्ष ने उस तथ्य का खंडन किया है क्या धारा 53 लागू होगी? |
नहीं |
क्या धारा 53 केवल सिविल वादों पर लागू होती है? |
नहीं, यह सभी प्रकार के वादों पर लागू होती है |
जब कोई तथ्य अदालत की कार्यवाही में प्रतिवादी द्वारा स्वीकार कर लिया जाए, तो उसका क्या परिणाम होता है? |
उसे न्यायालय बिना प्रमाण के मान सकता है |
क्या मौखिक रूप से दी गई स्वीकृति को भी धारा 53 के अंतर्गत माना जाता है? |
हां, अगर वह स्पष्ट और विवादरहित हो |
क्या कोर्ट स्वीकृत तथ्यों पर साक्ष्य की मांग कर सकता है? |
हां, अगर वह तथ्य संदेहास्पद प्रतीत हो |
क्या न्यायालय एक ऐसे तथ्य को बिना साक्ष्य के स्वीकार सकता है जिसे दोनों पक्षों ने रिकॉर्ड पर स्वीकार किया हो? |
हां, धारा 53 के अंतर्गत |
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अध्याय 4 (Chapter IV) |
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मौखिक साक्ष्य के विषय में (Of Oral Evidence) |
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा मौखिक साक्ष्य द्वारा तथ्यों का साबित किया जाना(Proof of facts by oral evidence) से संबंधित है? |
धारा 54 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 54 के अनुसार, "मौखिक साक्ष्य" किसे कहते हैं? |
कोई भी ऐसी जानकारी जो प्रत्यक्ष रूप से किसी व्यक्ति से प्राप्त की गई हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 54 के अनुसार, किस स्थिति में मौखिक साक्ष्य का उपयोग नहीं किया जा सकता? |
जब तथ्य किसी दस्तावेज़ के रूप में उपलब्ध हों |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 54 के तहत, क्या एक व्यक्ति का कहना कि "मैंने उस घटना को देखा" एक स्वीकार्य मौखिक साक्ष्य होगा? |
हाँ, यदि वह व्यक्ति घटना का प्रत्यक्ष गवाह हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 54 के तहत, यदि कोई व्यक्ति दृश्य या श्रव्य साक्ष्य देने का दावा करता है, तो यह किस आधार पर स्वीकार किया जाएगा? |
यदि व्यक्ति द्वारा दी गई जानकारी प्रत्यक्ष रूप से घटनाओं के आधार पर हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 54 के अनुसार, क्या मौखिक साक्ष्य किसी स्थान या वस्तु के बारे में जानकारी देने में सहायक हो सकता है? |
हाँ, यदि व्यक्ति ने इसे प्रत्यक्ष रूप से देखा हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 54 के तहत, मौखिक साक्ष्य का कोई प्रमाण देने से पहले न्यायालय क्या करेगा? |
यह सुनिश्चित करेगा कि साक्ष्य प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त किया गया हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 54 के तहत, कौन सा प्रकार का साक्ष्य अधिक विश्वसनीय माना जाता है? |
मौखिक साक्ष्य, जब यह स्पष्ट रूप से देखा और सुना गया हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 54 के तहत, यदि एक व्यक्ति घटनास्थल पर नहीं था, तो क्या वह मौखिक साक्ष्य के रूप में किसी अन्य व्यक्ति के बयान को स्वीकार कर सकता है? |
नहीं, क्योंकि वह स्वयं घटनास्थल पर नहीं था |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 54 के तहत, एक विशेषज्ञ द्वारा दी गई मौखिक राय किस प्रकार के मामलों में स्वीकार्य हो सकती है? |
जब विशेषज्ञ की राय तकनीकी और विशेष रूप से प्रशिक्षित हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा मौखिक साक्ष्य का प्रत्यक्ष होना(Oral evidence to be direct) से संबंधित है ? |
धारा 55 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 55 के अनुसार, "मौखिक साक्ष्य का प्रत्यक्ष होना" का क्या अर्थ है? |
गवाह का वह बयान जिसे उसने घटना को प्रत्यक्ष रूप से देखा या सुना हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 55 के तहत, "प्रत्यक्ष साक्ष्य" के बारे में क्या माना जाएगा? |
गवाह का अनुभव, जब उसने घटना को देखा और सुना |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 55 के तहत, यदि एक गवाह ने घटना को केवल सुना है, तो यह किस प्रकार का साक्ष्य माना जाएगा? |
प्रत्यक्ष साक्ष्य |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 55 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति घटना को केवल परोक्ष रूप से जानता है, तो क्या उसकी गवाही प्रत्यक्ष साक्ष्य मानी जाएगी? |
नहीं, यह अप्रत्यक्ष साक्ष्य होगा |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 55 के तहत, कौन सा कथन सही है? |
प्रत्यक्ष साक्ष्य केवल उन्हीं घटनाओं के बारे में हो सकता है जिन्हें गवाह ने प्रत्यक्ष रूप से देखा और सुना हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 55 के तहत, यदि कोई व्यक्ति केवल किसी घटना का अनुमान लगाता है, तो क्या उसकी गवाही प्रत्यक्ष साक्ष्य मानी जाएगी? |
नहीं, क्योंकि यह प्रत्यक्ष अनुभव पर आधारित नहीं है
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अध्याय 5 (Chapter V) |
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दस्तावेजी साक्ष्य के विषय में (Of Documentary Evidence) |
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा 56 किससे संबंधित है? |
दस्तावेजों की अन्तर्वस्तु का सबूत (Proof of contents of documents) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 56 के अनुसार, किसी दस्तावेज़ की अन्तर्वस्तु को सिद्ध करने का सर्वोत्तम तरीका क्या है? |
प्राथमिक साक्ष्य |
धारा 56 के अंतर्गत, द्वितीयक साक्ष्य का प्रयोग कब किया जा सकता है? |
जब दस्तावेज़ मूल रूप में कोर्ट में प्रस्तुत न किया जा सके |
कौन सा केस भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 56 की व्याख्या में प्रमुख माना गया है? |
यूपी राज्य बनाम राज नारायण
|
किसी लिखित अनुबंध की सामग्री को प्रमाणित करने के लिए, कौन सा साक्ष्य स्वीकार्य नहीं होगा? |
मौखिक गवाही |
धारा 56 के अनुसार, यदि एक दस्तावेज़ को विवादित किया गया है, तो कोर्ट किस प्रकार का साक्ष्य सबसे पहले स्वीकार करेगी? |
प्राथमिक |
न्यायालय के अनुसार, “दस्तावेज़ की अन्तर्वस्तु को प्रमाणित करने का सर्वोत्तम तरीका” कौन सा है? |
मूल दस्तावेज़ |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा, दस्तावेज़ों को दिखाना गोपनीयता का उल्लंघन नहीं है? |
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राज नारायण |
यदि मूल दस्तावेज़ गुम हो गया है, कौन सा साक्ष्य स्वीकार्य होगा? |
द्वितीयक साक्ष्य |
धारा 56 के अनुसार, जब दस्तावेज़ विवाद का मुख्य बिंदु हो, तब उसका प्रमाण कैसे दिया जाना चाहिए? |
मूल दस्तावेज़ द्वारा |
धारा 56 के अधीन, जब दस्तावेज़ की विषयवस्तु को ही चुनौती दी जाती है, तो सबसे पहले क्या किया जाना चाहिए? |
दस्तावेज़ की मूल प्रति पेश की जाए |
धारा 56 के अंतर्गत, यदि मूल दस्तावेज़ जल गया हो, तो क्या विकल्प उपलब्ध है? |
द्वितीयक साक्ष्य की अनुमति दी जा सकती है |
न्यायालय को किस परिस्थिति में द्वितीयक साक्ष्य की अनुमति देनी चाहिए? |
जब मूल दस्तावेज़ की उपलब्धता असंभव हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा प्राथमिक साक्ष्य(Primary evidence) से संबंधित है? |
धारा 57 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 57 के अनुसार, "प्राथमिक साक्ष्य"(Primary evidence) का क्या तात्पर्य है? |
दस्तावेज़ की मूल प्रति |
प्राथमिक साक्ष्य(Primary evidence)से अभिप्राय किस प्रकार के दस्तावेज़ से है? |
जो प्रत्यक्ष रूप से दस्तावेज़ की मौलिकता दर्शाए |
प्राथमिक साक्ष्य(Primary evidence)के सिद्धांत को सर्वोच्च न्यायालय ने किस केस में प्रमुखता से दोहराया? |
बिहार राज्य बनाम राधा कृष्ण सिंह |
किस स्थिति में न्यायालय द्वितीयक साक्ष्य की अनुमति देगा, बजाय प्राथमिक साक्ष्य (Primary evidence) के? |
जब प्राथमिक साक्ष्य उपलब्ध न हो या खो गया हो |
प्राथमिक साक्ष्य(Primary evidence)किसे माना जाएगा? |
मूल अनुबंध पत्र |
धारा 57 के अंतर्गत, कौन प्राथमिक साक्ष्य (Primary evidence) नहीं है? |
मूल की प्रमाणित प्रति |
प्राथमिक साक्ष्य (Primary evidence)के उपयोग में, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का प्रमाणन किस अधिनियम के तहत होता है? |
आई. टी. अधिनियम, 2000 |
प्राथमिक साक्ष्य(Primary evidence)की वैधता को परखने के लिए न्यायालय सबसे पहले क्या देखता है? |
दस्तावेज़ की मौलिकता |
किस केस में यह निर्णय दिया गया कि, केवल प्राथमिक साक्ष्य(Primary evidence)द्वारा ही दस्तावेज़ सिद्ध किया जा सकता है? |
बिहार राज्य बनाम राधा कृष्ण सिंह |
धारा 57 के अनुसार, क्या प्राथमिक साक्ष्य के अंतर्गत गवाह का हलफनामा आता है? |
नहीं |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा द्वितीयक साक्ष्य (Secondary evidence) से संबंधित है? |
धारा 58 |
धारा 58 के अनुसार, द्वितीयक साक्ष्य का प्रयोग कब तब किया जा सकता है? |
जब मूल दस्तावेज़ खो गया हो या नष्ट हो गया हो |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "द्वितीयक साक्ष्य केवल तभी स्वीकार्य है जब उसके उपयोग की स्पष्ट आधार हो"? |
बिहार राज्य बनाम राधा कृष्ण सिंह
|
द्वितीयक साक्ष्य में कौन शामिल नहीं होता? |
मूल दस्तावेज़ |
किस स्थिति में द्वितीयक साक्ष्य अनुचित माना जाएगा? |
जब प्राथमिक साक्ष्य आसानी से उपलब्ध हो |
यदि कोई व्यक्ति मूल दस्तावेज़ को जानबूझकर पेश नहीं करता, तो क्या न्यायालय द्वितीयक साक्ष्य को स्वीकार करेगा? |
नहीं |
द्वितीयक साक्ष्य को मान्यता कब दी जाती है? |
जब दस्तावेज़ की मौलिकता प्रमाणित की गई हो |
कौन-सा कथन द्वितीयक साक्ष्य के बारे में गलत है? |
इसकी वैधता के लिए कारण दिखाना आवश्यक नहीं |
किस केस में न्यायालय ने कहा – "द्वितीयक साक्ष्य को तभी स्वीकार किया जाएगा जब इसका उपयोग उचित रूप से सिद्ध किया गया हो"? |
राधा कृष्ण सिंह बनाम बिहार राज्य
|
द्वितीयक साक्ष्य किस प्रकार की न्यायिक प्रणाली में विशेष महत्व रखता है? |
सभी प्रकार की न्यायिक प्रक्रिया में |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा दस्तावेजों का प्राथमिक साक्ष्य द्वारा साबित किया जाना (Proof of documents by primary evidence) से संबंधित है। |
धारा 59 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 59 के अनुसार, दस्तावेज़ को सिद्ध करने के लिए किस प्रकार का साक्ष्य प्राथमिक रूप से प्रस्तुत किया जाना चाहिए? |
दस्तावेज़ की मूल प्रति |
धारा 59 के अनुसार, यदि मूल दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं है, तो किस प्रकार का साक्ष्य द्वितीयक साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है? |
दस्तावेज़ की प्रमाणित प्रति |
धारा 59 में उल्लेखित "प्राथमिक साक्ष्य" का क्या तात्पर्य है? |
दस्तावेज़ की मूल प्रति |
द्वितीयक साक्ष्य को स्वीकार करने के लिए न्यायालय को किस बात का संतोष होना चाहिए? |
दस्तावेज़ की असलियत सिद्ध की जाए |
किस स्थिति में प्राथमिक साक्ष्य को स्वीकार नहीं किया जाता है? |
दस्तावेज़ विवादित हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी अवस्थाएं जिनमें दस्तावेजों के सम्बन्ध में द्वितीयक साक्ष्य दिया जा सकेगा(Cases in which secondary evidence relating to documents may be given) से संबंधित हैं। |
धारा 60
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धारा 60 के तहत, द्वितीयक साक्ष्य कब स्वीकार किया जा सकता है? |
जब दस्तावेज़ खो जाए या नष्ट हो जाए, जब दस्तावेज़ की प्रमाणिकता विवादित हो, जब गवाह दस्तावेज़ के विषय में कुछ याद न कर सके |
यदि मूल दस्तावेज़ नष्ट हो गया है, तो द्वितीयक साक्ष्य किस रूप में स्वीकार किया जा सकता है? |
दस्तावेज़ की प्रमाणित प्रति |
धारा 60 के अनुसार, जब दस्तावेज़ गुम हो गया है, तब कौन सा साक्ष्य स्वीकार किया जाएगा? |
द्वितीयक साक्ष्य |
धारा 60 के तहत, द्वितीयक साक्ष्य के रूप में किसे स्वीकार किया जा सकता है यदि मूल दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं है? |
दस्तावेज़ की गवाह से प्रमाणित प्रति |
यदि मूल दस्तावेज़ गुम हो गया है, तो न्यायालय किसे स्वीकार करेगा? |
द्वितीयक साक्ष्य |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 61 किससे संबंधित है? |
इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड (Electronic or digital record) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 61 के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की प्रमाणिकता को सिद्ध करने के लिए किसका प्रमाण प्रस्तुत किया जाता है? |
डिजिटल सिग्नेचर प्रमाणपत्र |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा इलैक्ट्रानिक अभिलेख से संबंधित साक्ष्य के बारे में विशेष उपबंध (Special provisions as to evidence relating to electronic record) से संबंधित है। |
धारा 62 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा इलैक्ट्रानिक अभिलेखों की ग्राहयता (Admissibility of electronic records) से संबंधित है। |
धारा 63 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 63 के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख को साक्ष्य के रूप में स्वीकार करने के लिए कौन सी शर्त आवश्यक है? |
प्रमाणिकता प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना |
धारा 63(4) के तहत, इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख के साथ प्रस्तुत किया जाने वाला प्रमाणिकता प्रमाणपत्र किसे हस्ताक्षरित करना चाहिए? |
कंप्यूटर या संचार उपकरण के प्रभारी व्यक्ति |
धारा 63(3) के अनुसार, यदि एक अवधि के दौरान एक से अधिक कंप्यूटर या संचार उपकरणों का उपयोग किया गया है, तो उन्हें किस रूप में माना जाएगा? |
एकल उपकरण |
धारा 63(2) के तहत, इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की प्रमाणिकता के लिए कौन सी शर्तों को पूरा करना आवश्यक है? |
कंप्यूटर या संचार उपकरण का नियमित उपयोग, जानकारी का नियमित रूप से कंप्यूटर में प्रवेश उपकरण का सही संचालन |
धारा 63(5) के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की उत्पत्ति के लिए कौन सा तरीका स्वीकार्य है? |
मानव हस्तक्षेप के साथ या बिना |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा पेश करने की सूचना के बारे में नियम( Rules as to notice to produce) संबंधित है। |
धारा 64 |
धारा 64 के तहत सूचना देने की आवश्यकता किस स्थिति में नहीं होती? |
जब सूचना पहले से नोटिस में हो |
"सूचना देने की कोई आवश्यकता नहीं है" — यह वाक्य किन परिस्थितियों पर लागू होता है? |
जब दस्तावेज़ कोर्ट रिकॉर्ड का हिस्सा है |
द्वितीयक साक्ष्य की स्वीकृति से पूर्व सूचना देने का क्या प्रभाव होता है? |
विपक्षी पक्ष को प्रमाणिकता चुनौती देने का अवसर मिलता है |
न्यायिक दृष्टिकोण से, धारा 64 में सूचना किस रूप में दी जा सकती है? |
मौखिक या लिखित दोनों |
धारा 64 की भावना के अनुसार, "सूचना" किस सिद्धांत पर आधारित है? |
पारदर्शिता और अवसर का सिद्धांत |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 65 किससे संबंधित है?
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जिस व्यक्ति के बारे में अभिकथित है कि उसने पेश की गई दस्तावेज को हस्ताक्षरित किया था या लिखा था उस व्यक्ति के हस्ताक्षर या हस्तलेख का साबित किया जाना (Proof of signature and handwriting of person alleged to have signed or written document produced) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 66 किससे संबंधित है? |
इलैक्ट्रानिक हस्ताक्षर के बारे में सबूत (Proof as to electronic signature) |
धारा 66 के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर की वैधता सिद्ध करने के लिए कौन-सा माध्यम उपयुक्त माना गया है? |
प्रमाणीकृत इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर प्रमाणपत्र |
इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर के प्रमाणीकरण के लिए किस प्राधिकारी द्वारा जारी प्रमाणपत्र का उल्लेख धारा 66 में किया गया है? |
लाइसेंस प्राप्त सर्टिफाइंग अथॉरिटी |
धारा 66 में ‘सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर’ की अवधारणा किस अधिनियम के तहत निर्धारित की गई है? |
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 |
न्यायिक दृष्टांत का धारा 66 से क्या संबंध है, इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को साक्ष्य मानने की वैधता? |
महाराष्ट्र राज्य बनाम डॉ. प्रफुल्ल बी.देसाई (2003) |
इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर की पुष्टि के लिए किस प्रकार की विशेषज्ञ राय ली जा सकती है? |
फॉरेंसिक कंप्यूटर विशेषज्ञ की |
क्या "डिजिटल हस्ताक्षर" और "इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर" समानार्थी शब्द हैं, जब बात धारा 66 की हो? |
तकनीकी रूप से भिन्न |
किस विधिक धारणा के तहत सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर को वास्तविक माना जाता है? |
विधिक निष्कर्ष |
किस स्थिति में धारा 66 के तहत इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर को साक्ष्य के रूप में खारिज किया जा सकता है? |
जब हस्ताक्षर का क्रिप्टोग्राफिक प्रमाण न हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 67 किससे संबंधित है?
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ऐसे दस्तावेज के निष्पादन का साबित किया जाना, जिसका अनुप्रमाणित होना विधि द्वारा अपेक्षित है (Proof of execution of document required by law to be attested) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 68 किससे संबंधित है? |
जब किसी भी अनुप्रमाणक साक्षी का पता न चले, तब सबूत (Proof where no attesting witness found) |
अनुप्रमाणक साक्षी की अनुपस्थिति में निष्पादन प्रमाणित नहीं किया जा सकता, से सम्बंधित केस कौन सा है? |
गिरजा दत्त सिंह बनाम गंगोत्री दत्त सिंह (1955) |
निष्पादन के लिए साक्ष्य देने वाले को सब कुछ जानना आवश्यक नहीं, से सम्बंधित केस कौन सा है |
जानकी वशदेव भोजवानी बनाम इंडसइंड बैंक लिमिटेड (2005) |
दस्तावेज के निष्पादन का साबित किये जाने के लिए कितने अनुप्रमाणित साक्षी होना आवश्यक है? |
कम से कम एक साक्षी |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा अनुप्रमाणित दस्तावेज के पक्षकार द्वारा निष्पादन की स्वीकृति( Admission of execution by party to attested document) से संबंधित है। |
धारा 69 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा जबकि अनुप्रमाणक साक्षी निष्पादन का प्रत्याख्यान करता है, तब सबूत(Proof when attesting witness denies execution) से संबंधित है। |
धारा 70 |
धारा 70 के अनुसार यदि अनुप्रमाणक साक्षी यह कहता है कि उसने दस्तावेज़ निष्पादित होते नहीं देखा, तो क्या यह निष्पादन को खारिज करने के लिए पर्याप्त है? |
नहीं, निष्पादन को अन्य प्रमाणों से सिद्ध किया जा सकता है |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा उस दस्तावेज का साबित किया जाना जिसका अनुप्रमाणित होना विधि द्वारा अपेक्षित नहीं है (Proof of document not required by law to be attested), से संबंधित है। |
धारा 71
|
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा हस्ताक्षर, लेख या मुद्रा की तुलना अन्यों से जो स्वीकृत या साबित हैं (Comparison of signature, writing or seal with others admitted or proved) से संबंधित है। |
धारा 72
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 73 किससे संबंधित है?
|
डिजिटल हस्ताक्षर के सत्यापन के बारे में सबूत (Proof as to verification of digital signature) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 74 किससे संबंधित है? |
सार्वजनिक और निजी दस्तावेज़ (Public and private documents) |
पंजीकृत विक्रय विलेख" कौन से दस्तावेज की श्रेणी में आता है? |
लोक दस्तावेज़" (Public Document) |
अप्रकाशित करारनामा कौन से दस्तावेज की श्रेणी में आता है? |
निजी दस्तावेज़ (Private Document) |
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लोक दस्तावेज़ों के संबंध में क्या कहा, कि सर्टिफाइड कॉपी साक्ष्य के रूप में मान्य होती है? |
सतीश बनाम महाराष्ट्र राज्य (2019) |
क्या निजी दस्तावेज़ की एक अनाधिकारिक प्रति न्यायालय में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की जा सकती है? |
नहीं, जब तक उसका प्रमाणन न हो |
लोक दस्तावेज़ों का मुख्य लक्षण क्या है? |
वे सार्वजनिक अभिलेखागार में दर्ज होते हैं और जनता को उपलब्ध होते हैं |
धारा 74 के अनुसार निजी दस्तावेज़ की सत्यता किस प्रकार सिद्ध की जाती है? |
मूल दस्तावेज़ या प्रमाणीकृत प्रतिलिपि से |
न्यायालय का आदेश जो किसी विवाद का निर्णय करता है, वह कौन सा दस्तावेज माना जाएगा? |
न्यायिक लोक दस्तावेज़ |
किस मामले में कहा गया लोक दस्तावेज़ जब उसमें छेड़छाड़ के प्रमाण हों अस्वीकार्य हो सकता है? |
बिहार राज्य बनाम राधा कृष्ण सिंह (1983) |
यदि कोई निजी दस्तावेज़ बाद में पंजीकरण कार्यालय में पंजीकृत करवा दिया जाए, तो वह दस्तावेज़ किस श्रेणी में आएगा? |
लोक दस्तावेज़ बन जाएगा |
क्या लोक दस्तावेज़ की प्रमाणिकता सिद्ध करने के लिए सर्टिफाइड कॉपी पर्याप्त है? |
हाँ |
कोई ईमेल कब लोक दस्तावेज़ हो सकता है? |
जब वह सरकारी विभाग द्वारा जारी किया गया हो |
क्या निजी संस्था का आंतरिक ज्ञापन दस्तावेज़ लोक दस्तावेज़ है? |
नहीं |
क्या पंजीकृत वसीयतनामा (Registered Will) को लोक दस्तावेज़ माना जाता है? |
हाँ |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “लोक दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां”(Certified copies of public documents) से संबंधित है |
धारा 75 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “प्रमाणित प्रतियों के पेश करने द्वारा दस्तावेजों का सबूत”(Proof of documents by production of certified copies) से संबंधित है। |
धारा 76
|
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “अन्य शासकीय दस्तावेजों का सबूत”(Proof of other official documents) से संबंधित है? |
धारा 77 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “प्रमाणित प्रतियों के असली होने के बारे में उपधारणा (Presumption as to genuineness of certified copies)” से संबंधित है। |
धारा 78 |
धारा 78 के अंतर्गत न्यायालय किस बात की उपधारणा करता है? |
कि प्रमाणित प्रतियां असली मूल दस्तावेज़ से बनी हैं |
"प्रमाणित प्रति" (Certified Copy) का क्या अर्थ है? |
जिसे संबंधित अधिकारी ने विधिसम्मत तरीके से प्रमाणित किया हो |
किसी दस्तावेज़ की प्रमाणित प्रति के असली होने की उपधारणा किस प्रकार की उपधारणा है? |
प्रतिवर्ती उपधारणा |
किस केस में प्रमाणित प्रतियों के बारे में क्या टिप्पणी दी गई थी, जब तक कोई विपरीत साक्ष्य न हो, अदालत उनकी वास्तविकता मान सकती है ? |
नारायण दत्त तिवारी बनाम रोहित शेखर (2012) |
प्रमाणित प्रति की सत्यता को नकारने के लिए किस प्रकार का साक्ष्य आवश्यक है? |
प्रत्यक्ष या ठोस विपरीत साक्ष्य |
यदि प्रमाणित प्रति सरकारी अधिकारी द्वारा जारी की गई हो, तो उसकी वैधता की उपधारणा कब तक मानी जाती है? |
जब तक उसकी असत्यता सिद्ध न हो |
क्या अदालत बिना मूल दस्तावेज़ के केवल प्रमाणित प्रति के आधार पर निर्णय ले सकती है? |
हाँ, यदि धारा 78 लागू हो |
प्रमाणित प्रति की उपधारणा को न्यायालय क्यों मानता है? |
प्रमाणिकता के वैधानिक सिद्धांत के आधार पर |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने प्रमाणित प्रतियों के साक्ष्य के बारे में निर्देश दिया कि जब तक उसका खंडन न किया जाए, अदालत उन्हें स्वीकार कर सकती है? |
भारत संघ बनाम मेसर्स इब्राहिम उद्दीन (2012) |
प्रमाणित प्रति किस कानून के अंतर्गत वैध प्रमाण मानी जाती है? |
पंजीकरण अधिनियम, 1908 भारतीय साक्ष्य अधिनियम |
प्रमाणित प्रति पर मुहर एवं अधिकारी के हस्ताक्षर का क्या महत्व है? |
दस्तावेज़ की वैधता और प्रमाणिकता सिद्ध करने हेतु अनिवार्य है |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “साक्ष्य, आदि के अभिलेख के तौर पर पेश की गई दस्तावेजों के बारे में उपधारणा” (Presumption as to documents produced as record of evidence, etc) से संबंधित है? |
धारा 79
|
धारा 79 के अनुसार यदि कोई दस्तावेज़ न्यायालय के रजिस्ट्रार द्वारा प्रमाणित है, तो न्यायालय किस बात की उपधारणा करता है? |
दस्तावेज़ वैध और अधिकारिक अभिलेख है |
धारा 79 के अंतर्गत “साक्ष्य का अभिलेख" का क्या तात्पर्य है? |
न्यायालय द्वारा लिए गए गवाहों के बयान, निर्णय या प्रक्रिया से संबंधित दस्तावेज़ |
किस केस में न्यायालय ने न्यायालय में प्रस्तुत अभिलेखों की स्वाभाविक सत्यता की उपधारणा बात पर बल दिया? |
सम्राट बनाम रामदयाल (1915) |
किस प्रकार के दस्तावेज़ों के लिए धारा 79 उपधारणा प्रदान करती है? |
न्यायालय द्वारा तैयार या प्रमाणित दस्तावेज़ |
धारा 79 की उपधारणा का प्रकार क्या है? |
प्रतिवर्ती उपधारणा |
क्या धारा 79 के अंतर्गत न्यायालय निर्णयों की प्रमाणित प्रतियों की वैधता पर उपधारणा मानता है? |
हाँ |
किस केस में न्यायालय ने, न्यायालय से प्रमाणित दस्तावेज़ों की विश्वसनीयता को महत्व दिया? |
राजस्थान राज्य बनाम काशी राम (2006) |
धारा 79 के अनुसार, न्यायालय किस प्रकार के दस्तावेज़ों के संबंध मे उपधारणा बनाता है? |
जो न्यायालय के अधीन बनाए गए, या न्यायालय के रजिस्ट्रार द्वारा प्रमाणित हों |
यदि कोई व्यक्ति न्यायालय में रिकॉर्ड किए गए साक्ष्य को चुनौती देता है, तो उसे क्या करना होगा? |
दस्तावेज़ की असलियत के विरुद्ध ठोस साक्ष्य देना होगा |
धारा 79 का उद्देश्य क्या है? |
न्यायालय द्वारा प्रमाणित दस्तावेज़ों की वैधता में विश्वास स्थापित करना |
क्या न्यायालय में दायर कोई फ़रियादी पत्र धारा 79 के अंतर्गत आता है? |
हाँ, यदि उस पर कोर्ट की सील हो |
किस केस में कोर्ट द्वारा प्रमाणित अभियोजन गवाहों की सूची को वैध माना गया? |
हरि राम बनाम राज्य (दिल्ली प्रशासन) |
धारा 79 के अंतर्गत कोर्ट किन दस्तावेज़ों को 'स्व-प्रमाणित' मान सकता है? |
न्यायालयीय आदेशों की प्रमाणित प्रतियां |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 कौन सी धारा राजपत्रों, समाचारपत्रों, और अन्य दस्तावेजों के बारे में उपधारणा (Presumption as to Gazettes, newspapers, and other documents) से संबंधित है। |
धारा 80
|
धारा 80 के अनुसार भारत सरकार के राजपत्र में प्रकाशित किसी अधिसूचना के बारे में न्यायालय किस प्रकार की उपधारणा बनाता है? |
कि वह वैध एवं प्रामाणिक है |
किस केस में सर्वोच्च न्यायालय ने क्या स्पष्ट किया कि, राजपत्र की प्रमाणिकता पर उपधारणा की जा सकती है? |
शिवराज पाटिल बनाम भारत संघ |
समाचार पत्र में प्रकाशित सूचना की वैधता पर न्यायालय क्या मानता है? |
उपधारणा करता है कि यह केवल सूचना मात्र है, पूर्ण प्रमाण नहीं |
किस केस में कहा गया कि, अधिसूचना तब तक मान्य नहीं जब तक वह राजपत्र में प्रकाशित न हो? |
बी. रामनाथन बनाम तमिलनाडु राज्य |
राजपत्र में प्रकाशित सूचना का खंडन कैसे किया जा सकता है? |
सक्षम प्राधिकारी से प्रमाणित दस्तावेज़ द्वारा |
धारा 80 के अनुसार समाचार पत्र में प्रकाशित अधिसूचना किस स्थिति में साक्ष्य मानी जाती है? |
जब उसका स्रोत स्पष्ट और प्रमाणित हो
|
समाचार पत्र किस प्रकार का साक्ष्य माना जाता है? |
माध्यमिक साक्ष्य |
क्या न्यायालय को अधिसूचना के मूल दस्तावेज़ की आवश्यकता होती है यदि वह राजपत्र में प्रकाशित हो? |
नहीं, राजपत्र की प्रति पर्याप्त है |
धारा 80 में “अन्य दस्तावेज़” शब्द किसे सम्मिलित करता है? |
सरकारी अधिसूचनाएं, परिपत्र, और अधिसंख्य विभागीय आदेश |
समाचार पत्र में छपी सूचना को कौन चुनौती दे सकता है? |
कोई भी व्यक्ति |
क्या किसी अधिसूचना की सत्यता पर अदालत स्वतः संदेह कर सकती है? |
केवल तब, जब अधिसूचना का स्रोत अप्रमाणित हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 81 किससे संबंधित है? |
इलैक्ट्रानिक या डिजिटल अभिलेख में राजपत्र के बारे में उपधारणा (Presumption as to Gazettes in electronic or digital record) |
धारा 81 के अंतर्गत, यदि कोई राजपत्र भारत सरकार की अधिकृत वेबसाइट पर प्रकाशित होता है, तो न्यायालय क्या उपधारणा करता है? |
कि वह अभिलेख प्रमाणिक है |
धारा 81 किस प्रकार की उपधारणा को मान्यता देती है? |
प्रतिवर्ती उपधारणा |
डिजिटल राजपत्र की प्रमाणिकता किस बात पर निर्भर करती है? |
सरकारी वेबसाइट पर प्रकाशित होने पर |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल रूप में प्रकाशित राजपत्र सरकारी अधिसूचना का वैध प्रमाण है, को मान्यता दी? |
भारत संघ बनाम लोकनाथ प्रसाद |
क्या डिजिटल राजपत्र में प्रकाशित अधिसूचना को न्यायालय स्वतः साक्ष्य के रूप में मानेगा? |
हाँ, यदि वह अधिकृत स्रोत से है |
धारा 81 की उपधारणा को कौन चुनौती दे सकता है? |
संबंधित पक्ष |
किस केस में डिजिटल अधिसूचना को प्रमाणिक माना गया? |
राकेश कुमार पॉल बनाम असम राज्य (2017) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 82 किससे संबंधित है?
|
सरकार के प्राधिकार द्वारा बनाए गए मानचित्रों या रेखांकों के बारे में उपधारणा (Presumption as to maps or plans made by authority of Government) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “विधियों के संग्रह और विनिश्चयों की रिपोर्टों के बारे में उपधारणा” Presumption as to collections of laws and reports of decisions) से संबंधित है। |
धारा 83 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “मुख्तारनामों के बारे में उपधारणा”(Presumption as to powers-of-attorney) से संबंधित है। |
धारा 84 |
धारा 84 के अंतर्गत न्यायालय किस स्थिति में मुख्तारनामे की प्रमाणिकता की उपधारणा करता है? |
जब वह उचित रूप से अभिप्रमाणित हो |
धारा 84 में “अभिप्रमाणित” मुख्तारनामे से तात्पर्य क्या है? |
रजिस्टर्ड नॉटरी या उपयुक्त प्राधिकारी द्वारा सत्यापित |
किस केस में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा, उचित प्रमाणन के साथ प्रस्तुत मुख्तारनामे की वैधता की उपधारणा की जा सकती है? |
राम जस बनाम सुरेन्द्र नाथ |
क्या मुख्तारनामे की प्रमाणिकता को चुनौती दी जा सकती है? |
हाँ, ठोस साक्ष्य के द्वारा |
मुख्तारनामे की प्रमाणिकता को न्यायालय किस आधार पर मान्यता देता है? |
उपयुक्त प्राधिकारी की मुहर एवं हस्ताक्षर |
धारा 84 की उपधारणा किस प्रकार की होती है? |
प्रतिवर्ती उपधारणा |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने वैध रूप से प्रमाणित मुख्तारनामे की विधिक मान्यता पर जोर दिया? |
रमेश चंद अरदावतिया बनाम अनिल पंजवानी |
अगर मुख्तारनामा विदेश में बना है, तो उसकी प्रमाणिकता किससे प्रमाणित होनी चाहिए? |
भारत के दूतावास/राजनयिक या कौंसुलर अधिकारी से |
क्या मुख्तारनामे को केवल फोटोकॉपी रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है? |
नहीं, केवल मूल अथवा उचित रूप से प्रमाणित प्रति ही मान्य होती है |
यदि मुख्तारनामा किसी बैंकिंग लेन-देन के लिए है, तो क्या धारा 84 लागू होगी? |
हाँ, यदि वह विधिवत प्रमाणित है |
मुख्तारनामे की वैधता को चुनौती किस रूप में दी जा सकती है? |
प्रतिवाद पत्र और ठोस दस्तावेज़ीय साक्ष्य द्वारा |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “इलैक्ट्रानिक करारों के बारे में उपधारणा”(Presumption as to electronic agreements) से संबंधित है। |
धारा 85 |
धारा 85 के अंतर्गत न्यायालय किस बात की उपधारणा करता है? |
कि विधिसम्मत इलेक्ट्रॉनिक करार वैध और प्रामाणिक है |
धारा 85 के अंतर्गत "विधिसम्मत इलेक्ट्रॉनिक करार" से क्या तात्पर्य है? |
ऐसा करार जो इलेक्ट्रॉनिक रूप में बना और डिजिटली हस्ताक्षरित हो |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्ध किया कि ईमेल और अन्य इलेक्ट्रॉनिक संवाद भी वैध करार बनाते हैं यदि शर्तें स्पष्ट हों ? |
ट्राइमेक्स इंटरनेशनल एफजेडई लिमिटेड बनाम वेदांता एल्युमिनियम लिमिटेड |
क्या इलेक्ट्रॉनिक करार की वैधता को चुनौती दी जा सकती है? |
हाँ, यदि उसके प्रमाणन या प्रामाणिकता पर संदेह हो |
न्यायालय किस स्थिति में धारा 85 के तहत इलेक्ट्रॉनिक करार की वैधता की उपधारणा नहीं करेगा? |
जब इलेक्ट्रॉनिक करार पर कोई हस्ताक्षर या प्रमाणीकरण न हो |
किस केस में ईमेल द्वारा हुए व्यापारिक करारों को न्यायालय द्वारा वैध माना गया? |
शक्ति भोग फूड्स लिमिटेड बनाम कोला शिपिंग लिमिटेड |
किस अधिनियम के अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक करारों को मान्यता दी गई है? |
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 |
यदि कोई इलेक्ट्रॉनिक करार “डिजिटल सर्टिफिकेट” के माध्यम से हस्ताक्षरित है, तो न्यायालय क्या मानता है? |
कि यह वैध, प्रमाणिक और निष्पादित करार है |
क्या धारा 85 के अंतर्गत मोबाइल ऐप के नियम एवं शर्तें को करार माना जा सकता है? |
हाँ, यदि उपयोगकर्ता ने "सहमत होना" पर क्लिक किया हो |
धारा 85 किस प्रकार के दस्तावेज़ों पर लागू होती है? |
इलेक्ट्रॉनिक रूप में निष्पादित एवं डिजिटल हस्ताक्षरित करार |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “इलैक्ट्रानिक अभिलेखों और इलैक्ट्रानिक हस्ताक्षर के बारे में उपधारणा” (Presumption as to electronic records and electronic signatures) से संबंधित है। |
धारा 86
|
यदि एक दस्तावेज़ एक डिजिटल लॉकर से प्रस्तुत किया गया है और उस पर एक प्रमाणित डिजिटल हस्ताक्षर है, तो भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 86 के अनुसार न्यायालय क्या मान सकता है? |
दस्तावेज़ की प्रामाणिकता स्वतः मान ली जाएगी |
सुप्रीम कोर्ट के किस निर्णय में डिजिटल साक्ष्य की स्वीकार्यता को 'प्रामाणिकता' और ‘अखंडता' के आधार पर स्वीकार किया गया, जो धारा 86 के अनुरूप है? |
अनवर पी.वी. बनाम पी.के. बशीर (2014) |
धारा 86 में प्रयुक्त " सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड" की परिभाषा किस अधिनियम के अनुसार निर्धारित होती है? |
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 |
मान लीजिए अभियोजन पक्ष एक सीसीटीवी फुटेज को 'सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड' के रूप में प्रस्तुत करता है। अभियुक्त कहता है कि उसे छेड़ा गया है। ऐसे में न्यायालय को किसका पालन करना होगा? |
अभियुक्त को छेड़छाड़ का प्रमाण देना होगा |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 86 न्यायालय को किस प्रकार की उपधारणाओं (Presumptions) की अनुमति देती है? |
विवेकाधीन उपधारणा |
अगर कोई व्यक्ति यह दावा करता है कि एक डिजिटल दस्तावेज़ में छेड़छाड़ हुई है, तो भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 86 के अनुसार किस पक्ष पर प्रमाण का भार होता है? |
जो व्यक्ति छेड़छाड़ का दावा कर रहा है उस पर |
न्यायालय धारा 86 के अंतर्गत किस स्थिति में यह मान सकता है कि इलेक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर वैध है? |
जब वह हस्ताक्षर एक प्रमाणित इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली से किया गया हो |
सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख की परिभाषा हेतु कौन-सा तत्व आवश्यक नहीं है? |
भौतिक हस्ताक्षर की उपस्थिति |
न्यायालय किस स्थिति में इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख को "असुरक्षित" मान सकता है, भले ही वह डिजिटल रूप में हो? |
जब उस पर डिजिटल सर्टिफिकेट न हो |
धारा 86 न्यायालय को "अनुमान" के लिए किस प्रकार का कानूनी औजार प्रदान करती है? |
खंडनीय अनुमान |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा इलैक्ट्रानिक हस्ताक्षर प्रमाणपत्रों के बारे में उपधारणा” (Presumption as to Electronic Signature Certificates) से संबंधित है। |
धारा 87
|
सुप्रीम कोर्ट के किस निर्णय में डिजिटल प्रमाण की वैधता के लिए आवश्यक तत्वों जो धारा 87 से भी मेल खाती है, प्रमाणपत्र की स्वीकारोक्ति में लागू होती है? |
अनवर पी.वी. बनाम पी.के. बशीर (2014) |
यदि एक अभियुक्त यह दावा करता है कि उसके नाम पर जारी डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र को उसने कभी स्वीकार नहीं किया, तो किस पक्ष पर इसका खंडन प्रमाणित करने का भार होगा? |
अभियुक्त स्वयं |
एक डिजिटल हस्ताक्षर प्रमाणपत्र में सब्सक्राइबर की पहचान स्पष्ट रूप स दर्ज है लेकिन वह प्रमाणपत्र उपयोगकर्ता ने अस्वीकार कर दिया है। धारा 87 के अनुसार इसका क्या प्रभाव होगा? |
प्रमाणपत्र की सामग्री स्वतः विश्वसनीय नहीं मानी जाएगी |
यदि कोई प्रमाणपत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है लेकिन उसमें कोई स्वीकृति (acceptance) रिकॉर्ड नहीं है, तो धारा 87 के अनुसार उसका क्या प्रभाव हो सकता है? |
न्यायालय उपधारणा नहीं लगाएगा
|
मान लीजिए कि एक प्रमाणपत्र में सब्सक्राइबर की जानकारी सही है, परंतु प्रमाणपत्र पर स्वीकृति की मुहर नहीं है। धारा 87 के तहत न्यायालय क्या कर सकता है? |
प्रमाणपत्र की विश्वसनीयता की उपधारणा नहीं लगाएगा |
न्यायालय धारा 87 के अंतर्गत किस स्थिति में यह मान सकता है कि प्रमाणपत्र में दी गई सब्सक्राइबर की जानकारी सत्य है? |
जब उसे सब्सक्राइबर ने स्वीकार कर लिया हो |
धारा 87 किस अधिनियम की तकनीकी मान्यता पर आधारित उपधारणाओं को लागू करती है? |
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा ‘’विदेशी न्यायिक अभिलेखों की प्रमाणित प्रतियों के बारे में उपधारणा’’ (Presumption as to certified copies of foreign judicial records) से संबंधित है। |
धारा 88
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 89 किससे संबंधित है?
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पुस्तकों, मानचित्रों और चार्टों के संबंध में उपधारणा (Presumption as to books, maps and charts) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “इलैक्ट्रानिक संदेशों के बारे में उपधारणा”(Presumption as to electronic messages) से संबंधित है। |
धारा 90 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “पेश न किए गए दस्तावेजों के सम्यक् निष्पादन आदि के बारे में उपधारणा(Presumption as to due execution, etc., of documents not produced)” से संबंधित है। |
धारा 91
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 92 किससे संबंधित है?
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तीस वर्ष पुराने दस्तावेजों के संबंध में उपधारणा (Presumption as to documents thirty years old) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 93 किससे संबंधित है?
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पांच वर्ष पुराने इलेक्ट्रॉनिक अभिलेखों के संबंध में उपधारणा (Presumption as to electronic records five years old) |
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अध्याय 6 (Chapter VI) |
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दस्तावेजी साक्ष्य द्वारा मौखिक साक्ष्य के अपवर्जन के विषय में (Of The Exclusion Of Oral Evidence By Documentary Evidence) |
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 94 किससे संबंधित है?
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दस्तावेजों के रूप में लेखबद्ध संविदाओं, अनुदानों और संपत्ति के अन्य व्ययनों के निबन्धनों का साक्ष्य (Evidence of terms of contracts, grants and other dispositions of property reduced to form of document) |
यदि किसी अनुबंध, अनुदान या संपत्ति के अन्य स्वभाव की शर्तों को दस्तावेज़ के रूप में कम कर दिया गया है, तो धारा 94 के अनुसार कौन से साक्ष्य प्रस्तुत किये जा सकते है? |
केवल दस्तावेज़ या उसके द्वितीयक साक्ष्य |
धारा 94 के अनुसार, यदि एक अनुबंध कई पत्रों में निहित है, तो कितने पत्रों को साबित करना आवश्यक है? |
सभी को |
यदि एक विनिमय पत्र तीन के सेट में तैयार किया गया है, तो कितने सेट साबित करना पर्याप्त है? |
एक को |
धारा 94 के अनुसार, यदि एक अनुबंध लिखित रूप में है और उसमें यह उल्लेख है कि एक अन्य मौखिक अनुबंध के लिए भुगतान किया गया था, तो क्या मौखिक साक्ष्य प्रस्तुत किया जा सकता है? |
हाँ |
यदि एक व्यक्ति दूसरे को पैसे का भुगतान करता है और इसके लिए रसीद दी जाती है, तो क्या मौखिक साक्ष्य प्रस्तुत किया जा सकता है? |
हाँ |
धारा 94 के अनुसार, यदि एक सार्वजनिक अधिकारी को लिखित रूप में नियुक्त करना आवश्यक है और यह दिखाया जाता है कि किसी विशेष व्यक्ति ने ऐसे अधिकारी के रूप में कार्य किया है, तो क्या नियुक्ति के लेखन को साबित करना आवश्यक है? |
नहीं |
धारा 94 के अनुसार, यदि एक वसीयत भारत में प्रोबेट के लिए स्वीकार की गई है, तो क्या प्रोबेट द्वारा वसीयत को साबित किया जा सकता है? |
हाँ |
यदि एक अनुबंध कई दस्तावेजों में निहित है, तो धारा 94 के अनुसार— |
सभी दस्तावेजों को साबित करना आवश्यक है |
धारा 94 के अनुसार, यदि एक अनुबंध में कोई तथ्य अन्य दस्तावेज़ में उल्लिखित है, तो— |
केवल दस्तावेज़ प्रस्तुत किया जा सकता है |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “मौखिक करार के साक्ष्य का अपवर्जन (Exclusion of evidence of oral agreement)”से संबंधित है। |
धारा 95 |
यदि दो पक्षों के बीच एक लिखित अनुबंध है और एक पक्ष यह दावा करता है कि मौखिक रूप से कोई अन्य शर्त जोड़ी गई थी, तो धारा 95 के तहत यह दावा— |
स्वीकार नहीं किया जाएगा क्योंकि लिखित अनुबंध सर्वोपरि है |
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 95 के संदर्भ में स्थापित किया, कि लिखित अनुबंध को मौखिक साक्ष्य से बदला नहीं जा सकता? |
रूप कुमार बनाम मोहन थेदानी (2003) |
किस स्थिति में मौखिक साक्ष्य धारा 95 के अंतर्गत स्वीकार्य नहीं होगा? |
जब लिखित दस्तावेज़ स्पष्ट रूप से सभी शर्तें शामिल करता हो |
धारा 95 किस सिद्धांत को लागू करती है? |
"बोलने वाले दस्तावेज़" की प्रधानता |
धारा 95 का उद्देश्य क्या है? |
पहले से तैयार लिखित दस्तावेज़ को किसी मौखिक दावे से बदलने से रोकना |
एक किरायेदार ने किरायानामा दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए जिसमें किराया ₹10,000 लिखा था। बाद में उसने कहा कि मालिक ने मौखिक रूप से ₹8,000 तय किया था। धारा 95 के तहत अदालत क्या मानेगी? |
दस्तावेज़ में लिखी ₹10,000 की राशि ही मान्य होगी |
धारा 95 किस प्रकार के अनुबंधों पर लागू होती है? |
उन अनुबंधों पर जो लिखित रूप में दस्तावेज़ित हैं |
“परोल साक्ष्य नियम” (The parol evidence rule) भारतीय कानून में किस धारा में परिलक्षित होता है? |
धारा 92 |
मूल दस्तावेज़ स्पष्ट और पूरी शर्तों के साथ मौजूद हो, तब मौखिक साक्ष्य का प्रयोग— |
अनुमेय नहीं होगा |
धारा 95 के अंतर्गत मौखिक साक्ष्य को निषिद्ध करना किस सिद्धांत पर आधारित है? |
लिखित दस्तावेजों की अंतिमता
|
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “संदिग्धार्थ दस्तावेज को स्पष्ट करने या उसका संशोधन करने के साक्ष्य का अपवर्जन’ (Exclusion of evidence to explain or amend ambiguous document) से संबंधित है। |
धारा 96
|
यदि एक वसीयत में यह लिखा गया है "मैं अपनी आधी संपत्ति X को देता हूँ," लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि कुल संपत्ति क्या है, तो धारा 96 के अनुसार यह दर्शित करने के लिए कि कुल संपत्ति क्या है? |
साक्ष्य नहीं दिया जा सकता |
न्यायिक दृष्टिकोण से, "जनरलिया स्पेशलिबस नॉन डिरोगेंट" सिद्धांत किस प्रकार धारा 96 पर लागू होता है? |
विशेष शर्तें सामान्य को अधिरोहित करेंगी |
धारा 96 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
संदिग्धार्थ वाले दस्तावेज़ों की व्याख्या को नियंत्रित करना |
धारा 95 और 96 के बीच मुख्य अंतर क्या है? |
धारा 95 स्पष्ट दस्तावेज़ों पर लागू होती है, धारा 96 संदिग्धार्थ पर |
धारा 96 किस प्रकार के साक्ष्य को निषिद्ध करती है? |
जब दस्तावेज़ संदिग्धार्थ या त्रुटिपूर्ण हो |
किसी विलेख में रिक्त स्थान है, क्या उन तथ्यों का साक्ष्य दिया जा सकता था जो यह दर्शित करते हों कि उनकी किस प्रकार पूर्ति अभिप्रेत थी? |
नहीं |
ख को क “एक लाख रुपए या एक लाख पचास हजार रुपए में एक घोड़ा बेचने का लिखित करार करता है । यह दर्शित करने के लिए कि कौन सा मूल्य दिया जाना था क्या साक्ष्य दिया जा सकता है? |
नहीं |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “विद्यमान तथ्यों को दस्तावेज के लागू होने के विरुद्ध साक्ष्य का अपवर्जन” (Exclusion of evidence against application of document to existing facts) से संबंधित है। |
धारा 97
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धारा 97 में किस सिद्धांत की पुष्टि की गई है? |
दस्तावेज़ की अंतिमता |
ख को क "रामपुर में एक सौ बीघे वाली मेरी सम्पदा" विलेख द्वारा बेचता है । क के पास रामपुर में एक सौ बीघे वाली एक सम्पदा है, क्या इस तथ्य का साक्ष्य दिया जा सकेगा कि विक्रयार्थ अभिप्रेत सम्पदा किसी भिन्न स्थान पर स्थित और भिन्न माप की थी? |
नहीं |
किस निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि स्पष्ट दस्तावेज़ के विपरीत साक्ष्य देना धारा 97 के अंतर्गत अनुमेय नहीं है? |
रूप कुमार बनाम मोहन थेदानी |
यदि एक दस्तावेज़ ‘XYZ कंपनी’ को ज़मीन हस्तांतरित करता है, लेकिन दो ‘XYZ कंपनी’ हैं, तो, क्या मौखिक साक्ष्य से यह तय किया जा सकता है कि कौन सी कंपनी की बात हो रही है? |
हाँ |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 98 किससे संबंधित है?
|
विद्यमान तथ्यों के सदर्भ में अर्थहीन दस्तावेज के बारे में साक्ष्य (Evidence as to document unmeaning in reference to existing facts) |
एक वसीयत में लिखा गया है "मैं अपनी वह ज़मीन देता हूँ जो गुलाब के बाग़ के पास है", जबकि गुलाब का बाग़ अब मौजूद नहीं है। क्या ऐसी स्थिति में क्या होगा ? |
साक्ष्य से बताया जा सकता है कि किस ज़मीन की बात हो रही है |
धारा 98 किस स्थिति में मौखिक साक्ष्य को स्वीकार करती है? |
जब दस्तावेज़ में प्रयुक्त शब्द वर्तमान तथ्यों पर निरर्थक प्रतीत हों |
एक बिक्री पत्र में लिखा है “रामलाल को वह खेत बेचा गया जो पुरानी हवेली के पीछे है”, लेकिन अब वहाँ हवेली नहीं है, क्या ऐसे में साक्ष्य दिया जा सकेगा? |
साक्ष्य स्वीकार किया जाएगा यह समझने के लिए कि किस खेत की बात है |
किस केस में कोर्ट ने यह माना कि जब दस्तावेज़ भाषा में स्पष्ट हो पर तथ्यों पर लागू नहीं होता, तो मौखिक साक्ष्य से उद्देश्य स्पष्ट किया जा सकता है? |
ईश्वर दास जैन बनाम सोहन लाल |
यदि किसी दस्तावेज़ में “नीले घर वाली ज़मीन” का उल्लेख है और उस इलाके में अब कोई नीला घर नहीं है, तब क्या साक्ष्य दिया जा सकेगा? |
साक्ष्य द्वारा बताया जा सकता है कि पहले कौन-सा घर नीला कहलाता था |
धारा 98 के अंतर्गत मौखिक साक्ष्य किस उद्देश्य से अनुमेय होता है? |
दस्तावेज़ की भाषा के व्यावहारिक अर्थ को समझने के लिए |
धारा 98 किस कानूनी सिद्धांत पर आधारित है? |
उद्देश्यपूर्ण व्याख्या |
एक करार में लिखा गया: “वह गोदाम बेचा गया जो स्टेशन के सामने है”, लेकिन अब स्टेशन का नया स्थान बन चुका है, ऐसी स्थिति में क्या होगा? |
पक्ष साक्ष्य से समझा सकता है कि पुराने स्टेशन के सामने कौन-सा गोदाम था |
धारा 98 के तहत किस प्रकार का साक्ष्य मान्य नहीं होता? |
जो दस्तावेज़ को पूरी तरह असत्य साबित करे |
कौन-सा कथन धारा 98 के संदर्भ में सही है? |
अर्थहीन शब्दों का अर्थ विद्यमान तथ्यों से समझाया जा सकता है |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 99 किससे संबंधित है?
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उस भाषा के लागू होने के बारे में साक्ष्य जो कई व्यक्तियों में से केवल एक को लागू हो सकती है (Evidence as to application of language which can apply to one only of several persons) |
यदि एक व्यक्ति लिखित रूप से "मेरे पास एक लाल कार है" कहता है, लेकिन उसके पास दो लाल कारें हैं, तो क्या होगा? |
साक्ष्य से यह दिखाया जा सकता है कि वह किस कार की बात कर रहा है |
धारा 99 के अनुसार, यदि दस्तावेज़ की भाषा अस्पष्ट है और कई व्यक्तियों या वस्तुओं पर लागू हो सकती है, तो क्या होगा? |
साक्ष्य द्वारा यह स्पष्ट किया जा सकता है कि किस पर लागू किया गया है |
यदि एक व्यक्ति लिखित रूप से "मेरे पास एक सफेद घोड़ा है" कहता है, लेकिन उसके पास दो सफेद घोड़े हैं, तो क्या होगा? |
साक्ष्य से यह दिखाया जा सकता है कि वह किस घोड़े की बात कर रहा है |
धारा 99 के तहत, यदि दस्तावेज़ की भाषा अस्पष्ट है और कई व्यक्तियों या वस्तुओं पर लागू हो सकती है, तो— |
साक्ष्य द्वारा यह स्पष्ट किया जा सकता है कि किस पर लागू किया गया है |
यदि एक व्यक्ति लिखित रूप से "मेरे पास एक नीला घर है" कहता है, लेकिन उसके पास दो नीले घर हैं, तो— |
साक्ष्य से यह दिखाया जा सकता है कि वह किस घर की बात कर रहा है |
यदि एक व्यक्ति लिखित रूप से "मेरे पास एक काला बैग है" कहता है, लेकिन उसके पास दो काले बैग हैं, तो— |
साक्ष्य से यह दिखाया जा सकता है कि वह किस बैग की बात कर रहा है |
यदि एक व्यक्ति लिखित रूप से "मेरे पास एक लाल किताब है" कहता है, लेकिन उसके पास दो लाल किताबें हैं, तो— |
साक्ष्य से यह दिखाया जा सकता है कि वह किस किताब की बात कर रहा है |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 100 किससे संबंधित है? |
तथ्यों के दो संवर्गों में से जिनमें से किसी एक को भी वह भाषा पूरी की पूरी ठीक-ठीक लागू नहीं होती, उसमें से एक को भाषा के लागू होने के बारे में साक्ष्य (Evidence as to application of language to one of two sets of facts, to neither of which the whole correctly applies) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 101 किससे संबंधित है?
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न पढ़ी जा सकने वाली लिपि आदि के अर्थ के बारे में साक्ष्य (Evidence as to meaning of illegible characters, etc) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा इस बात से संबंधित है कि दस्तावेज के निबन्धनों में फेर-फार करने वाले करार( Who may give evidence of agreement varying terms of document) का साक्ष्य कौन दे सकेगा? |
धारा 102 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम के विल सम्बन्धी उपबन्धों की व्यावृत्ति”(Saving of provisions of Indian Succession Act relating to wills) से संबंधित है? |
धारा 103
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भाग 4 (Part IV) |
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साक्ष्य का पेश किया जाना और प्रभाव (Production And Effect Of Evidence) |
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अध्याय 7 (Chapter VII) |
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सबूत के भार के विषय में (Of The Burden Of Proof) |
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “सबूत का भार” (Burden of proof) से संबंधित है? |
धारा 104 |
"सबूत का भार उस पर होता है जो यह चाहता है कि न्यायालय किसी तथ्य को उसके पक्ष में स्वीकार करे यह सिध्दांत किस धारा में वर्णित है? |
धारा 104 |
यदि कोई वादी दावा करता है कि प्रतिवादी ने अनुबंध का उल्लंघन किया, तो साक्ष्य का भार किस पर होगा? |
वादी पर |
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोप सिद्ध करने का भार अभियोजन पर होता है, सिद्धांत पर जोर दिया? |
के.एम. नानावटी बनाम महाराष्ट्र राज्य (1962 एआईआर 605) |
साक्ष्य बोझ का अनुसरण करता है" का क्या अर्थ है? |
जिस पर भार है, वही साक्ष्य देगा |
धारा 104 का सिद्धांत मुख्यतः किस प्रकार के मुकदमों में लागू होता है? |
दोनों दीवानी और आपराधिक |
यदि अभियुक्त "न्यायोचित अपवाद" का दावा करता है (जैसे आत्मरक्षा), तो उस दावे को सिद्ध करने का भार किस पर होता है? |
अभियुक्त पर |
दीवानी मामलों में साक्ष्य का प्रारंभिक भार किस पर होता है? |
वादी |
“मुद्दे पर सकारात्मक” सिद्धांत किससे जुड़ा है? |
जिस पक्ष को किसी मुद्दे पर सकारात्मक रूप से लाभ चाहिए, उसे साक्ष्य देना होता है |
कोई वादी दावा करता है कि उसने प्रतिवादी को ₹50,000 उधार दिया था। प्रतिवादी इसका खंडन करता है। ऐसे में सबूत का भार किस पर है? |
वादी पर |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा इस बात से संबंधित है कि “सबूत का भार किस पर होता है (On whom burden of proof lies)”? |
धारा 105 |
धारा 105 के अनुसार, यदि कोई अभियुक्त यह कहता है कि वह किसी अपवाद के अंतर्गत आता है, तो साक्ष्य का भार किस पर होता है? |
अभियुक्त पर |
धारा 105 किस प्रकार के प्रावधानों से संबंधित है? |
किसी वाद या कार्यवाही में सबूत का भार उस व्यक्ति पर होता है जो असफल हो जाएगा, यदि दोनों में से किसी भी ओर से कोई भी साक्ष्य न दिया जाए |
धारा 105 के अंतर्गत अभियुक्त को सिद्ध करना आवश्यक है, कि अपराध होते हुए भी वह किसी वैध अपवाद में आता है किस केस से सम्बंधित है? |
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राम स्वरूप (एआईआर 1974 एससी 1570) |
यदि कोई अभियुक्त आत्मरक्षा का दावा करता है, तो धारा 105 के अनुसार क्या सिद्ध करना होगा? |
अभियुक्त को यह सिद्ध करना होगा कि आत्मरक्षा थी |
धारा 105 किस सिद्धांत पर आधारित है? |
“जो दावा करता है उसे साबित करना होगा” |
एक व्यक्ति पर हत्या का आरोप है, लेकिन वह कहता है कि उसने आत्मरक्षा में काम किया। ऐसे में किसके ऊपर साक्ष्य का भार होगा? |
अभियुक्त |
यदि कोई व्यक्ति धारा 84 (पागलपन) का लाभ लेना चाहता है, तो उसे क्या करना होगा? |
यह साबित करना कि अपराध करते समय वह मानसिक रूप से अस्वस्थ था |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “विशिष्ट तथ्य के बारे में सबूत का भार”(Burden of proof as to particular fact) से संबंधित है। |
धारा 106 |
धारा 106 का प्रमुख उद्देश्य क्या है? |
जिन तथ्यों की जानकारी केवल एक पक्ष को हो, उन पर साक्ष्य का भार उसी पर डालना |
किस मामले में में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 106 के संदर्भ में निर्णय दिया कि जब तथ्य आरोपी के विशेष ज्ञान में हो, तो उसे साक्ष्य देना होगा? |
शंभू नाथ मेहरा बनाम अजमेर राज्य (1956) |
यदि कोई व्यक्ति कहता है कि वह घटना के समय होटल में था, और केवल वही इस बात को जानता है, तो साक्ष्य का भार किस पर होगा? |
उस व्यक्ति पर |
धारा 106 किस प्रकार के तथ्यों पर लागू होती है? |
विशिष्ट ज्ञान वाले तथ्य |
एक महिला अपने पति की हत्या के मामले में अंतिम बार उसके साथ देखी गई थी। धारा 106 के अनुसार, साक्ष्य का प्रारंभिक भार किस पर होगा? |
पत्नी पर |
धारा 106 में "विशिष्ट तथ्य" से तात्पर्य किससे है? |
जो केवल संबंधित व्यक्ति के पास जानकारी हो |
धारा 106 का प्रयोग किस परिस्थिति में नहीं होगा? |
जब तथ्य सार्वजनिक हो |
किस मामले में तय किया कि अंतिम बार साथ देखे जाने की स्थिति में अभियुक्त को सफाई देनी चाहिए? |
त्रिमुख मारोती किरकन बनाम महाराष्ट्र राज्य (2006) |
यदि कोई व्यक्ति अपने बैंक खाते की संदिग्ध निकासी के लिए जवाब देता है, "मुझे नहीं पता किसने निकाला", तो धारा 106 के अनुसार— |
उसे साबित करना होगा कि निकासी उसने नहीं की |
धारा 106 किस सामान्य सिद्धांत का अपवाद मानी जाती है? |
अभियोजन को दोष सिद्ध करना होता है |
जब कोई व्यक्ति यह दावा करता है कि वह दुर्घटना के समय "अन्य स्थान" पर था, तो इस तथ्य को सिद्ध करने की जिम्मेदारी किस पर होगी? |
वह व्यक्ति स्वयं |
धारा 106 के सिद्धांत का पालन किस आधार पर किया जाता है? |
तर्क और सामान्य अनुभव |
“जिस किसी को किसी तथ्य का विशेष ज्ञान है, उसे उसे सिद्ध करना होगा"— यह नियम किस धारा में है? |
धारा 106 |
क्या धारा 106 अभियुक्त को दोष सिद्ध करने के लिए बाध्य करती है? |
नहीं, केवल स्पष्टीकरण के स्तर पर |
एक व्यक्ति पर चोरी का आरोप है और चोरी के समय वह अस्पताल में भर्ती था। साक्ष्य किसे देना होगा? |
वह व्यक्ति स्वयं |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 107 किससे संबंधित है?
|
साक्ष्य को ग्राह्य बनाने के लिए जो तथ्य साबित किया जाना हो, उसे साबित करने का भार (Burden of proving fact to be proved to make evidence admissible) |
धारा 107 किस स्थिति में लागू होती है? |
जब कोई साक्ष्य तभी मान्य हो जब उससे जुड़ा कोई अन्य तथ्य पहले सिद्ध किया जाए |
ख द्वारा किए गए मृत्युकालिक कथन को क साबित करना चाहता है , मृत्यु साबित करने का भार किस पर होगा? |
क पर होगा |
यदि कोई दस्तावेज़ केवल तभी ग्राह्य है जब यह साबित किया जाए कि वह हस्ताक्षरित है, तो हस्ताक्षर साबित करने का भार किस पर होगा? |
दस्तावेज़ प्रस्तुत करने वाले पक्ष पर |
धारा 107 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
साक्ष्य को ग्राह्य बनाने के लिए आवश्यक शर्त को साबित करना |
किस मामले में कोर्ट ने कहा कि मृत्युपूर्व कथन ग्राह्य तभी है जब यह साबित हो कि बयान मरने से पहले का है? |
पकाला नारायण स्वामी बनाम सम्राट (1939 |
कोई व्यक्ति CCTV फुटेज साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करता है। उसे ग्राह्य बनाने के लिए किस तथ्य को पहले सिद्ध करना होगा? |
फुटेज की प्रामाणिकता और निरंतरता |
कौन-सी स्थिति धारा 107 के अंतर्गत नहीं आती? |
गवाह का चरित्र |
यदि कोई व्यक्ति एक निजी पत्र को प्रमाण के रूप में पेश करता है, तो कौन-सा तथ्य पहले साबित करना आवश्यक है? |
कि यह मूल प्रति है
|
धारा 107 किस सिद्धांत पर आधारित है? |
जिस पर साक्ष्य की वैधता निर्भर हो, वह उसे सिद्ध करे |
यदि कोई पक्ष कहता है कि उसके पास एक मूल ऑडियो रिकॉर्डिंग है, परन्तु वह केवल ट्रांसक्रिप्ट देता है, तो साक्ष्य ग्राह्य कब बनेगा? |
जब मूल रिकॉर्डिंग प्रस्तुत की जाए या उसकी वैधता साबित हो |
धारा 107 में जिस व्यक्ति के ऊपर तथ्यों को सिद्ध करने का भार होता है, वह कौन होता है? |
वह व्यक्ति जो साक्ष्य से लाभ चाहता है |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 108 किससे संबंधित है?
|
यह साबित करने का भार कि अभियुक्त का मामला अपवादों के अन्तर्गत आता है (Burden of proving that case of accused comes within exceptions) |
धारा 108 के अंतर्गत, यदि अभियुक्त यह कहता है कि उसका कृत्य "आवश्यक रक्षा" (self-defense) के अंतर्गत था, तो यह सिद्ध करने का भार किस पर होगा? |
अभियुक्त पर |
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा, अभियुक्त को अपवाद सिद्ध करना होगा? |
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम राम स्वरूप (1974) |
धारा 108 मुख्यतः किस प्रकार के मामलों में उपयोगी होती है? |
जहां अभियुक्त अपवाद या छूट का दावा करता है |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अभियुक्त को केवल प्रत्याशित साक्ष्य (preponderance of probabilities) स्तर तक अपवाद सिद्ध करना होता है? |
शंभू नाथ मेहरा बनाम अजमेर राज्य |
धारा 108 के अंतर्गत अभियुक्त को किस स्तर का साक्ष्य देना होता है? |
संभावनाओं की अधिकता |
अपराध में अपवाद को सिद्ध करने की ज़िम्मेदारी किसके ऊपर है? |
अभियुक्त |
कौन-सी धारा अभियुक्त को सामान्य अपवाद सिद्ध करने की अनुमति देती है? |
धारा 105 |
क्या अभियुक्त को अपवाद सिद्ध करने के लिए प्रत्यक्ष प्रमाण देना आवश्यक है? |
नहीं, परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर्याप्त है |
अभियुक्त द्वारा अपवाद सिद्ध करने के लिए साक्ष्य का मानक क्या होता है? |
संभावनाओं की अधिकता
|
एक महिला ने अपने पति की हत्या की और दावा किया कि वह वर्षों से घरेलू हिंसा का शिकार थी और उसने आत्मरक्षा में यह किया। धारा 108 के अंतर्गत क्या अपेक्षित है? |
अभियुक्त को आत्मरक्षा का साक्ष्य देना होगा |
धारा 108 भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के किस मूल सिद्धांत पर आधारित है? |
जो व्यक्ति अपवाद का लाभ चाहता है, उसे उसे सिद्ध करना होता है |
अगर कोई कहे कि उसने चोरी इसलिए की क्योंकि उसे जान से मारने की धमकी दी गई थी, तो उसे किस अपवाद का हवाला देना होगा और क्या करना होगा? |
उसे सिद्ध करना होगा |
"धारा 108 केवल तभी लागू होती है जब अभियुक्त अपवाद का दावा करता है" क्या यह कथन सत्य है? |
हाँ |
नकारात्मक सबूत का बोझ" का सिद्धांत किस धारा से संबंधित है? |
धारा 108 |
धारा 108 का प्रयोग मुख्यतः किन मामलों में होता है? |
अपवादों से युक्त अपराध |
किस मामले में धारा 108 के अनुसार, अभियुक्त को उकसावे (provocation) का दावा सिद्ध करना पड़ा? |
नानावटी केस (1962 एआईआर 605) |
धारा 108 में किस प्रकार के साक्ष्य की आवश्यकता होती है? |
कोई भी साक्ष्य जो अपवाद को सिद्ध करे – प्रत्यक्ष या परोक्ष |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 109 किससे संबंधित है?
|
विशेषत: ज्ञात तथ्य को साबित करने का भार (Burden of proving fact especially within knowledge) |
धारा 109 के अनुसार, यदि कोई तथ्य किसी व्यक्ति के विशेष ज्ञान में है, तो— |
उसे सिद्ध करना उस व्यक्ति की जिम्मेदारी है |
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धांत स्पष्ट किया, कि विशेष ज्ञान वाले तथ्य सिद्ध करने का भार अभियुक्त पर होता है? |
शंभू नाथ मेहरा बनाम अजमेर राज्य (1956) |
धारा 109 का कौन-सा उदाहरण उपयुक्त है? |
कोई व्यक्ति कहता है कि अपराध के समय वह घर में अकेला था |
धारा 109 में "विशेष ज्ञान" का तात्पर्य किससे है? |
जो केवल संबंधित व्यक्ति को ज्ञात हो |
एक व्यक्ति कहता है कि चोरी के समय वह ट्रेन में यात्रा कर रहा था, और कोई गवाह नहीं है। धारा 109 के अनुसार— |
उसे ट्रेन टिकट या अन्य साक्ष्य प्रस्तुत करने होंगे |
धारा 109 का उद्देश्य क्या है? |
जिस व्यक्ति के पास विशेष ज्ञान हो, उसे उत्तरदायी बनाना |
किस सिद्धांत का पालन धारा 109 करती है? |
विशेष ज्ञान के लिए विशेष जिम्मेदारी की आवश्यकता होती है |
किस मामले में कोर्ट ने क्या माना, कि अभियुक्त को स्पष्टीकरण देना होगा जब वह अंतिम बार मृतक के साथ देखा गया? |
त्रिमुख मारोती किरकन बनाम महाराष्ट्र राज्य (2006) |
यदि कोई व्यक्ति अकेले कमरे में किसी की हत्या के समय मौजूद था, तो साक्ष्य देने का भार किस पर होगा? |
उस व्यक्ति पर |
न्यायालय धारा 109 के अंतर्गत किसी व्यक्ति पर विशेष ज्ञान सिद्ध करने का भार तभी डालेगा जब— |
तथ्य सामान्य रूप से ज्ञात न हो
|
"यदि कोई विशेष जानकारी केवल आरोपी को है, तो उसे ही उसका स्पष्टीकरण देना होगा" — यह कथन किस धारा पर आधारित है? |
धारा 109
|
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 110 किससे संबंधित है?
|
उस व्यक्ति की मृत्यु साबित करने का भार जिसका तीस वर्ष के भीतर जीवित होना ज्ञात है (Burden of proving death of person known to have been alive within thirty years) |
धारा 110 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
30 वर्षों के भीतर जीवित रहे व्यक्ति की मृत्यु को सिद्ध करने का भार उस पर डालना जो मृत्यु का दावा करता है |
धारा 110 का उपयोग मुख्यतः किस प्रकार के मामलों में किया जाता है? |
जमीन की उत्तराधिकार संबंधी विवाद |
किस मामले में कि कोर्ट ने सिद्धांत अपनाया, जीवित रहने का अनुमान तब तक माना जाएगा जब तक मृत्यु साबित न हो? |
लाल चंद मारवाड़ी बनाम महंत रामरूप गिर (1926) |
यदि कोई व्यक्ति अंतिम बार 25 वर्ष पहले देखा गया था, और उसकी मृत्यु पर विवाद है, तो धारा 110 के अनुसार क्या होगा? |
व्यक्ति को जीवित माना जाएगा
|
धारा 110 कब लागू नहीं होती? |
जब मृत्यु का स्पष्ट प्रमाण हो |
यदि कोई व्यक्ति 10 वर्ष पहले जीवित देखा गया हो, और अब उत्तराधिकार का दावा हो, तो मृत्यु साबित करने का भार किस पर होगा? |
विरोधी पक्ष |
धारा 110 किस सिद्धांत पर आधारित है? |
जीवन की निरंतरता की कानूनी धारणा |
कोई व्यक्ति 15 वर्षों से लापता है, और उसकी जमीन पर उत्तराधिकार का विवाद है। अंतिम बार वह 20 वर्ष पहले जीवित देखा गया था। क्या होगा? |
उसे जीवित माना जाएगा जब तक मृत्यु सिद्ध न हो |
एक व्यक्ति 1999 में जीवित देखा गया था और अब 2025 में उस पर वसीयत लागू करने का दावा है। क्या धारा 110 लागू होगी? |
हाँ |
मृत्यु का दावा करने वाले को क्या सिद्ध करना होता है? |
व्यक्ति अब जीवित नहीं है |
किस मामले में धारा 110 से संबंधित बात कही गई, कि जीवन का अनुमान तभी लगेगा जब अंतिम बार 30 वर्ष के भीतर देखा गया हो? |
भगवान सिंह बनाम पंजाब राज्य (1952) |
धारा 110 का उपयोग किस प्रकार के प्रमाण के लिए किया जाता है? |
विधिक अनुमान |
यदि व्यक्ति को अंतिम बार 1990 में देखा गया था, तो 2025 में उसे लेकर क्या मान लिया जाएगा? |
मृत |
किस परिस्थिति में धारा 110 नहीं लागू होगी? |
जब कोई मृत्यु प्रमाण पत्र उपलब्ध हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 111 किससे संबंधित है?
|
यह साबित करने का भार कि वह व्यक्ति, जिसके बारे में सात वर्ष से कुछ सुना नहीं गया है, जीवित है (Burden of proving that person is alive who has not been heard of for seven years) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 111 किस अनुमान से संबंधित है? |
मृत्यु का अनुमान |
कोई व्यक्ति सात वर्षों से लापता है और उसके बारे में कोई समाचार नहीं है। धारा 111 के अनुसार उसे क्या मृत माना जा सकता है? |
हाँ |
मृत्यु का अनुमान कब नहीं लगाया जाएगा? |
जब उसके बारे में जानकारी मिलती रही हो |
धारा 111 का सबसे बड़ा व्यावहारिक उपयोग किसमें होता है? |
उत्तराधिकार और संपत्ति विवाद |
एक व्यक्ति 10 वर्षों से लापता है और कोई भी उससे संबंधित नहीं जानता। उसकी जमीन पर दावा करने के लिए किसे मृत्यु सिद्ध करनी होगी? |
दावा करने वाले को |
सात वर्षों की अनुपस्थिति में किस प्रकार का अनुमान लगता है? |
विधिक अनुमान |
यदि कोई व्यक्ति 7 वर्ष से अधिक समय से लापता है, तो उसकी मृत्यु की तिथि को लेकर क्या नियम लागू होता है? |
मृत्यु 7 साल पूरे होने के बाद मानी जाएगी |
किस केस में धारा 111 से जुड़ा कौन-सा सिद्धांत माना गया, सात वर्षों की अनुपस्थिति मृत्यु का मजबूत अनुमान है? |
फेन के ट्रस्ट (1870) |
यदि मृत घोषित व्यक्ति जीवित लौट आए, तो उसकी संपत्ति को लेकर क्या होगा? |
संपत्ति वापस मिल जाएगी |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा भागीदारों, भूस्वामी और अभिधारी, मालिक और अभिकर्ता के मामलों में सबूत का भार(Burden of proof as to relationship in the cases of partners, landlord and tenant, principal and agen) से संबंधित है। |
धारा 112
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “स्वामित्व के बारे में सबूत का भार”(Burden of proof as to ownership) से संबंधित है। |
धारा 113 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “उन संव्यवहारों में सद्भाव का साबित किया जाना जिनमें एक पक्षकार का सम्बन्ध सक्रिय विश्वास का है”( Proof of good faith in transactions where one party is in relation of active confidence) से संबंधित है |
धारा 114
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 115 किससे संबंधित है? |
कतिपय अपराधों के बारे में उपधारणा (Presumption as to certain offences) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 116 किससे संबंधित है?
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विवाहित स्थिति के दौरान जन्म होना धर्मत्व का निश्चायक सबूत है (Birth during marriage, conclusive proof of legitimacy) |
धारा 116 के अनुसार, वैध विवाह के दौरान जन्मे बच्चे को कब वैध माना जाएगा? |
यदि वह विवाह के दौरान या विघटन के 280 दिन के भीतर जन्मा हो |
धारा 116 में किस परिस्थिति में यह उपधारणा लागू नहीं होती? |
जब यह साबित हो जाए कि पति को उस समय बच्चे की उत्पत्ति संभव नहीं थी |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि वैवाहिक स्थिति के दौरान उत्पन्न संतान को अवैध ठहराना तभी संभव है जब “बिल्कुल असंभव” हो कि पति उसका जनक हो? |
कामती देवी बनाम पोशी राम
|
धारा 116 किस प्रकार की धारणा (presumption) को जन्म देती है? |
कानूनी धारणा जो साक्ष्य से पलटी जा सकती है |
यदि विवाह विच्छेद के 250 दिन बाद संतान जन्म लेती है, तो धारा 116 लागू होगी? |
हाँ |
"कानून मातृत्व से अधिक पितृत्व की रक्षा करता है" यह सिद्धांत धारा 116 में किस रूप में झलकता है? |
पिता द्वारा नकार की सीमितता |
यदि पति पत्नी से लंबे समय से अलग रह रहा है और उसका दावा है कि वह संतान का पिता नहीं हो सकता, तो उसे क्या साबित करना होगा? |
सहवास की पूर्ण असंभवता |
धारा 116 में प्रयुक्त “निर्णायक प्रमाण”का क्या तात्पर्य है? |
यह मान्य सबूत है लेकिन प्रतिवाद संभव है |
यदि पत्नी IVF प्रक्रिया द्वारा गर्भवती हुई और बच्चा विवाह के दौरान पैदा हुआ, तो क्या धारा 116 लागू होगी? |
हाँ |
किस विधिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए धारा 116 लाई गई है? |
बच्चा अवैध घोषित होने से बचे |
क्या पति केवल संदेह के आधार पर बच्चे की वैधता को चुनौती दे सकता है? |
नहीं |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 117 किससे संबंधित है?
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किसी विवाहित स्त्री द्वारा आत्महत्या के दुष्प्रेरण के बारे में उपधारणा (Presumption as to abetment of suicide by a married woman) |
धारा 117 के तहत, यदि किसी विवाहित स्त्री की आत्महत्या के समय उसके पति या उसके रिश्तेदार द्वारा क्रूरता का आरोप लगाया जाता है, तो उपधारणा किसके द्वारा लागू की जा सकती है? |
न्यायालय द्वारा |
किस मामले में भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने यह माना था कि यदि किसी महिला की आत्महत्या के समय उसके पति या उसके परिवार ने उसे उत्पीड़ित किया हो, तो इस स्थिति में धारा 117 की उपधारणा लागू की जा सकती है? |
के.एम. नानावटी बनाम महाराष्ट्र राज्य |
धारा 117 के तहत, यदि महिला द्वारा आत्महत्या की तारीख से सात वर्ष के भीतर उसकी मृत्यु हो जाती है, तो क्या यह उपधारणा स्वतः लागू होगी? |
नहीं, इसे साबित करने के लिए अन्य परिस्थितियाँ होनी चाहिए |
धारा 117 के तहत, जब किसी स्त्री की आत्महत्या होती है और यह साबित किया जाता है कि उसके पति ने उसे शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित किया था, तो उपधारणा किसे स्वीकार किया जाएगा? |
पत्नी के पक्ष में |
धारा 117 के तहत, यदि किसी महिला ने आत्महत्या के दौरान कोई सुसाइड नोट छोड़ा हो, तो क्या न्यायालय उसे क्रूरता के प्रमाण के रूप में स्वीकार कर सकता है? |
हाँ, यह क्रूरता के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जा सकता है
|
धारा 117 के तहत यदि महिला की आत्महत्या के समय उसके पति और उसके रिश्तेदार दोनों विदेश में थे, तो क्या उपधारणा लागू होगी? |
हाँ, यदि अन्य परिस्थितियाँ पूरी होती हैं |
धारा 117 में "क्रूरता" का क्या मतलब है? |
मानसिक उत्पीड़न और शारीरिक हिंसा |
धारा 117 के अनुसार, यदि पति द्वारा की गई क्रूरता का कारण पत्नी के आत्महत्या करने का एकमात्र कारण हो, तो यह किस रूप में न्यायालय द्वारा माना जा सकता है? |
यह कानूनी दृष्टिकोण से स्वीकार्य है |
धारा 117 के तहत, यदि किसी महिला की आत्महत्या के कारण उसके पति और उसके परिवार के खिलाफ मामला दर्ज होता है, तो न्यायालय क्या कदम उठाता है? |
आत्महत्या के कारणों की जांच की जाती है
|
धारा 117 के तहत, न्यायालय द्वारा उपधारणा को चुनौती देने का अवसर किसे मिलेगा? |
सभी पक्षों को |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा दहेज मृत्यु के बारे में उपधारणा (Presumption as to dowry death) से संबंधित है। |
धारा 118 |
धारा 118 के अनुसार, अगर किसी महिला की मृत्यु विवाह के 7 साल के भीतर होती है, तो न्यायालय दहेज हत्या की उपधारणा कैसे लागू कर सकता है? |
जब यह साबित हो कि उसकी मृत्यु दहेज उत्पीड़न या दहेज हत्या के कारण हुई हो |
धारा 118 में यह उपधारणा लागू होने के लिए कौन सी परिस्थितियाँ अनिवार्य हैं? |
मृत्यु के 7 साल के भीतर दहेज उत्पीड़न का प्रमाण होना |
सुप्रीम कोर्ट के किस मामले में यह निर्णय लिया गया कि यदि महिला की मृत्यु दहेज उत्पीड़न के कारण हुई है, तो यह दहेज हत्या की उपधारणा के तहत माना जा सकता है? |
सतवंती बनाम हरियाणा राज्य |
धारा 118 के अनुसार, दहेज हत्या के आरोपों को लागू करने के लिए किस प्रकार के साक्ष्य की आवश्यकता होती है? |
दहेज उत्पीड़न के मामले में एकत्रित सभी प्रमाण और परिस्थितियाँ |
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि विवाह के बाद 7 साल के भीतर महिला की मृत्यु होने पर यदि दहेज उत्पीड़न का प्रमाण मिले, तो दहेज हत्या की उपधारणा लागू हो सकती है? |
कर्नाटक राज्य बनाम चन्नबसप्पा
|
धारा 118 के तहत दहेज हत्या की उपधारणा को चुनौती कब दी जा सकती है? |
जब महिला की मृत्यु के कारणों को स्पष्ट रूप से साबित नहीं किया जा सकता |
धारा 118 में, यदि महिला की मृत्यु विवाह के 7 साल के भीतर होती है और यह साबित हो जाता है कि यह दहेज हत्या के कारण हुई थी, तो यह उपधारणा किसके पक्ष में काम करती है? |
महिला के परिवार के पक्ष में |
धारा 118 के तहत, यदि मृत महिला के परिजनों ने दहेज उत्पीड़न का आरोप नहीं लगाया, तो क्या उपधारणा लागू होगी? |
हाँ, यदि अन्य प्रमाण हैं |
धारा 118 के तहत, जब किसी महिला की मृत्यु के बाद उसके परिवार ने आरोप लगाया कि यह दहेज हत्या थी, तो न्यायालय के लिए कौन सा सबसे महत्वपूर्ण साक्ष्य होता है? |
दहेज उत्पीड़न के संदर्भ में एकत्रित साक्ष्य और परिस्थितियाँ
|
धारा 118 में अगर किसी महिला की मृत्यु के बाद उसके पति या रिश्तेदार द्वारा दहेज हत्या के आरोपों को खारिज किया जाता है, तो क्या यह उपधारणा अदालत द्वारा पलटी जा सकती है? |
हाँ, यदि अन्य साक्ष्य मिले |
यदि महिला की मृत्यु के बाद दहेज उत्पीड़न के सबूत मिले हैं, तो क्या दहेज हत्या की उपधारणा को लागू किया जा सकता है, भले ही मृतिका का परिवार साक्ष्य प्रस्तुत न कर सके? |
हाँ, यदि यह अन्य प्रमाणों से स्थापित हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा न्यायालय किन्हीं तथ्यों का अस्तित्व उपधारित कर सकेगा (Court may presume existence of certain facts) से संबंधित है। |
धारा 119 |
न्यायालय ऐसे किसी तथ्य का अस्तित्व उपधारित कर सकेगा जिसका घटित होना उस विशिष्ट मामले के तथ्यों के सम्बन्ध में प्राकृतिक घटनाओं, मानवीय आचरण तथा लोक और प्राइवेट कारबार के सामान्य अनुक्रम को ध्यान में रखते हुए वह सम्भाव्य समझता है, किस धारा से सम्बंधित है? |
धारा 119 |
धारा 119 के तहत न्यायालय किसी तथ्य का अस्तित्व किस स्थिति में उपधारित कर सकता है? |
जब उस तथ्य का अस्तित्व अन्य प्रमाणों से प्रमाणित किया जाए |
सुप्रीम कोर्ट ने किस मामले में यह निर्णय लिया था कि न्यायालय किसी तथ्यों का अस्तित्व उपधारित कर सकता है जब संबंधित साक्ष्य और परिस्थितियाँ मौजूद हों? |
रमेश कुमार बनाम पंजाब राज्य |
धारा 119 के तहत, जब न्यायालय किसी तथ्य का अस्तित्व उपधारित करता है, तो क्या उसे उन तथ्यों से संबंधित अन्य साक्ष्य की भी आवश्यकता होती है? |
हाँ, न्यायालय को सभी प्रमाणों की समीक्षा करनी होती है
|
किस मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह कहा था कि न्यायालय को अपनी उपधारणा के आधार पर तथ्यों का अस्तित्व स्थापित करने का अधिकार है, यदि परिस्थितियाँ उपयुक्त हों? |
तमिलनाडु राज्य बनाम के. सरवनन |
धारा 119 के तहत, न्यायालय को किसी तथ्य के अस्तित्व का उपधारण करते समय किस प्रकार के प्रमाणों को प्राथमिकता मिलती है? |
तथ्य से संबंधित परिस्थितियों और साक्ष्य की कुल मात्रा |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “बलात्संग के लिए कतिपय अभियोजन में सम्मति के न होने की उपधारणा” (Presumption as to absence of consent in certain prosecution for rape) से संबंधित है। |
धारा 120 |
धारा 120 के तहत बलात्संग के अभियोजन में सम्मति के न होने की उपधारणा किस आधार पर की जाती है? |
महिला की शारीरिक स्थिति और उसकी स्पष्ट सहमति का अभाव |
यदि कोई महिला बलात्कार के बाद आरोप लगाती है, तो धारा 120 के तहत क्या माना जाता है? |
महिला ने बलात्कार के लिए सहमति नहीं दी थी |
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बलात्कार के अभियोजन में सम्मति के अभाव की उपधारणा लागू होती है? |
महाराष्ट्र राज्य बनाम मधुकर नारायण मार्डीकर
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किस मामले में यह निर्णय लिया गया था कि बलात्कार के मामलों में महिला की सहमति के अभाव को ध्यान में रखते हुए उपधारणा की जाती है? |
यू.पी. राज्य बनाम नरेश |
धारा 120 के तहत, जब तक आरोपी महिला की सहमति का स्पष्ट प्रमाण प्रस्तुत नहीं करता, तब तक क्या माना जाएगा? |
महिला ने बलात्कार के लिए सहमति नहीं दी थी |
यदि महिला ने किसी बलात्कार के मामले में सहमति दी है, तो क्या धारा 120 लागू होगी? |
नहीं, धारा 120 केवल तब लागू होती है जब सहमति का अभाव हो |
धारा 120 के तहत, बलात्कार के मामले में सम्मति की उपधारणा का उद्देश्य क्या है? |
महिला के अधिकारों की सुरक्षा करना |
किस मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह निर्णय दिया था कि बलात्कार के लिए महिला की सहमति के अभाव को ध्यान में रखते हुए उपधारणा लागू होती है? |
सोमैया बनाम आंध्र प्रदेश राज्य
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अध्याय 8 (Chapter VIII) |
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विबन्ध (Estoppel) |
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 121 किससे संबंधित है? |
विबंधन (Estoppel) |
धारा 121 के तहत, विबंध को किस स्थिति में अदालत स्वीकार करती है? |
जब विबंध स्वतंत्र रूप से और बिना दबाव के दिया गया हो |
किस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया था कि विबंध केवल तभी मान्य होगा जब वह बिना दबाव के दिया गया हो? |
महाराष्ट्र राज्य बनाम सुरेश कुमार
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धारा 121 के अनुसार, क्या विबंध एक व्यक्ति को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त साक्ष्य हो सकता है? |
हाँ, अगर वह विबंध स्वतंत्र और बिना दबाव के हो |
किस मामले में न्यायालय ने कहा था कि विबंध को केवल एकतरफा बयान मानकर अदालत उसे खारिज नहीं कर सकती? |
के.एम. नानावटी बनाम महाराष्ट्र राज्य |
धारा 121 के अनुसार, क्या किसी विबंध का स्वीकार होने पर आरोपी को अदालत में दिए गए बयान को चुनौती देने का अधिकार होता है? |
हाँ, आरोपी हमेशा अपने विबंध को चुनौती दे सकता है |
धारा 121 में विबंध की पहचान क्या होती है? |
केवल वह बयान जिसे आरोपी अपने अपराध के लिए देता है |
सुप्रीम कोर्ट ने किस मामले में यह कहा था कि विबंध की कोई सटीक पहचान नहीं होती और उसे साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है, जब तक कि यह वैध हो? |
पंजाब राज्य बनाम सतनाम सिंह |
धारा 121 के तहत विबंध किस प्रकार की अदालतों में स्वीकार किया जा सकता है? |
सभी प्रकार की अदालतों में |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 122 किससे संबंधित है?
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अभिधारी का और कब्जाधारी व्यक्ति अनुज्ञप्तिधारी का विबन्ध (stoppel of tenant and of licensee of person in possession) |
धारा 122 किस प्रकार के न्यायिक सिद्धांत से प्रेरित है? |
एस्टोपेल |
धारा 122 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
संपत्ति के वास्तविक स्वामी की रक्षा करना |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 123 किससे संबंधित है?
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विनिमय-पत्र के प्रतिगृहीता का, उपनिहिती का या अनुज्ञप्तिधारी का विबन्ध (Estoppel of acceptor of bill of exchange, bailee or licensee) |
न्यायालय द्वारा किस केस में यह निर्णय दिया गया कि दस्तावेज़ का धारक, जब तक वह उसके पास है, उसके विरुद्ध बयान नहीं दे सकता? |
लून करण सेठिया बनाम इवान ई. जॉन |
यदि कोई उपनिहिती अपने दस्तावेज़ के वैध होने से इनकार करता है, तो यह किस साक्ष्य सिद्धांत का उल्लंघन होगा? |
एस्टोपेल (Estoppel)
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क्या धारा 123 केवल बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर लागू होती है? |
नहीं |
यदि कोई व्यक्ति दस्तावेज़ को धारण कर रहा है लेकिन उसके विरुद्ध बयान दे रहा है, तो न्यायालय इसे कैसे देखेगा? |
विबंध का निषेध |
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अध्याय 9 (Chapter IX) |
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साक्षियों के विषय में (Of Witnesses) |
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा इस बात से संबंधित है कि “कौन साक्ष्य दे सकेगा”(Who may testify) |
धारा 124 |
धारा 124 के अनुसार, कौन साक्ष्य देने के लिए अयोग्य होता है? |
मानसिक रूप से असमर्थ व्यक्ति |
यदि कोई बच्चा इतना परिपक्व है कि वह सत्य और असत्य में अंतर समझ सकता है, तो वह साक्ष्य दे सकता है या नहीं? |
हाँ |
किस केस में यह निर्णय दिया गया कि बाल साक्ष्य यदि विश्वसनीय है तो दोषसिद्धि का आधार बन सकता है? |
पंछी बनाम यूपी राज्य। |
धारा 124 में साक्ष्य देने की क्षमता किस पर निर्भर करती है? |
इस बात पर कि वह व्यक्ति समझ सकता है कि वह क्या कह रहा है |
यदि कोई गूंगा व्यक्ति इशारों द्वारा साक्ष्य दे सकता है, तो क्या वह साक्ष्य देने में सक्षम है? |
हाँ |
क्या कोई आरोपी व्यक्ति अपने ही मुकदमे में साक्ष्य दे सकता है? |
हाँ, यदि वह स्वयं चाहे |
कौन-सा कथन सत्य है? |
एक व्यक्ति साक्ष्य दे सकता है यदि वह सत्य और असत्य में अंतर कर सके |
‘गवाह की योग्यता’का निर्णय किसका दायित्व है? |
न्यायालय का |
किस स्थिति में न्यायालय गवाह को साक्ष्य देने से रोक सकता है? |
जब गवाह बयान देने में असमर्थ हो |
क्या कोई पक्षपाती साक्षी साक्ष्य देने के योग्य होता है? |
हाँ |
बाल साक्ष्य, यदि विश्वसनीय है, दोषसिद्धि का आधार हो सकता है,किस केस से सम्बंधित है? |
पंछी बनाम यूपी राज्य' |
यदि कोई व्यक्ति न तो सुन सकता है और न ही बोल सकता है, तो क्या वह न्यायालय में साक्ष्य दे सकता है? |
हाँ, यदि वह लिखकर या संकेतों से साक्ष्य दे सके |
कौन साक्ष्य देने के लिए पूर्ण रूप से अयोग्य होता है? |
मानसिक रूप से पूर्णत: असमर्थ व्यक्ति |
एक गवाह को अयोग्य ठहराने का आधार क्या हो सकता है? |
उसकी साक्ष्य देने की असमर्थता |
क्या कोई अंधा व्यक्ति साक्ष्य दे सकता है? |
हाँ, यदि उसके पास उस घटना की जानकारी हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा साक्षी का मौखिक रूप से संसूचित करने में असमर्थ होना (Witness unable to communicate verbally) से संबंधित है? |
धारा 125 |
धारा 125 का प्रमुख उद्देश्य क्या है? |
संप्रेषण की अक्षमता के बावजूद साक्ष्य की स्वीकृति |
यदि कोई गूंगा व्यक्ति इशारों से या लिखकर बयान दे सकता है, तो क्या वह साक्ष्य दे सकता है? |
हाँ |
न्यायालय द्वारा यह कैसे निर्धारित किया जाता है कि असक्षम साक्षी सक्षम है या नहीं? |
न्यायालय की संतुष्टि से |
किस केस में यह माना गया कि मूक (गूंगा) व्यक्ति साक्ष्य देने में सक्षम हो सकता है यदि वह समझदारी से संवाद कर सके? |
केरल राज्य बनाम कुरियन राफेल
|
यदि कोई गवाह बोल नहीं सकता परंतु संकेतों द्वारा उत्तर देता है, तो इसे क्या माना जाएगा? |
संकेत साक्ष्य जो मौखिक साक्ष्य के बराबर है |
न्यायालय साक्षी के संकेतों या लिखे गए बयान को किस रूप में दर्ज करता है? |
न्यायालय द्वारा व्याख्यायित मौखिक साक्ष्य के रूप में |
क्या धारा 125 के अंतर्गत वीडियो या तकनीकी माध्यम से गवाही दी जा सकती है? |
हाँ, यदि न्यायालय संतुष्ट हो |
न्यायालय किस माध्यम से यह सत्यापित करता है कि साक्षी संवाद करने में सक्षम है? |
परीक्षण करके खुद से |
गूंगे व्यक्ति की गवाही को किस स्थिति में अपूरक माना जाएगा? |
जब वह संकेतों से संवाद नहीं कर सकता |
मूक साक्षी की गवाही दर्ज करते समय कौन-सा मुख्य सिद्धांत लागू होता है? |
गवाह की योग्यता |
क्या धारा 125 के तहत दृष्टिहीन व्यक्ति की गवाही मानी जा सकती है? |
हाँ, यदि वह घटना का ज्ञान रखता हो |
क्या न्यायालय को संकेत भाषा में गवाही समझने के लिए दुभाषिए का प्रयोग करना चाहिए? |
हाँ, यदि आवश्यक हो |
मूक साक्षी की गवाही किस अधिनियम की धारा 125 के अंतर्गत दर्ज की जाती है? |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “कतिपय मामलों पति और पत्नी की साक्षी के रूप में सक्षमता” (Competency of husband and wife as witnesses in certain cases) से संबंधित है। |
धारा 126
|
धारा 126 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
सीमित परिस्थितियों में पति-पत्नी को साक्ष्य के योग्य बनाना |
धारा 126 के तहत पति-पत्नी एक-दूसरे के विरुद्ध कब गवाही दे सकते हैं? |
जब गवाही किसी गोपनीय संप्रेषण से संबंधित न हो |
'गोपनीय संप्रेषण' (Confidential Communication) का क्या अर्थ है? |
विवाह के दौरान व्यक्तिगत संवाद |
धारा 126 किस सिद्धांत को संतुलित करती है? |
विवाह की गोपनीयता बनाम न्याय हित |
किस केस में यह माना गया कि पति-पत्नी की गोपनीय बातचीत को न्यायालय में साक्ष्य के रूप में नहीं लिया जा सकता? |
एम.सी. वर्गीस बनाम टी.जे. पूनन |
गोपनीय संप्रेषण की रक्षा करने वाली कानूनी अवधारणा को क्या कहा जाता है? |
विशेषाधिकार प्राप्त संचार |
क्या कोई पति अपनी पत्नी के खिलाफ विवाह के दौरान की व्यक्तिगत बातचीत को अदालत में उजागर कर सकता है? |
नहीं, धारा 126 के अंतर्गत निषिद्ध है |
किस केस में पति-पत्नी के बीच विशेषाधिकार प्राप्त संचार सिद्धांत को सर्वोच्च न्यायालय ने लागू किया था? |
"एम.सी. वर्गीस बनाम टी.जे. पूनन" |
क्या पति-पत्नी में से कोई एक जबरन साक्ष्य के लिए बाध्य किया जा सकता है? |
नहीं, यदि वह गोपनीय बातचीत से संबंधित हो |
किस परिस्थिति में पति या पत्नी को गवाही देने से छूट मिल सकती है? |
यदि गवाही गोपनीय संप्रेषण पर आधारित हो |
क्या विवाह की समाप्ति के बाद गोपनीय संप्रेषण की रक्षा समाप्त हो जाती है? |
नहीं |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 127 किससे संबंधित है? |
न्यायाधीश और मजिस्ट्रेट (Judges and Magistrates) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 127 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
न्यायाधीशों को उनकी न्यायिक कार्यवाही के लिए संरक्षण देना |
क्या धारा 127 के अंतर्गत कोई न्यायाधीश अपनी न्यायिक प्रक्रिया के संबंध में साक्ष्य देने को बाध्य किया जा सकता है? |
नहीं, जब तक कि उच्च अधिकार न दे |
किस केस में यह सिद्धांत स्थापित हुआ कि न्यायिक निर्णय लेने की प्रक्रिया को साक्ष्य के रूप में जांच के लिए नहीं लाया जा सकता? |
आर. बनाम लेवेलिन-जोन्स |
धारा 127 का किस मूलभूत सिद्धांत से संबंध है? |
न्यायिक स्वतंत्रता |
क्या मजिस्ट्रेट, जिसने कोई आदेश पारित किया है, उस आदेश के औचित्य पर गवाही दे सकता है? |
नहीं |
न्यायाधीशों की न्यायिक गतिविधियों को चुनौती देने के लिए कौन-सा विधिक मार्ग उपयुक्त होता है? |
अपील |
क्या न्यायालय के निर्णय को गलत ठहराने हेतु न्यायाधीश की मानसिक प्रक्रिया को गवाही में लिया जा सकता है? |
नहीं |
न्यायिक स्वतंत्रता को सुरक्षित करने के लिए न्यायाधीशों को किस प्रकार की कानूनी सुरक्षा प्रदान की गई है? |
वे अपने निर्णय पर गवाही नहीं दे सकते |
धारा 127 में उल्लिखित अपवादों को लागू करने का अधिकार किसके पास होता है? |
संबंधित उच्च न्यायालय या प्राधिकृत अधिकारी के पास |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 128 किससे संबंधित है?
|
विवाहित स्थिति के दौरान में की गई सूचनाएं (Communications during marriage) |
धारा 128 के अनुसार, पति-पत्नी के बीच वैवाहिक जीवन के दौरान किए गए संप्रेषण को क्या माना जाता है? |
गोपनीय संप्रेषण |
किस स्थिति में विवाह के दौरान किया गया संप्रेषण साक्ष्य के रूप में मान्य होगा? |
जब दोनों पक्ष सहमति दें |
एम.सी. वर्गीस बनाम टी.जे. पूनन केस किस धारा से संबंधित है? |
धारा 128 – वैवाहिक गोपनीयता |
यदि कोई पत्नी पति के विरुद्ध वैवाहिक काल की निजी बातचीत को उजागर करती है, तो क्या यह स्वीकार्य होगा? |
नहीं, जब तक पति सहमति न दे |
धारा 128 के तहत किस बात पर विशेष बल दिया गया है? |
पति-पत्नी के बीच विश्वास और गोपनीयता |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 129 किससे संबंधित है? |
राज्य के कार्यकलापों के बारे में साक्ष्य (Evidence as to affairs of State) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 130 किससे संबंधित है? |
शासकीय संसूचनाएं (Official communications) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 131 किससे संबंधित है? |
अपराधों के करने के बारे में जानकारी (Information as to commission of offences) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “वृतिक संसूचनाएं” (Professional communications) से संबंधित है? |
धारा 132 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “साक्ष्य देने के लिए स्वयमेव उद्यत होने से विशेषाधिकार अभित्यक्त नहीं हो जाता”( Privilege not waived by volunteering evidence) से संबंधित है? |
धारा 133 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा विधि सलाहकारों से गोपनीय संसूचना( Confidential communication with legal advisers) से संबंधित है। |
धारा 134 |
क्या कोई व्यक्ति अपने विधिक सलाहकार से प्राप्त गोपनीय सूचना को न्यायालय में बिना अनुमति के प्रकट कर सकता है? |
नहीं, जब तक कि व्यक्ति स्वयं इसकी अनुमति न दे |
धारा 134 के अनुसार गोपनीयता की यह सुरक्षा किसके बीच होती है? |
ग्राहक और वकील |
क्या अपराध की योजना बनाने हेतु दी गई सलाह गोपनीय सूचना मानी जाएगी? |
नहीं |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 135 किससे संबंधित है?
|
जो साक्षी पक्षकार नहीं है उसके हक विलेखों का पेश किया जाना (Production of title-deeds of witness not a party) |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “ऐसे दस्तावेजों या इलैक्ट्रानिक अभिलेखों का पेश किया जाना, जिन्हें कोई दूसरा व्यक्ति, जिसका उन पर कब्जा है, पेश करने से इंकार कर सकता था”( Production of documents or electronic records which another person, having possession, could refuse to produce) से संबंधित है। |
धारा 136 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा इस बात से संबंधित है कि इस आधार पर कि उत्तर उसे अपराध में फंसाएगा, साक्षी उत्तर देने से क्षम्य न होगा( itness not excused from answering on ground that answer will criminate)? |
धारा 137
|
यदि कोई साक्षी कहता है कि उसका उत्तर उसे अपराध में फंसा सकता है, तो क्या उसे उत्तर देने से छूट मिलेगी? |
नहीं |
धारा 137 में साक्षी को क्या गारंटी दी जाती है? |
कि उसका उत्तर अभियोजन में प्रयोग नहीं होगा |
कौन-सा केस आत्मदोष से संबंधित संवैधानिक संरक्षण पर आधारित है? |
सेल्वी बनाम कर्नाटक राज्य |
क्या साक्षी का बयान जो कि अदालत में बाध्य होकर दिया गया हो, उसे अभियुक्त के विरुद्ध प्रयोग किया जा सकता है? |
नहीं |
क्या अभियोजन, साक्षी के दिए गए बयान को बाद में उपयोग कर सकता है? |
नहीं, जब तक साक्षी अभियुक्त न बन जाए |
किस केस में यह स्पष्ट किया गया कि किसी साक्षी का बाध्य बयान आत्मदोषरहितता के तहत सुरक्षित होता है? |
सेल्वी बनाम कर्नाटक राज्य |
धारा 137 का क्या प्रभाव है? |
यह साक्षी की सुरक्षा करता है |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 138 किससे संबंधित है? |
सह अपराधी (Accomplice) |
धारा 138 के अनुसार, सह-अपराधी की गवाही को कैसे माना जाता है? |
अनुमेय, लेकिन पुष्टि की आवश्यकता होती है |
किस केस में यह सिद्ध किया गया कि सह-अपराधी की गवाही पुष्टिकरण के बिना भी दोषसिद्धि का आधार बन सकती है? |
कश्मीरा सिंह बनाम मध्य प्रदेश राज्य |
सह-अपराधी की गवाही की पुष्टि (corroboration) क्यों आवश्यक मानी जाती है? |
क्योंकि वह पक्षपात कर सकता है |
सह-अपराधी की गवाही की पुष्टि किस प्रकार के साक्ष्य से हो सकती है? |
प्रत्यक्ष साक्ष्य , परिस्थितिजन्य साक्ष्य , अन्य स्वतंत्र साक्षी की गवाही |
धारा 138 के अंतर्गत सह-अपराधी की गवाही किस श्रेणी में आती है? |
सक्षम साक्ष्य |
कौन-सा केस सह-अपराधी की गवाही के उपयोग के संदर्भ में एक प्रमुख उदाहरण है? |
कश्मीरा सिंह बनाम मध्य प्रदेश राज्य |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “साक्षियों की संख्या”(Number of witnesses) से संबंधित है? |
धारा 139 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 139 का मूल सिद्धांत क्या है? |
साक्षियों की संख्या अनिवार्य नहीं |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "गुणवत्ता" साक्ष्य की "संख्या" से अधिक महत्वपूर्ण है? |
वडिवेलु थेवर बनाम मद्रास राज्य |
धारा 139 के तहत दोषसिद्धि किस बात पर निर्भर करती है? |
गवाही की सत्यता और विश्वसनीयता पर |
साक्षी की संख्या नहीं, बल्कि उसकी क्या महत्वपूर्ण होती है? |
विश्वसनीयता |
यदि पाँच साक्षी मौजूद हैं परन्तु केवल एक विश्वसनीय है, तो न्यायालय किस गवाही को मान्यता देगा? |
केवल विश्वसनीय साक्षी को |
सिर्फ एक साक्षी पर आधारित निर्णय किस प्रकार का होता है? |
न्यायसंगत यदि साक्ष्य मजबूत हो |
किसी अपराध की पुष्टि के लिए क्या 'एकमात्र गवाह' भी पर्याप्त हो सकता है? |
हाँ |
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अध्याय 10 (Chapter X) |
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साक्षियों की परीक्षा के विषय में (Of Examination Of Witnesses) |
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “साक्षियों के पेशकरण और उनकी परीक्षा का क्रम”(Order of production and examination of witnesses) से संबंधित है। |
धारा 140
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 140 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
न्यायालय को साक्षियों की परीक्षा के क्रम को नियंत्रित करने की शक्ति देना |
साक्षी को बुलाने और परीक्षा करने का क्रम कौन तय करता है? |
न्यायालय |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने साक्षी के परीक्षण के दौरान न्यायालय के विवेकाधिकार को मान्यता दी? |
गुजरात राज्य बनाम अनिरुद्ध सिंह |
क्या अदालत अभियोजन साक्षियों की क्रम बदल सकती है? |
हाँ, यदि न्यायोचित कारण हो |
क्या न्यायालय यह निर्देश दे सकता है कि कौन-सा साक्षी पहले या बाद में प्रस्तुत हो? |
हाँ, न्यायालय का अधिकार है |
न्यायालय किस परिस्थिति में साक्षी के पेश करने के क्रम में हस्तक्षेप कर सकता है? |
जब न्याय की आवश्यकता हो ,जब अभियोजन पक्ष असहयोग करे ,जब गवाह अनुपलब्ध हो |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “न्यायाधीश साक्ष्य की ग्राहयता के बारे में निश्चय करेगा”(Judge to decide as to admissibility of evidence) से संबंधित है। |
धारा 141 |
धारा 141 के अंतर्गत साक्ष्य की ग्राह्यता का निर्धारण कौन करता है? |
न्यायाधीश |
"साक्ष्य की स्वीकार्यता" से क्या तात्पर्य है? |
क्या साक्ष्य न्यायालय में स्वीकार किया जा सकता है या नहीं |
न्यायाधीश साक्ष्य की ग्राह्यता का निर्धारण कब करता है? |
जब साक्ष्य प्रस्तुत किया जाता है |
न्यायाधीश द्वारा साक्ष्य की ग्राह्यता के निर्धारण का क्या उद्देश्य है? |
केवल वैध और प्रासंगिक साक्ष्य को मान्यता देना |
किस केस में यह कहा गया कि "स्वीकार्यता कानून और न्यायाधीश का प्रश्न है"? |
पकला नारायण स्वामी बनाम सम्राट |
क्या न्यायाधीश की अनुमति के बिना कोई साक्ष्य रिकॉर्ड किया जा सकता है? |
नहीं |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा साक्षियों की परीक्षा (Examination of witnesses) से संबंधित है? |
धारा 142 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 142 के अंतर्गत साक्ष्य की प्रस्तुति का कौन-सा क्रम उचित माना गया है? |
मुख्य परीक्षा → प्रतिपरीक्षा → पुनः परीक्षा |
मुख्य परीक्षा किस पक्ष द्वारा की जाती है? |
जिसने साक्षी को बुलाया है |
प्रतिपरीक्षा (Cross-Examination) का उद्देश्य क्या होता है? |
गवाही की विश्वसनीयता की जांच |
पुनः परीक्षा का उद्देश्य क्या होता है? |
जिरह के दौरान उठे विषयों को स्पष्ट करना |
क्या पुनः परीक्षा के दौरान नई बातें पूछी जा सकती हैं? |
केवल न्यायालय की अनुमति से |
कौन-सा केस साक्षियों की परीक्षा के क्रम पर महत्वपूर्ण है? |
रामेश्वर बनाम राजस्थान राज्य |
प्रतिपरीक्षा करने का अधिकार किसे होता है? |
विपक्ष को |
न्यायालय किस परिस्थिति में साक्षी को सीधे सवाल पूछ सकता है? |
न्याय हित में |
यदि कोई पक्ष जिरह नहीं करता, तो क्या मुख्य परीक्षा की गवाही मान्य रहेगी? |
हाँ |
पुनः परीक्षा में नया विषय उठाना किस स्थिति में वैध है? |
केवल न्यायालय की अनुमति से |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा परीक्षाओं के क्रम (Order of examinations) से संबंधित है? |
धारा 143 |
"रानी महारानी बनाम बेनी" केस का साक्ष्य अधिनियम की किस धारा से विशेष संबंध है? |
धारा 143 |
यदि गवाह मुख्य परीक्षण में किसी तथ्य पर बयान देता है और प्रतिपरीक्षा में उस पर भ्रम पैदा हो जाता है, तो पुनः परीक्षा का उपयोग किसलिए किया जा सकता है? |
उस भ्रम को स्पष्ट करने के लिए |
एक अभियोजन गवाह के पुनः परीक्षण में, यदि कोई ऐसा प्रश्न पूछा जाता है जो प्रतिपरीक्षा में नहीं पूछा गया था, तो वह— |
केवल न्यायालय की अनुमति से ही पूछा जा सकता है |
न्यायालय के समक्ष गवाही देते समय गवाह की मुख्य परीक्षा में यदि कोई महत्वपूर्ण तथ्य छूट गया हो, तो क्या वह पुनः परीक्षा में लाया जा सकता है? |
हां, यदि न्यायालय अनुमति दे |
किस मामले में कहा गया कि, पुनः परीक्षा का उद्देश्य प्रतिपरीक्षा में उत्पन्न अस्पष्टताओं को दूर करना है? |
"सत पॉल बनाम दिल्ली प्रशासन (1976)" |
एक गवाह जो मुख्य परीक्षण में अभियोजन पक्ष का समर्थन करता है, लेकिन प्रतिपरीक्षा में विपरीत बयान देता है — ऐसी स्थिति में पुनः परीक्षा का प्रयोग कैसे किया जा सकता है? |
प्रतिपरीक्षा में दिए गए बयान की व्याख्या करने के लिए |
न्यायिक निर्णय के अनुसार, "पुनः परीक्षा" के दौरान पूछे गए प्रश्न: |
मुख्य रूप से स्पष्टीकरण हेतु होते हैं |
क्या न्यायालय, पुनः परीक्षा के दौरान प्रतिपक्ष को प्रतिपरीक्षा करने की अनुमति दे सकता है यदि नए तथ्य सामने आए हों? |
हां, यह प्रतिवादी का अधिकार है |
पुनः परीक्षा में यदि प्रश्न प्रतिपरीक्षा में दिए गए किसी नए मुद्दे पर आधारित है, तो क्या वह मान्य होगा? |
हां, यदि प्रश्न अस्पष्टता को दूर करता है |
किस केस में यह स्पष्ट किया गया कि पुनः परीक्षा का दायरा सीमित है और न्यायालय की अनुमति आवश्यक है? |
राम चंद्र बनाम उत्तर प्रदेश राज्य |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 144 किससे संबंधित है? |
किसी दस्तावेज को पेश करने के लिए समनित व्यक्ति की प्रतिपरीक्षा (Cross-examination of person called to produce a document) |
धारा 144 के अंतर्गत दस्तावेज़ प्रस्तुत करने वाले व्यक्ति को प्रतिपरीक्षा का सामना तब करना होगा जब — |
वह दस्तावेज़ की सत्यता पर बयान देता हो |
यदि कोई गवाह केवल रिकॉर्ड से दस्तावेज़ प्रस्तुत करता है और उसे गवाही के लिए नहीं बुलाया गया है, तो क्या प्रतिपरीक्षा संभव है? |
नहीं, जब तक कोर्ट उसे गवाह न माने |
किस मामले में कहा गया कि, दस्तावेज़ पेश करने वाला गवाह नहीं माना जाएगा जब तक उसे गवाही के लिए न बुलाया जाए? |
राम ज्वाला प्रसाद बनाम बिहार राज्य (AIR 1970) |
यदि दस्तावेज़ प्रस्तुतकर्ता को गवाही के लिए बुलाया गया हो, तो किस स्थिति में प्रतिपरीक्षा का अधिकार मिल सकता है? |
जब वह दस्तावेज़ की उत्पत्ति की जानकारी देता है |
धारा 144 में "प्रतिपरीक्षा" की अनुमति क्यों दी जाती है? |
जब दस्तावेज़ पेश करने वाला उसकी वैधता की पुष्टि करता है |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 145 किससे संबंधित है? |
शील का साक्ष्य देने वाले साक्षी (Witnesses to character) |
सुप्रीम कोर्ट किस मामले में कहा गया कि, सहमति के मामलों में पीड़िता का शील निर्णायक नहीं होता? |
पंजाब राज्य बनाम गुरमित सिंह (1996) |
क्या शील का साक्ष्य देने वाले व्यक्ति की प्रतिपरीक्षा की जा सकती है? |
हाँ |
क्या शील का साक्ष्य देने वाले व्यक्ति की पुनःपरीक्षा की जा सकती है? |
हाँ |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 146 किससे संबंधित है? |
सूचक प्रश्न (Leading questions) |
धारा 146(1) के अनुसार, "सूचक प्रश्न" (Leading Question) क्या होता है? |
कोई प्रश्न, जो उस उत्तर को सुझाता है, जिसे पूछने वाला व्यक्ति पाना चाहता है या पाने की आशा करता है| |
धारा 146(2) के तहत, सूचक प्रश्न किस स्थिति में मुख्य परीक्षा (Examination-in-Chief) या पुनः परीक्षा (Re-examination) में पूछे जा सकते हैं? |
जब न्यायालय अनुमति दे |
धारा 146(4) के अनुसार, सूचक प्रश्न किस स्थिति में प्रतिपरीक्षा (Cross-Examination) में पूछे जा सकते हैं? |
हमेशा |
धारा 146 के अनुसार, न्यायालय सूचक प्रश्नों की अनुमति किस आधार पर दे सकता है?
|
यदि प्रश्न पुनःस्थापना के रूप में या निर्विवाद है |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 धारा 147 किससे संबंधित है? |
लेखबद् विषयो के बारे में साक्ष्य (Evidence as to matters in writing) |
धारा 147 के अनुसार, जब कोई तथ्य किसी दस्तावेज़ में लिखा गया हो, तो उसका साक्ष्य कैसे दिया जाना चाहिए? |
स्वयं दस्तावेज़ के माध्यम से |
किस केस में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि “जब दस्तावेज़ मौजूद है, तो उसकी सामग्री मौखिक रूप से सिद्ध नहीं की जा सकती”? |
रूप कुमार बनाम मोहन थेदानी |
धारा 147 के अंतर्गत मौखिक साक्ष्य कब स्वीकार किया जाता है? |
जब मूल दस्तावेज़ मौजूद न हो और वैध कारण हो |
“सर्वोत्तम साक्ष्य नियम” किस धारा में अंतर्निहित है? |
धारा 147 |
यदि पक्षकार दस्तावेज़ की सामग्री को मौखिक रूप से सिद्ध करने का प्रयास करता है, तो— |
धारा 147 के तहत स्वीकार नहीं किया जाएगा |
“दस्तावेज स्वयं बोलता है” सिद्धांत किस कानूनी सिद्धांत से संबंधित है? |
सर्वश्रेष्ठ साक्ष्य नियम |
कौन सी धारा पूर्वतन लेखबद् कथनो के बारे में प्रतिपरीक्षा (Cross-examination as to previous statements in writing) से संबंधित है। |
धारा 148
|
धारा 148 के अनुसार, किसी गवाह द्वारा पहले दिए गए लेखबद्ध बयान को प्रतिपरीक्षा में किस स्थिति में प्रस्तुत किया जा सकता है? |
जब गवाह अपनी गवाही से मुकर जाए |
"पूर्वतन लेखबद्ध कथन" का क्या मतलब है, जैसा कि धारा 148 में उल्लेखित है? |
गवाह द्वारा पहले दिया गया बयान, जो अब दस्तावेज़ में है |
यदि गवाह अपनी गवाही से मुकरता है, तो धारा 148 के तहत क्या किया जा सकता है? |
उसके द्वारा पहले दिए गए बयान को प्रतिपरीक्षा में पेश किया जा सकता है |
किस मामले में न्यायालय ने धारा 148 का पालन करते हुए गवाह के पहले दिए गए बयान को स्वीकार किया था? |
महेंद्र बनाम उत्तर प्रदेश राज्य |
कौन सी धारा प्रतिपरीक्षा में विधिपूर्ण प्रश्न (Questions lawful in cross-examination) से संबंधित है? |
धारा 149 |
धारा 149 के अंतर्गत प्रतिपरीक्षा में गवाह से ऐसा प्रश्न जो उसकी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाता हो, कब अनुमन्य है? |
जब सवाल गवाह की साख पर असर डालता हो |
क्या धारा 149 के अंतर्गत प्रतिपरीक्षा में गवाह से ऐसा प्रश्न जो उसकी सत्यवादिता परखता हो पूछे जा सकते हैं? |
हां |
क्या धारा 149 के अंतर्गत प्रतिपरीक्षा में गवाह से ऐसा प्रश्न जो यह पता चलाने कि वह कौन है और जीवन में उसकी स्थिति क्या है, पूछे जा सकते हैं? |
हां |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि क्रॉस-एग्जामिनेशन में केवल प्रासंगिक चरित्र संबंधी प्रश्न ही पूछे जा सकते हैं? |
महाराष्ट्र राज्य बनाम मधुकर नारायण मार्डीकर |
यदि कोई प्रश्न गवाह को स्वयं को दोषी साबित करने के खतरे में डालता है, तो क्या वह धारा 149 के अंतर्गत अनुमन्य है? |
हाँ, यदि वह गवाह की साख को प्रभावित करता हो |
धारा 149 के अनुसार, किन परिस्थितियों में यौन पीड़िता से उसके यौन इतिहास पर प्रश्न पूछना वर्जित है? |
जब अपराध धारा 64–71 (यौन अपराध) के अंतर्गत हो |
धारा 149 के अनुसार, "गवाह का श्रेय" का अर्थ क्या है? |
गवाह की साख या विश्वसनीयता |
क्या गवाह से उसकी व्यक्तिगत आदतों (जैसे शराब पीना) पर प्रश्न पूछे जा सकते हैं? |
हाँ, यदि यह उसकी साख को प्रभावित करता हो |
किस केस में कोर्ट ने कहा कि "क्रॉस-एग्जामिनेशन लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सच्चाई खोजने का अहम हथियार है"? |
आर. वी. बास्करविले |
क्या गवाह को क्रॉस-एग्जामिनेशन में उसके जीवन-स्तर के बारे में सवाल पूछे जा सकते हैं? |
हाँ, यदि सवाल साख को प्रभावित करें |
यदि क्रॉस-एग्जामिनेशन का कोई प्रश्न केवल अपमान करने की नीयत से पूछा गया हो, तो न्यायालय क्या कर सकता है? |
उसे रोक सकता है और आपत्ति स्वीकार करेगा |
कौन सी धारा इस बात से संबंधित है कि साक्षी को उत्तर देने के लिए कब विवश किया जाए (Questions lawful in cross-examination) |
धारा 150 |
धारा 150 के अनुसार, यदि ऐसा कोई प्रश्न उस वाद या कार्यवाही से सुसंगत किसी बात से संबंधित है, तो किस धारा के उपबन्ध उसको लागू होंगे? |
धारा 137 |
धारा 150 के अनुसार, साक्षी को उत्तर देने के लिए बाध्य कब किया जा सकता है? |
जब प्रश्न न्यायालय द्वारा प्रासंगिक और आवश्यक माना जाए |
धारा 150 के अंतर्गत न्यायालय किस आधार पर साक्षी को उत्तर देने के लिए बाध्य करता है? |
सवाल का न्यायिक उद्देश्य और प्रासंगिकता |
यदि साक्षी को लगता है कि उत्तर देने से वह स्वयं को दोषी ठहरा सकता है, तो— |
केवल न्यायालय के आदेश से ही वह उत्तर देने को बाध्य होगा |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गवाह को आत्म-अपराधीकरण से बचाने का अधिकार है, लेकिन यह निरपेक्ष नहीं है? |
नंदिनी सत्पथी बनाम पी.एल. दानी |
यदि किसी प्रश्न से साक्षी को शर्मिंदगी या सामाजिक अपमान हो सकता है, तो न्यायालय क्या करेगा? |
प्रश्न की न्यायिक प्रासंगिकता देखेगा |
साक्षी को कब उत्तर देने से मना करने का अधिकार नहीं होता? |
जब प्रश्न न्यायालय द्वारा अनुमन्य और प्रासंगिक हो |
क्या गवाह आत्म-अपराधी बयान से बचने के लिए उत्तर देने से इनकार कर सकता है? |
नहीं, अगर न्यायालय आदेश दे |
यदि कोई प्रश्न केवल गवाह को बदनाम करने की मंशा से पूछा गया हो, तो— |
न्यायालय उस प्रश्न को रोक सकता है |
किस अनुच्छेद के तहत गवाह को आत्म-अपराधी उत्तर देने से सुरक्षा प्राप्त है? |
अनुच्छेद 20(3) |
कौन सी धारा न्यायालय विनिश्चित करेगा कि कब प्रश्न पूछा जाएगा और साक्षी को उत्तर देने के लिए कब विवश किया जाएगा(Court to decide when question shall be asked and when witness compelled to answer), से संबंधित है? |
धारा 151 |
धारा 151 के अनुसार, न्यायालय साक्षी को उत्तर देने के लिए कब विवश करेगा? |
जब प्रश्न साक्षी की साख को प्रभावित करता हो |
यदि कोई प्रश्न साक्षी की साख को प्रभावित करता है, तो न्यायालय क्या करेगा? |
साक्षी को उत्तर देने के लिए विवश करेगा |
धारा 151 के अनुसार, यदि प्रश्न साक्षी की साख को प्रभावित नहीं करता है, तो न्यायालय क्या करेगा? |
न्यायालय विनिश्चित करेगा कि साक्षी को उत्तर देने के लिए विवश किया जाए या नहीं |
जहां तक कि वह साक्षी के शील को दोष लगाकर उसकी विश्वसनीयता पर प्रभाव डालती है, सुसंगत नहीं है, तो न्यायालय क्या करेगा? |
साक्षी को सचेत कर सकेगा कि वह उसका उत्तर देने के लिए आबद्ध नहीं है |
धारा 151 के अनुसार, यदि साक्षी उत्तर देने से इनकार करता है, तो न्यायालय क्या करेगा? |
साक्षी की साख पर विचार करेगा |
धारा 151 के अनुसार, न्यायालय साक्षी की साख पर विचार करते समय किन बातों का ध्यान रखेगा? |
प्रश्न की प्रासंगिकता और समय , प्रश्न का उद्देश्य और उसकी गंभीरता, प्रश्न का साक्षी की साख पर प्रभाव |
धारा 151 के अनुसार, यदि प्रश्न साक्षी की साख को गंभीर रूप से प्रभावित करता है, तो न्यायालय क्या करेगा? |
साक्षी को उत्तर देने के लिए विवश करेगा |
धारा 151 के अनुसार, यदि प्रश्न साक्षी की साख को हल्के रूप से प्रभावित करता है, तो न्यायालय क्या करेगा? |
प्रश्न को अस्वीकार करेगा |
धारा 151 के अनुसार, यदि प्रश्न का उद्देश्य केवल साक्षी को अपमानित करना है, तो न्यायालय क्या करेगा? |
प्रश्न को अस्वीकार करेगा |
कौन सी धारा युक्तियुक्त आधारों के बिना प्रश्न न पूछा जाएगा(Question not to be asked without reasonable grounds), से संबंधित है? |
धारा 152
|
धारा 152 का उद्देश्य क्या है? |
न्यायिक कार्यवाही को अपमानजनक या निराधार प्रश्नों से बचाना |
यदि एक वकील को केवल "संदेह" है कि गवाह अपराधी है, पर कोई सबूत नहीं है, तो क्या वह धारा 152 के तहत सवाल पूछ सकता है? |
नहीं, उसे स्पष्ट युक्तियुक्त आधार चाहिए |
अगर वकील को कोई गोपनीय स्रोत यह बताता है कि गवाह डकैत है, और वकील को यह बात विश्वसनीय लगती है — तो क्या यह प्रश्न पूछना युक्तियुक्त है? |
हाँ, यदि सूचना विश्वसनीय है |
राज्य बनाम एक्स में कोर्ट ने कहा – "गवाह से उसके चरित्र पर बिना आधार के प्रश्न पूछना प्रक्रियात्मक शोषण है।" यह किस धारा का समर्थन करता है? |
धारा 152 |
यदि गवाह से यह प्रश्न पूछा जाए: “क्या आप वेश्या रहे हैं?”, लेकिन ऐसा पूछने के पीछे कोई ठोस कारण नहीं है — यह धारा 152 के अंतर्गत क्या होगा? |
प्रश्न को अस्वीकार किया जाएगा |
यदि वकील गवाह से यह पूछे: “क्या आप पहले कभी जेल गए हैं, तो न्यायालय किन बातों की जांच करेगा? |
क्या कोई युक्तियुक्त आधार मौजूद है |
कौन सी युक्तियुक्त आधारों के बिना प्रश्न पूछे जाने की अवस्था में न्यायालय की प्रक्रिया(Procedure of Court in case of question being asked without reasonable grounds) से संबंधित है। |
धारा 153
|
धारा 153 के अंतर्गत न्यायालय वकील के खिलाफ किस स्थिति में अनुशासनात्मक प्रक्रिया शुरू कर सकता है? |
जब वकील बिना युक्तियुक्त आधार के आपत्तिजनक प्रश्न पूछे |
यदि वकील बार-बार बिना उचित आधार के व्यक्तिगत आरोप लगाता है, तो न्यायालय क्या कर सकता है? |
उसकी रिपोर्ट च्च न्यायालय को या अन्य प्राधिकारी को को भेज सकता है |
धारा 153 किस प्रकार का अधिकार अभ्यास न्यायालय को देती है? |
न्यायालय को वकील की पेशेवर अनुशासन की निगरानी करने का |
कौन-सा केस न्यायिक व्यवस्था में क्रॉस एग्जामिनेशन के दुरुपयोग पर न्यायालय की शक्ति को स्थापित करता है? |
मधुकर नारायण मर्दीकर बनाम महाराष्ट्र राज्य |
यदि वकील ने साक्षी को झूठा, चोर या बेईमान कह दिया बिना किसी रिकॉर्ड या सबूत के, तो अदालत क्या कर सकती है? |
वकील के खिलाफ अनुशासनात्मक रिपोर्ट बनाएगी |
न्यायालय किसके समक्ष अनुशासनात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकता है? |
बार काउंसिल / उच्च न्यायालय |
धारा 153 का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
न्यायिक गरिमा बनाए रखना |
धारा 153 के अनुसार, क्या यह आवश्यक है कि प्रश्न जानबूझकर आपत्तिजनक हो? |
नहीं, केवल बिना आधार होने पर भी कार्रवाई संभव है |
यदि वकील गवाह से पूछे: "क्या आप शराबी हैं?" — और इसका कोई आधार न हो, तो न्यायालय क्या मान सकता है? |
सवाल अनुचित और धारा 153 के विरुद्ध है |
किस न्यायिक सिद्धांत को धारा 153 मज़बूत करता है? |
निष्पक्ष सुनवाई और कानूनी शिष्टाचार |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 154 किससे संबंधित है?
|
अशिष्ट और कलंकात्मक प्रश्न (Indecent and scandalous questions) |
कौन-सा कथन धारा 154 के उद्देश्य को ठीक से परिभाषित करता है? |
कार्यवाही को सार्वजनिक रूप से अपमानजनक प्रश्नों से बचाना |
धारा 154 के अनुसार किस स्थिति में अशिष्ट प्रश्न की अनुमति दी जा सकती है? |
जब वह सीधे मुकदमे के निर्णय से संबंधित तथ्य से जुड़ा हो |
क्या न्यायालय केवल इस आधार पर प्रश्न को खारिज कर सकता है कि वह नैतिक रूप से अस्वीकार्य है? |
हाँ, अगर प्रश्न सामाजिक मर्यादा को भंग करता हो |
यदि गवाह महिला है और उससे बार-बार विवाहपूर्व संबंधों पर प्रश्न पूछे जा रहे हैं, तो न्यायालय की क्या भूमिका हो सकती है? |
प्रश्नों को रोक सकता है यदि वे केस से सीधे संबंधित नहीं हैं |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि “गवाह की गरिमा की रक्षा न्यायालय की जिम्मेदारी है”? |
महाराष्ट्र राज्य बनाम मधुकर नारायण |
क्या धारा 154 केवल अभियोजन पक्ष के गवाहों को सुरक्षा देती है? |
नहीं, यह सभी गवाहों पर लागू होती है |
क्या "अशिष्ट" प्रश्न का मतलब केवल गाली-गलौच है? |
नहीं, इसका मतलब ऐसा कोई भी प्रश्न है जो शालीनता की सीमा पार करे |
अगर एक वकील पूछता है – “क्या आप वेश्यावृत्ति में लिप्त रही हैं?” और वह केस से संबंधित नहीं है, तो न्यायालय क्या करेगा? |
प्रश्न को अस्वीकार करेगा और वकील को चेतावनी देगा |
धारा 154 के तहत "कलंकात्मक प्रश्न" किससे संबंधित होते हैं? |
जो व्यक्ति की सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाते हैं |
क्या न्यायालय को किसी भी सवाल को "निंदनीय" मानकर अस्वीकार करने की शक्ति है? |
हाँ, न्यायिक विवेकाधिकार के अनुसार |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 155 किससे संबंधित है?
|
अपमानित या क्षुब्ध करने के लिए आशयित प्रश्न (Questions intended to insult or annoy) |
यदि कोई वकील गवाह से पूछता है: "क्या आप मानसिक रोगी रहे हैं, और प्रश्न का केस से कोई संबंध नहीं है, तो न्यायालय क्या करेगा? |
प्रश्न को अस्वीकार कर देगा |
धारा 155 के तहत न्यायालय किस तरह के प्रश्नों को रोकेगा? |
जो केवल अपमानित या क्षुब्ध करने के इरादे से हों |
प्रश्न क्या आपकी माँ अनैतिक कार्य करती थीं” धारा 155 के तहत रोका जा सकता है? |
हाँ |
क्या न्यायालय को प्रश्न की मंशा देखने का अधिकार है? |
हाँ, अगर प्रश्न का उद्देश्य अपमान करना हो |
किस केस में न्यायालय ने कहा कि क्रॉस-एग्जामिनेशन का उपयोग गवाह को परेशान या अपमानित करने के लिए नहीं किया जा सकता? |
रूपन देओल बजाज बनाम केपीएस गिल (1995) |
अगर प्रश्न “क्या आप चरित्रहीन हैं?” केवल गवाह को शर्मिंदा करने के लिए पूछा गया हो, तो न्यायालय क्या करेगा? |
प्रश्न को अस्वीकार करेगा |
गवाह के सम्मान की रक्षा के लिए न्यायालय को कौन-सा अधिकार धारा 155 देती है? |
प्रश्नों को नियंत्रित करने का |
न्यायालय किस परिस्थिति में कोई सवाल भले ही केस से जुड़ा हो, फिर भी उसे अस्वीकार कर सकता है? |
यदि वह अनावश्यक रूप से आपत्तिजनक हो |
धारा 155 के अंतर्गत, “क्षुब्ध” करने वाले प्रश्न से क्या आशय है? |
जो गवाह को परेशान, आक्रोशित या असहज करे |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 156 किससे संबंधित है?
|
सत्यवादिता परखने के प्रश्नों के उत्तरों का खंडन करने के लिए साक्ष्य का अपवर्जन (Exclusion of evidence to contradict answers to questions testing veracity) |
किस स्थिति में धारा 156 के अंतर्गत साक्षी की उत्तरों की सत्यता को खंडित करने की अनुमति नहीं दी जाती है? |
जब वह उत्तर केवल चरित्र पर आधारित हो |
धारा 156 का सिद्धांत किस प्रसिद्ध केस में प्रतिपादित हुआ था कि "आप किसी के चरित्र पर वार करने के लिए बाहरी साक्ष्य नहीं ला सकते"? |
क्वीन एम्प्रेस बनाम अब्दुल्ला |
किस प्रसिद्ध केस में सुप्रीम कोर्ट ने , गवाह का क्रॉस एग्ज़ामिनेशन केवल उसकी साख तक सीमित रहेगा पर बल दिया? |
उत्तर प्रदेश राज्य बनाम रमेश प्रसाद मिश्रा (2000) |
यदि कोई साक्षी यह कहता है कि वह कभी जेल नहीं गया, और बाद में अभियोजन पक्ष जेल रिकॉर्ड लाकर उसे झूठा सिद्ध करना चाहता है, तो धारा 156 के तहत क्या होगा? |
इसे खंडन साक्ष्य मान कर खारिज कर दिया जाएगा |
धारा 156 का मूल उद्देश्य किस न्याय सिद्धांत से जुड़ा है? |
न्याय में पूर्वग्रह से बचाव |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 157 किससे संबंधित है?
|
पक्षकार द्वारा अपने ही साक्षी से प्रश्न (Question by party to his own witness) |
धारा 157 के अंतर्गत किस परिस्थिति में न्यायालय साक्षी को 'विरोधी' (hostile) घोषित कर पक्षकार को उससे प्रतिप्रश्न करने की अनुमति दे सकता है? |
जब साक्षी बयान से मुकर जाए या विरोधाभासी गवाही दे |
धारा 157 के तहत अनुमति दिए गए प्रश्नों का उद्देश्य क्या है? |
न्यायालय को गवाह की असंगति दिखाना |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शत्रुतापूर्ण घोषित किए गए गवाह की पूरी गवाही खारिज नहीं की जा सकती”? |
सत पॉल बनाम दिल्ली प्रशासन |
यदि अभियोजन पक्ष अपने साक्षी को शत्रुतापूर्ण घोषित करवाकर उससे प्रतिप्रश्न करता है, तो क्या अभियोजन उस गवाह के अन्य कथन पर भरोसा कर सकता है? |
हाँ, यदि न्यायालय को वो भाग विश्वसनीय लगे |
धारा 157 के तहत अनुमति प्राप्त प्रश्नों को पूछने से कौन सी प्रक्रिया न्यायालय में आरंभ हो सकती है? |
साक्षी को झूठा साबित करने की प्रक्रिया |
“पक्षद्रोही साक्षी” शब्द का साक्ष्य अधिनियम में प्रयोग किस अर्थ में किया गया है? |
जो अपने ही पक्ष के विरोध में गवाही दे |
धारा 157 की अनुमति से पक्षकार किस प्रकार के प्रश्न पूछ सकता है? |
अग्रणी प्रश्न |
एक शत्रुतापूर्ण गवाह की गवाही को पूर्णतः नकारने के स्थान पर न्यायालय को क्या करना चाहिए? |
उसे परीक्षण कर उसके विश्वसनीय भाग को स्वीकार करना चाहिए |
शत्रुतापूर्ण गवाह से संबंधित साक्ष्य की पुनर्परीक्षा किस उद्देश्य से की जा सकती है? |
गवाही के विरोधाभास स्पष्ट करने के लिए |
धारा 157 के अनुसार न्यायालय अपने विवेकानुसार क्या अनुज्ञा दे सकता है? |
न्यायालय उस व्यक्ति को, जो साक्षी को बुलाता है, उस साक्षी से कोई ऐसे प्रश्न करने की अनुज्ञा दे सकता है |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 158 किससे संबंधित है? |
साक्षी की विश्वसनीयता पर अधिक्षेप (Impeaching credit of witness) |
धारा 158 के अनुसार, एक साक्षी की विश्वसनीयता पर अधिक्षेप कब किया जा सकता है? |
जब साक्षी अपने बयान से मुकरता है |
किस परिस्थिति में साक्षी के बयान को चुनौती दी जा सकती है, ताकि उसकी विश्वसनीयता पर अधिक्षेप किया जा सके? |
जब साक्षी पहले दिए गए बयान से मुकर जाए या उसका बयान विरोधाभासी हो |
धारा 158 के तहत, यदि एक साक्षी का बयान विरोधाभासी हो, तो क्या उसे खारिज किया जा सकता है? |
नहीं, केवल गवाही के कुछ हिस्से को खारिज किया जा सकता है |
धारा 158 के तहत, साक्षी की विश्वसनीयता को प्रभावित करने के लिए किस प्रकार के साक्ष्य प्रस्तुत किए जा सकते हैं? |
किसी अन्य साक्षी का बयान, जो विरोधाभासी हो |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, विरोधाभासी बयान होने पर गवाह की विश्वसनीयता को आंका जा सकता है? |
"राजस्थान राज्य बनाम काशी राम" (2006) |
साक्षी विश्वसनीयता पर अधिक्षेप करने की प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य क्या है? |
साक्षी की विश्वसनीयता को अदालत के सामने उजागर करना |
यदि एक साक्षी अपने बयान से मुकर जाता है और प्रतिवादी पक्ष द्वारा उसे शत्रुतापूर्ण गवाह घोषित किया जाता है, तो उस साक्षी की गवाही पर किस प्रकार का प्रभाव पड़ेगा? |
केवल विरोधाभासी हिस्से को ही खारिज किया जाएगा |
कौन सा विकल्प साक्षी के बयान की विश्वसनीयता पर अधिक्षेप के लिए सही है? |
साक्षी के बयान की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के लिए प्रतिपक्ष से प्रतिप्रश्न करना आवश्यक है |
साक्षी के द्वारा गवाही से मुकरने के बाद, कौन सी प्रक्रिया का पालन किया जाता है? |
साक्षी की विश्वसनीयता को प्रभावित करने के लिए अन्य साक्ष्य प्रस्तुत किए जा सकते हैं |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 159 किससे संबंधित है?
|
सुसंगत तथ्य के साक्ष्य की सम्पुष्टि करने की प्रवृत्ति रखने वाले प्रश्न ग्राह्य होंगे (Questions tending to corroborate evidence of relevant fact, admissible) |
धारा 159 के अनुसार, साक्षी की गवाही से संबंधित प्रश्न केवल किस उद्देश्य के लिए पूछे जा सकते हैं? |
गवाही की पुष्टि या सुसंगति को दर्शाना |
धारा 159 के तहत, यदि साक्षी से किसी गवाही के बारे में सवाल पूछा जाता है, तो वह किस प्रकार का होना चाहिए? |
उन तथ्यों से संबंधित जो गवाही की सुसंगतता को साबित कर सकें |
धारा 159 के तहत, यदि साक्षी अपनी गवाही से मुकर जाता है तो क्या उसे अन्य साक्ष्यों से पुष्टि करने की अनुमति दी जाती है? |
हाँ, उसे अन्य साक्ष्यों से पुष्टि करने की अनुमति दी जाती है |
धारा 159 के तहत साक्षी से पूछे गए प्रश्नों को कितनी परिस्थितियों में स्वीकार किया जा सकता है? |
जब प्रश्न से गवाही की सुसंगतता सिद्ध हो सकती हो |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, साक्षी से प्रश्न पूछने के लिए अन्य साक्ष्य का सहारा लिया जा सकता है? |
जगदीप सिंह बनाम हरियाणा राज्य |
धारा 159 के अंतर्गत गवाही की सुसंगतता की पुष्टि करने के लिए कौन से प्रकार के प्रश्न पूछे जा सकते हैं? |
वह प्रश्न जो साक्षी के द्वारा दिए गए विवरण को पुष्टि करने के लिए हों |
क्या धारा 159 के तहत एक साक्षी से वह प्रश्न पूछे जा सकते हैं जो उसके बयान के अलावा भी अन्य साक्ष्य से संबंधित हों? |
हाँ, यदि गवाही की सुसंगतता सिद्ध हो सकती है |
धारा 159 के तहत, क्या साक्षी से ऐसे प्रश्न पूछे जा सकते हैं जो मुख्य गवाही से अलग हो? |
हाँ, यदि वे प्रश्न साक्षी की गवाही के सुसंगत होने के लिए मददगार हों |
यदि कोई साक्षी अपनी गवाही में असंगति दिखाता है, तो धारा 159 के तहत उसे किस प्रकार के प्रश्न पूछे जा सकते हैं? |
केवल प्रश्न जो गवाही की पुष्टि करने में सहायक हों |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा इस विषय से संबंधित है कि उसी तथ्य के बारे में पश्चात्वर्ती अभिसाक्ष्य की संपुष्टि करने के लिए साक्षी के पूर्वतन कथन साबित किए जा सकेंगे। |
धारा 160
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धारा 160 के अनुसार, यदि साक्षी अपने बयान से मुकरता है, तो उसके पूर्व बयान को कैसे उपयोग किया जा सकता है? |
उसे पश्चात्वर्ती अभिसाक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है (Former statements of witness may be proved to corroborate later testimony as to same fact) |
धारा 160 के तहत, जब साक्षी पहले के बयान से मुकरता है, तो क्या न्यायालय उसके पूर्व बयान को स्वीकार करने के लिए बाध्य है? |
हाँ, यदि यह गवाही की सुसंगति और सत्यता की पुष्टि के लिए सहायक हो |
साक्षी का पहले का बयान केवल तब स्वीकार किया जा सकता है जब वह गवाही से मुकर जाए, किस केस से सम्बंधित है? |
"पंजाब राज्य बनाम करनैल सिंह" (2020) |
धारा 160 के अनुसार, पश्चात्वर्ती अभिसाक्ष्य के रूप में साक्षी के पूर्व बयान को प्रस्तुत करने के लिए क्या आवश्यक है? |
साक्षी का पहले का बयान किसी तात्कालिक दस्तावेज़ के रूप में होना चाहिए ,साक्षी के पहले बयान में कोई विरोधाभास होना चाहिए ,साक्षी के पहले बयान को अदालत में शपथपूर्वक प्रस्तुत किया गया हो |
धारा 160 के तहत, यदि साक्षी ने अपने बयान से मुकरने के बाद अपने पहले के बयान को स्वीकार किया, तो उसे किस उद्देश्य से प्रस्तुत किया जा सकता है? |
साक्षी की गवाही की सुसंगति की पुष्टि करने के लिए |
साक्षी के पहले के बयान को केवल तब स्वीकार किया जा सकता है जब वह अपने बयान से पूरी तरह मुकर जाए, किस केस से सम्बंधित है? |
“आर वी. वुड" (2003) |
धारा 160 के तहत साक्षी के पूर्व कथन को पेश करने का क्या प्रभाव पड़ सकता है? |
यह साक्षी की गवाही की सत्यता की पुष्टि करने के लिए सहायक हो सकता है |
धारा 160 के अनुसार, यदि साक्षी अपने बयान से मुकर जाता है, तो उसके पहले के बयान को कैसे प्रस्तुत किया जा सकता है? |
यदि वह अपनी गवाही में स्पष्ट विरोधाभास प्रस्तुत करता है |
क्या धारा 160 के तहत साक्षी का पूर्व बयान उन परिस्थितियों में भी प्रस्तुत किया जा सकता है जब उसे अदालत के समक्ष शपथ पर न लिया गया हो? |
हाँ, यदि बयान किसी अधिकृत प्राधिकृत प्राधिकारी के समक्ष दिया गया हो |
धारा 160 के तहत, साक्षी के पहले बयान को फिर से प्रस्तुत करते समय न्यायालय को किस पर विचार करना चाहिए? |
साक्षी के बयान में सुसंगति और गवाही के सत्यता पर प्रभाव |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा इस विषय से संबंधित है कि साबित कथन के बारे में, जो कथन धारा 26 या धारा 27 के अधीन ससंगत हैं. कौन सी बातें साबित की जा सकेंगी(What matters may be proved in connection with proved statement relevant under section 26 or 27) I |
धारा 161
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा स्मृति ताज़ा करने से (Refreshing memory) संबंधित है? |
धारा 162 |
धारा 162 के अनुसार, यदि साक्षी अपनी गवाही में किसी तथ्य को भूल जाता है, तो उसे क्या किया जा सकता है? |
साक्षी को पुराने दस्तावेज़ों का सहारा लेने की अनुमति दी जा सकती है |
धारा 162 के तहत, यदि साक्षी अपना बयान भूल जाता है तो उसे किस प्रकार से स्मृति ताजगी का प्रयास करने का अधिकार प्राप्त होता है? |
साक्षी को केवल अपने पहले के बयान से संबंधित दस्तावेज़ देखने की अनुमति होती है |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, साक्षी को पुराने बयान से स्मृति ताजगी करने का अधिकार है, यदि वह अपनी गवाही से मुकरता है? |
"उत्तर प्रदेश राज्य बनाम रघुराज सिंह" (2018) |
क्या धारा 162 के तहत साक्षी द्वारा याद किए गए बयान को अदालत में पूरी तरह से स्वीकार किया जा सकता है? |
हाँ, अगर यह दस्तावेज़ी प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है |
धारा 162 के तहत, जब साक्षी अपने बयान को पूरी तरह से याद नहीं कर पाता, तो क्या उसे अदालत द्वारा किसी दस्तावेज़ से अपनी याददाश्त ताजगी करने का अधिकार होता है? |
हाँ, यदि न्यायालय इसे उचित समझे |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, यदि साक्षी अपने पुराने बयान से मुकर जाए तो उसका बयान स्वीकार किया जा सकता है? |
"हरजिंदर सिंह बनाम पंजाब राज्य" (2019) |
धारा 162 के तहत, स्मृति ताजगी के लिए साक्षी को किस प्रकार की सामग्री को संदर्भित करने का अधिकार होता है? |
केवल दस्तावेज़ या रिकॉर्ड |
स्मृति ताजगी प्रक्रिया के अंतर्गत, साक्षी को पुराने बयान से संबंधित दस्तावेज़ को प्रस्तुत करने का क्या उद्देश्य है? |
साक्षी की गवाही के सुसंगतता और सत्यता को पुनः प्रमाणित करना |
धारा 162 के तहत, साक्षी के पुराने बयान को प्रस्तुत करने से पहले क्या शर्त है? |
साक्षी का बयान पहले न्यायालय में दर्ज होना चाहिए |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “धारा 162 में वर्णित दस्तावेज में कथित तथ्यों के लिए परिसाक्ष्य (Testimony to facts stated in document mentioned in section 162)”? |
धारा 163 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “स्मृति ताजी करने के लिए प्रयुक्त लेख के बारे में प्रतिपक्षी का अधिकार(Right of adverse party as to writing used to refresh memory)” से संबंधित है? |
धारा 164
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा दस्तावेजों का पेश किया जाना (Production of documents) से संबंधित है? |
धारा 165 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा “मँगाई गई और सूचना पर पेश की गई दस्तावेज का साक्ष्य के रूप में दिया जाना (Giving, as evidence, of document called for and produced on notice)” से संबंधित है। |
धारा 166
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धारा 166 के अनुसार, जब कोई दस्तावेज़ किसी व्यक्ति से मंगवाया जाता है और वह दस्तावेज़ को पेश करने से इन्कार कर देता है, तो क्या वह तत्पश्चात् उस दस्तावेज को साक्ष्य के रूप में उपयोग में ला सकेगा? |
दूसरे पक्षकार की सम्मति के या न्यायालय के आदेश के बिना नहीं |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, दस्तावेज़ को अदालत द्वारा मंगवाने के बाद उसे साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है? |
आर. बनाम गृह विभाग के राज्य सचिव" (2000) |
धारा 166 के तहत, मंगवाए गए दस्तावेज़ को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करने के लिए क्या शर्त है? |
दस्तावेज़ को केवल तब स्वीकार किया जा सकता है जब उसे अदालत द्वारा मंगवाया गया हो |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, मंगवाए गए दस्तावेज़ को यदि सही रूप से पेश किया जाए, तो उसे साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है? |
महाराष्ट्र राज्य बनाम रणजीत सिंह" (2017) |
धारा 166 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अदालत के आदेश पर दस्तावेज़ पेश करता है, तो उस दस्तावेज़ को किस रूप में माना जाएगा? |
केवल साक्ष्य के रूप में |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, मंगवाए गए दस्तावेज़ को यदि अदालत द्वारा सही रूप से प्रस्तुत किया जाए, तो उसे साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जाएगा? |
मैसर्स एस.पी. आहूजा बनाम दिल्ली राज्य" (2015) |
क्या धारा 166 के तहत दस्तावेज़ पेश करने के बाद उस दस्तावेज़ को किसी अन्य अदालत में प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है? |
नहीं, दस्तावेज़ एक बार प्रस्तुत हो जाने के बाद किसी अन्य अदालत में फिर से पेश नहीं किया जा सकता |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 167 किससे संबंधित है?
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सूचना पाने पर जिस दस्तावेज के पेश करने से इन्कार कर दिया गया है। उसको साक्ष्य के रूप में उपयोग में लाना (Using, as evidence, of document production of which was refused on notice) |
धारा 167 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अदालत द्वारा मंगाए गए दस्तावेज़ को पेश करने से इंकार करता है, तो वह दस्तावेज़ किस रूप में प्रस्तुत किया जा सकता है? |
दस्तावेज़ को साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है, यदि वह न्यायालय के आदेश से प्रस्तुत किया जाए |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, यदि दस्तावेज़ को मंगवाने के बाद पेश करने से इंकार किया जाए, तो उसे साक्ष्य के रूप में उपयोग किया जा सकता है? |
आर बनाम गृह विभाग के राज्य सचिव" (2000) |
धारा 167 के अंतर्गत, यदि दस्तावेज़ पेश करने से इंकार किया जाता है, तो उसका क्या परिणाम हो सकता है? |
दस्तावेज़ को साक्ष्य के रूप में उपयोग किया जा सकता है यदि यह मामले के संदर्भ में प्रासंगिक हो |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, न्यायालय ने कहा कि यदि दस्तावेज़ किसी अपराध से संबंधित हो, तो उसे साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है? |
पंजाब राज्य बनाम गुरमीत सिंह" (1997) |
धारा 167 के अंतर्गत, मंगवाए गए दस्तावेज़ को जब पेश करने से इंकार किया जाता है, तो उस दस्तावेज़ का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है? |
दस्तावेज़ को साक्ष्य के रूप में तब इस्तेमाल किया जा सकता है जब वह प्रासंगिक हो |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, यदि दस्तावेज़ प्रासंगिक है, तो उसे साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है? |
शिव कुमार यादव बनाम राज्य" (2018) |
ख पर किसी करार के आधार पर क वाद लाता है और वह ख को उसे पेश करने की सूचना देता है । विचारण में क उस दस्तावेज की मांग करता है और ख उसे पेश करने से इंकार करता है । क उसकी अन्तर्वस्तु का द्वितीयक साक्ष्य देता है । क द्वारा दिए हुए द्वितीयक साक्ष्य का खण्डन करने के लिए या यह दर्शित करने के लिए कि वह करार स्टाम्पित नहीं है, ख दस्तावेज ही को पेश करना चाहता है, क्या ख ऐसा कर सकता? |
ख ऐसा नहीं कर सकता |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 168 किससे संबंधित है?
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प्रश्न करने या पेश करने का आदेश देने की न्यायाधीश की शक्ति (Judge’s power to put questions or order production) |
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अध्याय 11 (Chapter XI) |
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साक्ष्य के अनुचित ग्रहण और अग्रहण के विषय में (Of Improper Admission and Rejection of Evidence) |
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की धारा 169 किससे संबंधित है?
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साक्ष्य के अनुचित ग्रहण या अग्ग्रहण के लिए नवीन विचारण नहीं होगा (No new trial for improper admission or rejection of evidence) |
धारा 169 के अनुसार, यदि कोई साक्ष्य अनुचित रूप से ग्रहण किया जाता है, तो न्यायालय क्या करेगा? |
न्यायालय कोई नया विचारण नहीं करेगा |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, न्यायालय किसी गलत साक्ष्य को फिर से स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं है? |
राज्य बनाम आफ़ताब अहमद" (2009) |
धारा 169 के अनुसार, यदि कोई साक्ष्य अनुचित रूप से खारिज किया जाता है, तो क्या न्यायालय उसे पुनः स्वीकार करेगा? |
नहीं, न्यायालय पुनः उस साक्ष्य पर विचार नहीं करेगा |
धारा 169 के अनुसार, अनुचित तरीके से ग्रहण किए गए साक्ष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? |
साक्ष्य का निर्णय पहले जैसा रहेगा, और उस पर पुनः विचार नहीं किया जा सकता |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, साक्ष्य को पुनः पेश नहीं किया जा सकता है यदि उसे पहले अनुचित रूप से खारिज किया गया हो? |
एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ" (1987) |
यदि कोई साक्ष्य अनुचित रूप से खारिज कर दिया जाता है तो क्या न्यायालय को पुनः उस पर विचार करने का अधिकार है? |
नहीं, न्यायालय को पुनः विचार नहीं करना होगा |
धारा 169 के अनुसार, न्यायालय के समक्ष पेश किए गए अनुचित साक्ष्य के लिए क्या किया जा सकता है? |
उसे पूरी तरह से खारिज किया जा सकता है |
किस केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, अनुचित रूप से खारिज किए गए साक्ष्य को स्वीकार नहीं किया जा सकता? |
एन. कन्नम्मल बनाम राज्य" (1992) |
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अध्याय 12 (Chapter XII) |
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निरसन और व्यावृत्ति (Repeal And Savings) |
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भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 की कौन सी धारा निरसन और व्यावृत्ति (Repeal and savings) से संबंधित है? |
धारा 170 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के अंतर्गत कौन सा नया अध्याय जोड़ा गया है? |
अध्याय 12 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के अध्याय 12 में कौन सी नयी धारा जोड़ी गयी है? |
धारा 170 |
नए अधिनियम द्वारा भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 की कौन कौन सी धाराएं निरसित की गयी हैं? |
धारा- 2, 82, 88, 166 और 113 |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 के अंतर्गत कौन - कौन सी नयी धाराएँ जोड़ी गयी है? |
धारा- 170 और 61 |